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इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रमुख रहे लालदुहोमा बनेंगे मिजोरम के मुख्यमंत्री

नई दिल्ली: मिजोरम विधानसभा चुनाव (mizoram assembly elections) में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को हराने के बाद जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता लालडुहोमा मिजोरम के अगले मुख्यमंत्री (Lalduhoma next Chief Minister of Mizoram) बनने जा रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandhi) के सुरक्षा प्रमुख रहे लालडुहोमा (Lalduhoma was the security chief) दो-तिहाई बहुमत के साथ नई सरकार बनाएंगे. 40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 21 है. जेडपीएम ने 27 सीट जीते हैं. निवर्तमान मुख्यमंत्री जोरमथांगा की पार्टी एमएनएफ ने 10 सीटें जीतीं. बीजेपी ने 2 और कांग्रेस ने 1 विधानसभा सीट जीती है. मुख्यमंत्री जोरमथांगा अपनी हार मानते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है.

बता दें कि अवकाशप्राप्त आईपीएस अधिकारी लालडुहोमा 1980 के दशक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रभारी थे. साल 1982 में उन्हें असम से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था और इंदिरा के सुरक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई थी. इंदिरा गांधी को यह जानकारी थी कि साल 1977 में आईपीएस अधिकारी बनने से पहले, वह राज्य प्रशासनिक सेवा में एक अधिकारी के रूप में मिजोरम के पहले मुख्यमंत्री सी चुंग के सहयोगी थे. लालडुहोमा के राजनीतिक ज्ञान को देखते हुए इंदिरा गांधी ने उन्हें 1984 में फिर से मिजोरम भेज दिया. उसके बाद लालडुहोमा ने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया और लोकसभा के सदस्य बने. उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी मिली.


उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान लालडेंगा के नेतृत्व वाले विद्रोहियों के साथ ऐतिहासिक मिजो समझौते के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्य में शांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. संयोग से, जोरमथंगा उस समय मिजो विद्रोहियों के नेताओं में से एक थे. शांति संधि के बाद लालडेंगा मिजोरम के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ललथनहवला से अनबन के चलते लालडुहोमा ने सबसे पहले कांग्रेस छोड़ी और मिजो नेशनल यूनियन का गठन किया. बाद में एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री टी सेलो के नेतृत्व में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए. लालडेंगा की मृत्यु के बाद,लालडुहोमा ने अपने उत्तराधिकारी जोरमथांगा के साथ विवाद के कारण जोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जीएनपी) का गठन किया। वह 2003 और 2008 में विधायक बने.

उन्होंने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले जेएनपी और कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ जेडपीएम का गठन किया. उस समय नवगठित पार्टी ने आठ सीटें जीतीं. एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद, कांग्रेस को मुख्य विपक्षी ताकत के रूप में तीसरे नंबर पर धकेल दिया गया. हालांकि, चूंकि चुनाव आयोग ने अभी भी उन्हें ‘पार्टी’ के रूप में मान्यता नहीं दी थी. इसलिए जेडपीएम उम्मीदवारों ने ‘स्वतंत्र उम्मीदवारों’ के रूप में चुनाव लड़ा. लालडुहोमा ने उस चुनाव में सेरचिप सीट पर कांग्रेस के निवर्तमान मुख्यमंत्री ललथनहावला को हराया. इसके बाद जेडपीएम औपचारिक रूप से एक ‘राजनीतिक दल’ के रूप में उभरा, जिसके अध्यक्ष लालडुहोमा बने. पिछले 40 वर्षों का चुनावी इतिहास बताता है कि मिजोरम में प्रायः ही चुनावों में सरकारें बदली हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सरकार को हटाकर एमएनएफ सत्ता में आई और इस बार भी यह परंपरा कायम रही. एमएनएफ की जगह जेडपीएम की अगली सरकार यहां बनने जा रही है और लालडुहोमा राज्य के अगले सीएम होंगे.

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