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MP: किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साझा प्रयासों से मप्र कृषि में अग्रणीः केन्द्रीय मंत्री तोमर

ग्वालियर। मध्यप्रदेश को निरंतर कृषि कर्मण अवार्ड मिले हैं। साथ ही फसलों की नवीन किस्मों का अनुसंधान व फसल उत्पादन सहित खेती से संबंधित अन्य तकनीकों के इस्तेमाल में मध्यप्रदेश अव्वल रहा। यह स्वर्णिम सफलता प्रदेश के किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों के आपसी सामंजस्य और साझा प्रयासों से साकार हुई है।

यह बात केन्द्रीय कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ने गुरुवार को ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के ऑनलाइन स्थापना दिवस समारोह को वर्चुअल संबोधित करते हुए कही। कृषि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में प्रदेश कृषि मंत्री कमल पटेल एवं प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह भी ऑनलाइन शामिल हुए।

केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि आज आवश्यकता है कि देश की तरक्की के लिए छोटे किसान प्रगति करें और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हों। इस लक्ष्य को पाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को ऐसी उन्नत तकनीकों का विकास करना चाहिए, जिन्हें अपनाकर वे आर्थिक रुप से सशक्त हो सकें। किसानों को भी फसल विविधीकरण, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खीपालन एवं उद्यानिकी फसलों को अपनाना होगा। अगर कृषि वैज्ञानिक किसानों को खाद्य प्रसंस्करण की ओर प्रोत्साहित करेंगे तो निश्चित ही गांव में उद्यानिकी आधारित इकाई लगने से गांवों में ही लोगों को रोजगार मिल सकेगा।

तोमर ने कृषि छात्रों से आहवान किया कि वे नौकरी तक सीमित न रहकर उद्यमी बनने की ओर आगे बढ़ें एवं सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर प्रगति की ओर अग्रेसित हों।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में वैसा ही मॉडल प्रदेश बनना चाहिए जैसे इजराइल ने कम संसाधनों में अधिक गुणवत्तापूर्ण उत्पादन कर सफलता अर्जित की है। इस लक्ष्य के लिए प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार एक जिला एक उत्पाद के तहत उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में कर रही है। इससे हमारे किसानों की आय बढ़ेगी। वे आत्मनिर्भर हो सकेंगे एवं गांवों में रोजगार की समस्या खत्म हो सकेगी। पटेल ने कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि छात्रों से आहवान किया कि वे ऐसे उदाहरण पेश करें, जिससे हर खेत में पानी एवं हर हाथ को काम मिल सके।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डॉ. एसके चौधरी ने मध्यप्रदेश में कृषि के बेहतर प्रदर्शन के लिए किसानों एवं वैज्ञानिकों की प्रशंसा की। साथ ही कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच 15 जिलों में कृषि के लिए उन्नत तकनीकों एवं फसल किस्मों के विकास में वैज्ञानिक अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के अनुसंधान कार्य की प्रशंसा भी की।

समारोह में कुलपति प्रो. एस. के राव ने शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार सेवाओं अंतर्गत कृषि विश्वविद्यालय की वर्ष भर की उपलब्धियों की जानकारी दी। समारोह का संचालन उपनिदेशक शिक्षण डॉ. एस. के. शर्मा ने किया एवं आभार कुलसचिव डी. एल. कोरी ने जताया। इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. डी. एच रानाडे, निदेशक अनुसंधान डॉ. एम. पी जैन, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. एस. पी. एस. तोमर, लेखा नियंत्रक अजय शर्मा सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

कृषकों, वैज्ञानिकों एवं छात्रों को पुरस्कार
समारोह में तीन कृषकों को कृषक फैलो सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने वाले एवं उन्नत किस्में विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के साथ एमएससी एवं पीएचडी छात्रों को भी सम्मानित किया गया। (एजेंसी, हि.स.)

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