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भुखमरी से जुड़ी रैंकिंग पर भारत ने दिया बड़ा बयान

नई दिल्ली: भारत ने वैश्विक भुखमरी सूचकांक (global hunger index) यानी हंगर इंडेक्स को खारिज कर दिया है. भारत ने कहा है कि यह देश की छवि बिगाड़ने (image spoiler) की कोशिश है. सरकार (government) ने शनिवार को जारी अपने बयान में कहा है कि भारत (India) की देश के तौर पर छवि बिगाड़ने की लगातार कोशिश फिर दिखाई दे रही है. इसमें कहा गया है कि गलत जानकारी (wrong information) देना सालाना जारी किए जाने वाले ग्लोबल हंगर इंडैक्स (global hunger index) का हॉलमार्क लगता है. सरकार के मुताबिक, यह इंडैक्स (index) कई गलतियों से भरा है और इसमें रैंकिंग का तरीका सही नहीं है.

बयान में कहा गया है कि इंडैक्स की कैलकुलेशन के लिए इस्तेमाल किए गए चार में से तीन संकेतक बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं और उन्हें पूरी आबादी का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता है. बयान के मुताबिक, इसके अलावा चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक एक ओपिनियन पोल पर आधारित है, जो 3000 लोगों के बेहद छोटे सैंपल साइज पर किया गया है.


आपको बता दें कि भारत को ग्लोबल हंगर इंडैक्स 2022 में 121 देशों के बीच 107वां स्थान मिला है. आपको बता दें कि इससे पहले भारत 116 देशों की रैंकिंग में 101वें स्थान पर रहा था. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी रैंकिंग में पीछे है. दक्षिण एशिया के देशों में अफगानिस्तान के बाद सबसे ज्यादा हालात भारत के ही खराब हैं.

इससे पहले साल 2020 में भारत इस रैकिंग में 94वें स्थान पर मौजूद था. यह रैंकिंग जीएचआई स्कोर के आधार पर जारी की जाती है और भारत का यह स्कोर लगातार कम हो रहा है. अभी भारत का स्कोर 29.1 है. यह साल 2000 में 38.8 था, जो 2012 और 2021 के बीच 28.8 27.5 के बीच रहा था. जीएचआई स्कोर की गणना चार संकेतकों पर की जाती है, जिनमें अल्पपोषण, कुपोषण, बच्चों की वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर शामिल हैं.

इस रैंकिंग में भारत से बुरी स्थिति वाले देशों में अफगानिस्तान, जाम्बिया और अफ्रीकी देश शामिल हैं. इन देशों में तिमोर-लेस्ते, गिनी-बिसाऊ, सिएरा लियोन, लेसोथो, लाइबेरिया, नाइजर, हैती, चाड, डेम, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, यमन आदि शामिल हैं. जीएचआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि गिनी, मोजाम्बिक, युगांडा, जिम्बाब्वे, बुरुंडी, सोमालिया, दक्षिण सूडान और सीरिया समेत 15 देशों के लिए रैंक का निर्धारण नहीं किया जा सकता है.

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