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लोकसभा चुनाव से पहले INDIA गठबंधन ने पकड़ी रफ्तार, इन राज्यों में सीट शेयरिंग की डील डन

नई दिल्ली: एक वक्त पटरी से उतरती दिख रही इंडिया गठबंधन (india alliance) की गाड़ी को पटरी पर वापस लाने के लिए राहुल समेत कांग्रेस आलाकमान एक्टिव (Congress high command active) हो गए हैं. इसका असर अब इंडिया गठबंधन की सीट शेयरिंग पर भी दिखने लगा है. तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों assembly elections() में हार के बाद कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी. इंडिया गठबंधन भी टूटता दिखने लगा और उसके शिल्पकार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) छोड़कर चले गए. इसका असर ये हुआ कि ममता बनर्जी ने बंगाल में सीट शेयरिंग (seat sharing in bengal) से इनकार कर दिया और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया. आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी से भी कांग्रेस की बात नहीं बन पाई थी. ऐसे में अब 2024 को लेकर परेशान कांग्रेस आलाकमान ने खुद कमान संभाल ली है. राहुल, प्रियंका से लेकर खरगे एक्टिव हो चुके हैं, जिसके बाद इंडिया गठबंधन के लिए कुछ अच्छी खबरें आनी शुरू हो गई हैं.

कभी कांग्रेस 80 में से 20-22 सीटें मांग रही थी लेकिन अखिलेश 17 देने को तैयार थे. कांग्रेस मुरादाबाद और रामपुर भी मांग रही थी. लेकिन राहुल ने फौरन गठजोड़ का ऐलान करने के निर्देश दिए. खुद खरगे ने अखिलेश से बात की और आखिर में प्रियंका ने अखिलेश की दीं 17 सीटों में से सिर्फ दो बदलावों की बात करके गठबंधन को अंजाम तक पहुंचा दिया. जो कांग्रेस एमपी विधानसभा चुनाव में सपा को 4 सीटें देने को राजी नहीं थी, वो यूपी में 17 सीटों पर मानी ही नहीं साथ में एमपी की खजुराहो सीट भी दे दी.

जो कांग्रेस आप को दिल्ली के बाहर सीट देने को राजी नहीं थी, उसी कांग्रेस ने आनन फानन में आम आदमी पार्टी के साथ समझौता कर असम, गुजरात, हरियाणा में सीटें देकर दिल्ली समेत राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन तय कर लिया. इस पूरी डील में राहुल से बात करके खरगे ने अहम भूमिका निभाई. हालांकि, पंजाब में दोनों आपसी सहमति से अलग-अलग लड़ेंगे. वहीं चंडीगढ़ में पहले मेयर पद पर आप का समर्थन करके चंडीगढ़ सीट खुद के लिए हासिल की.


बंगाल में ममता ने दो सीट का ऑफर देकर सीट शेयरिंग के दरवाजे बंद कर दिए थे. ऐसे में राहुल और खरगे ने ममता से बातचीत का रास्ता खोला. जो कांग्रेस बंगाल के बाहर सीट नहीं देना चाह रही थी वो ममता को बंगाल की 6-8 सीट के बदले में असम में दो और मेघालय में एक सीट देने को राजी हो गई. अब ममता 5 सीटें देने को तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस उसमें इजाफा चाहती है. कांग्रेस की ये भी कोशिश है कि लेफ्ट भी कम से कम जिन सीटों पर कांग्रेस लड़े वहां उम्मीदवार न उतारे.

नेशनल कांग्रेस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो राहुल ने तुरंत उनके बेटे उमर अब्दुल्ला से संपर्क साधा और अब दोनों दलों के बीच बातचीत दोबारा शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, बंगाल में ममता से और जम्मू कश्मीर में हमारी एनसी से बातचीत जारी है. अभी सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हुई है. हमें उम्मीद है जल्द ही हमरी बात बन जाएगी.

अशोक चव्हाण के छोड़कर जाने के बाद राहुल गांधी ने खुद उद्धव ठाकरे और शरद पवार से बात की, जिसके बाद 48 में से 39 सीटों पर बात फाइनल हो गई. जल्दी ही बाकी बची सीटों को तय कर अगले हफ्ते ऐलान कर लिया जाएगा. यहां कांग्रेस उद्धव ठाकरे को सबसे ज़्यादा सीटें देने को राजी हो गई. साथ ही प्रकाश अंबेडकर को भी गठजोड़ का हिस्सा बनाने के लिए उनको दो सीटें देने पर सहमति दे दी.

वहीं झारखण्ड, बिहार, तमिलनाडु में सीट बंटवारे पर ज़्यादा दिक्कत नहीं है. वहां बातचीत अंतिम स्टेज में है. उल्टे बिहार में नीतीश के जाने से सीट बंटवारा आसान हो गया है. यानी अगर इसी दिशा में चीज़े आगे बढ़ती हैं तो नीतीश के जाने के बाद इंडिया गठबंधन की गाड़ी फिर से पटरी पर लौटती नज़र आएगी और 2024 की लड़ाई दिलचस्प हो जाएगी.

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