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Justice Bobde चाहते थे अयोध्या मामले में Shahrukh Khan करें मध्यस्थता, तैयार भी हो गए थे बादशाह

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के 47 वें प्रधान न्यायाधीश (47th Chief Justice) के पद से जस्टिस एसए बोबडे (Justice SA Bobde) शुक्रवार को रिटायर (Retire) हो गए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह प्रसन्नता, सद्भाव और बहुत अच्छी यादों के साथ विदा ले रहे हैं। उन्हें इस बात का संतोष है कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में बतौर जज अपने कार्यकाल के दौरान अयोध्या के राम जन्म भूमि विवाद का ऐतिहासिक फैसला दिया। जस्टिस बोबडे ने कोरोना वायरस महामारी के अभूतपूर्व संकट के समय भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व किया और वीडियो कॉन्फ्रेंस से शीर्ष अदालत का कामकाज कराया।



जस्टिस बोबडे की विदाई के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह (Vikas Singh, President of Supreme Court Bar Association) ने नया खुलासा किया। विकास सिंह (Vikas Singh) ने कहा कि जस्टिस एसए बोबडे (Justice SA Bobde) ने अयोध्या विवाद हल करने के लिए अभिनेता शाहरूख खान (Actor Shahrukh Khan) के मध्यस्थता का मंशा जताई थी। तत्कालीन सीजेआई के इस प्रस्ताव को शाहरुख खान (Shahrukh Khan) ने स्वीकार भी कर लिया था।
शीर्ष अदालत में अपने विदाई भाषण में जस्टिस बोबडे ने कहा कि आखिरी दिन मिली-जुली अनुभूति होती है, जिसे बयां करना मुश्किल है। मैं इस तरह के समारोहों में पहले भी शामिल हुआ हूं लेकिन कभी ऐसी मिली-जुली अनुभूति नहीं हुई इसीलिए तब मैं अपनी बातें स्पष्ट तौर पर कह सका।
उन्होंने कहा कि मैं प्रसन्नता, सद्भाव के साथ और शानदार दलीलों, उत्कृष्ट प्रस्तुति, सद्व्यवहार तथा न केवल बार बल्कि सभी संबंधित पक्षों की ओर से न्याय की प्रतिबद्धता की बहुत अच्छी यादें इस अदालत से जा रहा हूं।
न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि वह 21 साल तक न्यायाधीश के रूप में सेवाएं देने के बाद पद छोड़ रहे हैं और शीर्ष अदालत में उनका सबसे समृद्ध अनुभव रहा है तथा साथी न्यायाधीशों के साथ सौहार्द भी बहुत अच्छा रहा है।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में डिजिटल तरीके से काम करना रजिस्ट्री के बिना संभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि डिजिटल सुनवाई के बारे में कई ऐसी असंतोषजनक बातें हैं जिन्हें दूर किया जा सकता है।
हालांकि न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि इस तरह की सुनवाई में फायदा यह हुआ कि इस दौरान मुझे वकीलों के पीछे पर्वत श्रृंखलाएं और कलाकृतियां दिखाई दीं। कुछ वकीलों के पीछे बंदूक और पिस्तौल जैसी पेंटिंग भी दिखाई दीं। हालांकि एसजी मेहता के पीछे की पेंटिंग अब हटा ली गई है।
उन्होंने कहा कि मैं इस संतोष के साथ यह पद छोड़ रहा हूं कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया। मैं अब कमान न्यायमूर्ति एनवी रमण के हाथों में सौंप रहा हूं, जो मुझे विश्वास है कि बहुत सक्षम तरीके से अदालत का नेतृत्व करेंगे। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि किसी प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल कम से कम तीन वर्ष का होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी। उच्चतम न्यायालय को भी फैसला लेना था, बार ने सोचा कि अदालत बंद हो जाएगी। वेणुगोपाल ने कहा कि लेकिन प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने पहल की और डिजिटल सुनवाई शुरू की तथा लगभग 50,000 मामलों का निस्तारण किया गया। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
वहीं सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायमूर्ति बोबडे को न केवल ज्ञानी और बुद्धिमान न्यायाधीश के तौर पर जाना जाएगा बल्कि गजब के हास्यबोध के साथ स्नेह करने और ध्यान रखने वाले इंसान के तौर पर भी जाना जाएगा।
उच्चतम न्यायालय बार संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि यह (65 साल) सेवानिवृत्ति की आयु नहीं है और न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन लाया जाना चाहिए।

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