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मस्क की स्टारलिंक भारत में जल्द शुरू कर सकती है सर्विस, इंटरनेट हो सकता है सस्ता

  • March 04, 2025

    वाशिंगटन । एलन मस्क (Elon Musk) की स्टारलिंक (Starlink) को जल्द ही भारतीय अंतरिक्ष नियामक (Indian Space Regulator) से मंजूरी मिल सकती है। बताया जा रहा है कि कंपनी सैटेलाइट (Satellite) द्वारा ग्लोबल मोबाइल व्यक्तिगत संचार लाइसेंस हासिल करने के लिए अधिकांश प्रावधानों का पालन करने पर सहमत हो गई है, लेकिन सुरक्षा संबंधी कुछ आवश्यकताओं पर चर्चा चल रही है। संभावना है कि आने वाले दिनों में सुरक्षा संबंधी प्रावधानों पर सहमति बन जाएगी। स्टारलिंक करीब 100 देशों में अपनी इंटरनेट की सेवाएं दे रही है।

    सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने जरूरी डिटेल्स जमा कर दिया है। यह स्टारलिंक के लिए भारत में पहली नियामक मंजूरी होगी, जिसका लक्ष्य भारत में कॉमर्शियल ब्रॉडबैंड-फ्रॉम-स्पेस सेवाएं शुरू करना है। कंपनी उपयोगकर्ता टर्मिनलों के स्थानांतरण और उससे जुड़े प्रावधान का पालन करने के लिए सहमत हो गई है। कंपनी भारत में अपना नेटवर्क नियंत्रण और निगरानी केंद्र बनाने पर भी सहमत है। स्टारलिंक इस बात पर भी सहमत है कि वह यह भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों में गेटवे के माध्यम से डेटा रूट नहीं करेगा।



    जमीनी सीमा वाले देशों में कोई गेटवे नहीं
    कंपनी का फिलहाल भारत के जमीनी सीमा वाले देशों में कोई गेटवे नहीं है, लेकिन कंपनी ने प्रतिबद्ध किया है कि भविष्य में जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों में गेटवे स्थापित करती है तो वह भारत से जुड़ा डेटा उनके माध्यम से नहीं भेजा जाएगा। लेकिन, इस बार भी सुरक्षा के मोर्चों पर कई सारे प्वाइंट्स हैं, जिनको लेकर निरंतर चर्चा चल रही है। स्टारलिंक चाहती है कि भारत के साथ जल्द से जल्द सेवा शुरू करने वाले शर्तों पर आपसी सहमति बने, जिससे कि वह अपनी सेवा शुरू कर सके।

    इन प्रावधानों पर चल रही है चर्चा
    मौजूदा नियमों के अनुसार कंपनियों के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार 10 किलोमीटर तक निगरानी सुविधाएं प्रदान करना अनिवार्य हैं। सूत्रों का कहना है कि अब सरकार विचार कर रही है कि स्टारलिंक को एलईए से जुड़ी शर्तों में छूट प्रदान की जाए या नहीं। हालांकि सरकार पहले भी स्पष्ट कर चुकी है कि देश में कोई भी कंपनी आकर टेलीकॉम से जुड़ी सर्विस शुरू कर सकती है। उसमें किसी तरह की कोई रुकावट नहीं है, लेकिन कंपनी को भारत से जुड़े नियमों का पालन करना होगा।

    अब बताया जा रहा है कि सरकार स्टारलिंक को कुछ प्रावधानों में बदलाव कर अनुमति देना चाहती है, लेकिन सुरक्षा से जुड़े नियमों में कोई बदलाव होने की संभावना कम है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि स्पेक्ट्रम प्रशासनिक रूप से या बिना नीलामी के आवंटित किया जाएगा।

    क्या है स्टारलिंक
    स्टारलिंक एक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस टेक्नोलॉजी है। इसके जरिए बिना तार और टॉवर की मदद से लोगों तक इंटरनेट पहुंच रहाहै। इसमें इंटरनेट पहुंचाने के लिए सैटेलाइट आधारित रेडियो सिग्नल की मदद ली जाती है। ये सैटेलाइट जमीन पर मौजूद ग्राउंड स्टेशन ब्रॉडबैंड सिग्नल को सैटेलाइट ऑर्बिट में भेजता है। यह बहुत तेज गति से जमीन पर इटंरनेट पहुंचाने में सक्षम है।

    कितना महंगा है स्टारलिंक का इंटरनेट
    स्टारलिंक सर्विस को लेकर सोशल मीडिया में अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक स्टारलिंक सर्विस के जरिए इंटरनेट महंगा होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टारलिंक की कीमत 110 प्रति माह डॉलर है। वहीं इसके लिए इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर की कीमत एकबार के लिए 599 डॉलर चुकाने पड़ते हैं। भारत में इसकी कीमत करीब 7000 रुपये हो सकती है, वहीं इंस्टॉलेशन चार्ज अलग से देना पड़ सकता है। स्टारलिंक की तरफ से व्यावसायिक और व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए अलग-अलग प्लान हैं।

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