पूर्व पार्षद के पति का खुलासा… इधर-उधर से कबाडक़र ब्लैक में बेच रहा है इंजेक्शन
इंदौर। एक तरफ कोरोना मरीजों (Corona Patients) को अस्पतालों (Hospitals) में भर्ती करवाने की जद्दोजहद और उसके साथ उपचार के लिए लगने वाली दवाई खासकर रेमडिसीवर (Remedisvir) की मारामारी… दवा बाजार (Drug Market) से लेकर शहर के निजी अस्पतालों (Private Hospitals) में सुबह से रात तक इंजेक्शन हासिल करने के लिए कतारें लगी हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने रात को कालाबाजारी (Black marketing) करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की बात कही। वहीं एक राज मेडिकल स्टोर की जानकारी मिली, जो कई गुना अधिक में इंजेक्शन इधर-उधर से जुगाड़ कर बेच रहा है। पूर्व भाजपा पार्षद के पति की दुकान भी अवैध बताई जाती है। आज प्रशासन इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए दुकान सील करवाएगा।
रेमडेसीवर इंजेक्शनों की मारामारी के वीडियो और फोटो (Video-photos) इंदौर के साथ-साथ देशभर में प्रचारित-प्रसारित हो गए हैं। मरीजों के परिजन घंटों इंजेक्शनों के लिए कतार में लगे हैं और 10 गुना अधिक कीमत तक वसूली जा रही है। कल भी 3 हजार इंजेक्शन आए, जो फटाफट खत्म हो गए, जबकि मांग इससे 10 गुना से अधिक इंजेक्शनों की है। प्रशासन का कहना है कि जिन दवा विक्रेताओं के पास इंजेक्शन का स्टॉक आया वह अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए उपलब्ध करवा दिया है। कल बीआईएमसीएच से 360, शांति मेडिकोज से 268, क्वालिटी ड्रग से 120 सहित अन्य मेडिकल सप्लायरों से इंजेक्शन हासिल कर मरीजों को उपलब्ध करवाए। दूसरी तरफ कालाबाजारी भी जमकर जारी है, क्योंकि अभी जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं वे सब इंजेक्शन लगवाना चाहते हैं। इसी बीच ढक्कनवाला कुआ स्थित राज मेडिकल का एक खुलासा हुआ, जिसमें वह 10 से 15 हजार रुपए तक में इंजेक्शन देने की बात वीडियो में कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व भाजपा पार्षद मीना अग्रवाल का पति दुकान संचालक है और कुछ वर्ष पूर्व नगर निगम ने इस अवैध दुकान को तोडऩे के प्रयास किए, तब भी तत्कालीन पार्षद ने बवाल मचाया था और कार्रवाई रूकवाई भी। वहीं पिछले दिनों एक पत्रकार परिवार के भी सभी सदस्य कोरोना संक्रमित हो गए और तब इंजेक्शन की जरूरत पडऩे पर इसी दुकान से इंजेक्शन लिए और वह भी ब्लैक में लगभग 3500 रुपए में उपलब्ध करवाए गए। अब प्रशासन इस मामले में आज कड़ी कार्रवाई करने जा रहा है। दुकान सील होने के साथ संभवत: एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है। अभी अस्पतालों में जो मरीज भर्ती हैं और ऑक्सीजन पर रखना पड़ रहा है उन्हें तो अनिवार्य रूप से यह इंजेक्शन दिए ही जा रहे हैं, मगर जिन्हें कम संक्रमण हैं वे भी डर के मारे इंजेक्शन लगवा रहे हैं। दरअसल 6 इंजेक्शनों का ही पूरा डोज रहता है। पहले दिन एक साथ दो और उसके बार फिर एक-एक इंजेक्शन (Injections) लगाए जाते हैं। गत वर्ष भी जब मरीजों की भीड़ बढ़ी थी तब भी इंजेक्शनों की मारामारी हुई और ब्लैक में मिलने लगे, उससे भी शासन ने कोई सबक नहीं सीखा और इंजेक्शन ना तो पर्याप्त मात्रा में स्टॉक में रखे और ना ही इन्हें बनाने वाली कम्पनियों से कोई चर्चा की गई। अब मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि रेमडेसीवर (Remedisvir) इंजेक्शन प्रदेश सरकार खरीदेगी और गरीबों को मुफ्त इलाज के लिए उपलब्ध कराएगी। जबकि हकीकत यह है कि दिनभर मरीजों के परिजन इंजेक्शनों की जुगाड़ में लगे रहते हैं। नेताओं, अफसरों, मीडिया से लेकर अन्य प्रभावशाली लोगों से इंजेक्शनों की जुगाड़ कराई जा रही है और कई लोगों ने तो 800-1000 रुपए के इंजेक्शन की कीमत 40-45 और पूरे डोज की 90 हजार तक चुकाई है। कलेक्टर मनीष सिंह ने रेसीडेंसी पर कल रात भी मीटिंग के बाद मीडिया से चर्चा में दो टूक कहा कि इंजेक्शन (Injections) की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की जाएगी और इसके लिए नई गाइडलाइन भी बनाई जा रही है। फिलहाल तो जनता इंजेक्शनों के लिए बेहद परेशान है और कल दवा बाजार के सामने दिनभर भारी भीड़ लगी रही और सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें और वीडियो देशभर में प्रचारित भी हो गए।
रेमडेसीवर प्रोटोकॉल के साथ ऑक्सीजन ऑडिट भी
खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने रेमडेसीवर (Remedisvir) इंजेक्शन के संबंध में कल महत्वपूर्ण आदेश जारी किए, जिसमें किन मरीजों को ये इंजेक्शन देना है उसकी जिम्मेदारी चिकित्सकों और नर्सिंग होम को सौंपी गई और कहा कि बकायदा प्रिस्क्रिप्शन और आपातकालीन परिस्थितियों मेें ही ये इंजेक्शन (Injections) लगाए जाएं। वहीं एमजीएम मेडिकल कालेज के मेडिसीन विभाग और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी प्रशसन ने रेमडेसीवर इंजेक्शन का प्रोटोकॉल-गाइडलाइन तय करने की जिम्मेदारी दी। वहीं ऑक्सीजन (Oxygen) उपयोग का भी ऑडिट कराया जाएगा, क्योंकि कई जगह अस्पतालों में ऑक्सीजन का लापरवाही के चलते अपव्यय भी हो रहा है। लिहाजा स्टाफ को विधिवत प्रशिक्षण भी दिलवाएंगे। आज इसको लेकर वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन भी 12 बजे से एमजीएम मेडिकल कालेज सभागृह में किया गया है। कालेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित के मुताबिक कोविड के वर्तमान स्वरूप, उपचार में आवश्यक जांच, सिटी स्कैन की आवश्यकता के अलावा ऑक्सीजन और गंभीर रोगियों में रेमडिसीवर के उपयोग और आवश्यकता पर चर्चा की जाएगी।