भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मप्र के कर्मचारियों को ‘Promotion’ से पहले चाहिए ‘Pension’

  • पुरानी पेंशन स्कीम की मांग तेज, कर्मचारी संगठन सक्रिय
  • कांग्रेस के सभी विधायकों ने सरकारी को लिखा खत

रामेश्वर धाकड़
भोपाल। राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में पुरानी पेंशन योजना शुरू करने की घोषणा के साथ ही मप्र में भी कर्मचारी संगठनों ने मांग शुरू कर दी है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कर्मचारियों की इस मांग पर राजनीति शुरू हो गई है। कांगे्रस के 50 से ज्यादा विधायकों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकार को पत्र लिख दिया है। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग ऐसे समय में उठी है, जब सरकार पदोन्नति में आरक्षण मामले में फैसला लेने में पशोपेश में है। हालांकि मप्र के कर्मचारी संगठन जिस तरह से पेंशन योजना को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में लग गए हैं उससे लगता है कि वे पदोन्नति से पहले पेंशन योजना का लाभ लेना चाहते हैं।


प्रदेश में पिछले 6 साल से पदोन्नति अटकी हुई है। पदोन्नति के इंतजार में प्रदेश के हजारों कर्मचारी एवं अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं। सरकार के ज्यादातर पद प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। हालांकि पदोन्नति में आरक्षण मामले में सीधे तौर पर कोई भी फैसला देने से बजाए सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों पर ही जिम्मेदारी टाल दी है। राज्य सरकार ने पदोन्नति का रास्ता निकालने के लिए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मंत्री समूह गठित किया। कई बार बैठकें करने के बाद भी मंत्री समूह पदोन्नति का रास्ता नहीं निकाल पाया और आखिरी में मंत्री समूह ने कर्मचारी संगठन अजाक्स एवं सपाक्स पर ही बीच का रास्ता निकालने की जिम्मेदारी डाल दी है। ऐसे में फिलहाल पदोन्नति का कोई रास्ता निकलने की संभावना कम ही दिखाईदे रही है। क्योंकि अजाक्स पदोन्नति में आरक्षण की मांग पर अड़ा है, जबकि सपाक्स कोर्ट के पुराने आदेशों का हवाला देकर पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए तैयार नहीं है। कर्मचारियों की इस लंबित मांग पर कोई रास्ता निकलता उससे पहले कर्मचारी संगठनों की पुरानी पेंशन योजना बहाली की नई मांग जोर-शोर से उठ रही है।

इन राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद़देनजर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान हो चुका है। झारखंड भी पुरानी पेंशन बहाल करने को तैयार है। पंजाब चुनाव में भी राजनीतिक दलों ने इसका ऐलान किया है। ऐसे में मप्र सरकार पर भी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का दबाव बढ़ गया है। हालांकि फिलहाल मप्र सरकार इस पर कोई निर्णय लेने से बचेगी। क्योंकि मप्र में भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी 2005 से लागू की गई नई पेंशन योजना लागू है। भारत सरकार का इसी योजना पर जोर है। यदि मप्र पुरानी पेंशन योजना को बहाल करता है तो फिर इसके लिए मौजूदा भारत सरकार को भरोसे में लेना होगा।

3.35 लाख कर्मचारियों को सीधा फायदा
यदि पुरानी पेंशन योजना बहाल होती है तो सीधे 3.35 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा। क्योंकि 1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में इतने नए कर्मचारी आ चुके हैं। अगले चुनाव को देखते हुए सरकार 3.35 लाख कर्मचारियों को प्रभावित करने के लिए यह फैसला ले भी सकती है। नई पेंशन योजना में कर्मचारी के मूल वेतन से 10 फीसदी राशि काटकर पेंशन खाते में जमा कराई जाती है और 14 फीसदी राशि सरकार मिलाती है। रिटायर होने पर 50 फीसदी राशि एकमुश्त मिलेगी। शेष 50 फीसदी से पेंशन बनेगी। यदि सरकार पुरानी पेंशन योजना बहाल करती है तो अगले 12 साल तक कोई भार नहीं आएगा। क्योंकि 2005 से भर्ती कर्मचारी 12 साल बाद रिटायर्ड होना शुरू होंगे।

विधानसभा में उठेगी मांग
प्रदेश में यूं तो फिलहाल कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम नहीं है, जिससे विपक्ष सरकार की घेराबंदी करे। लेकिन विपक्ष अगले हफ्ते से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में कर्मचारियों की मांग को लेकर जोर-शोर से उठा सकता है। कांगे्रस सूत्रों के अनुसार मप्र कांगे्रस पदोन्नति में आरक्षण के साथ पुरानी पेंशन योजना की बहाली को विधानसभा में उठाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसी रणनीति के तहत मप्र कांग्रेस के विधायकों ने पुरानी पेंशन को लेकर पत्र लिखे हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि भाजपा सरकार कर्मचारियों को पदोन्नति और पेंशन के मुद्दे पर टालने का काम कर रही है।

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