भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सरदार सरोवर बांध की तरह केन-बेतवा परियोजना से भी यूपी को ज्यादा पानी देने मप्र पर केंद्र का दबाव

  • दोनों राज्यों के सीएम, मंत्री और अफसरों की बैठक में नहीं बनी सहमति
  • उप्र को पानी का ज्यादा हिस्सा दिलाना चाहती है मोदी सरकार

भोपाल। मप्र एव उप्र के बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने वाली बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर उप्र और मप्र के बीच जल बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। पानी बंटवारे पर केंद्र सरकार का झुकाव उप्र के पक्ष में है। केंद्र चाहता है कि मप्र अपने हिस्से का पानी उप्र को दे। जिससे उप्र को तय समझौते से ज्यादा पानी मिल सके। केंद्र सरकार मप्र सरकार पर सरकार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर बनाए गए दबाव की तरह अब केन-बेतवा परियोजना के लिए दबाव बना रही है। हालांकि अभी मप्र केन-बेतवा परियोजना को लेकर केंद्र के दबाव में नहीं आया है। उप्र पूर्व में तय बंटवारे से ज्यादा पानी लेना चाहता है, लेकिन मप्र अपनी हिस्से का एक बूंद भी ज्यादा पानी देने को तैयार नहीं है। विवाद को निपटाने के लिए कोरोना काल में मप्र और उप्र के मुख्यमत्री, मंत्री, अधिकारी और भारत सरकार के जल संसाधन विभाग के अफसरों की वर्चुअल बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। जल बंटवारे को लेकर जारी विवाद के बीच मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौळान ने कहा है कि उप्र को रबी के लिए पूर्व में निर्धारित 700 मि घन मीटर पानी ही दिया जाएगा। इस मसले पर मप्र भारत सरकार के सामने मजबूती से पक्ष रखेगा। मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के बीच सीजनल जल बंटवारे पर सहमति न बनने के कारण परियोजना में विलंब हो रहा है। मध्यप्रदेश ने उत्तरप्रदेश को परियोजना से अवर्षाकाल के महीनों में रबी फसल व पेयजल के लिए 700 मि.घ.मी. पानी देने पर पूर्व में सहमति दी थी, जिसके लिए हम आज भी तैयार हैं। इस संबंध में भारत सरकार के समक्ष मध्यप्रदेश का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा।

शिवराज कर चुके हैं केंद्र से बात
मुख्यमंत्री चौहान ने केन-बेतवा परियोजना को लेकर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से परियोजना संबंधी गतिरोध शीघ्र दूर करने सबंधी आग्रह किया। इस विवाद को सुलझाने के लिए दिल्ली में फिर बैठक होने वाली है। जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं।

उप्र की एक इंच जमीन और एक बूंद पानी नहीं
केन-बेतवा परियोजना में उप्र की एक इंच जमीन नहीं है। न ही एक बूंद पानी खर्च होगा। इसके बावजूद भी उप्र इस परियोजना से ज्यादा पानी चाहता है। इसके लिए उप्र केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रेशन बना रहा है। क्योंकि सबसे ज्यादा सांसद उप्र से ही चुने गए हैं। भाजपा के सबसे ज्यादा सांसद उप्र से ही हैं। उप्र राजनीतिक दबाव बनाकर केन-बेतवा परियोजना से ज्यादा से ज्यादा पानी लेना चाहता है। केंद्र सरकार का झुकाव भी उप्र के पक्ष में है।

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