विदेश

ना गोली चलाई और न भेजे सैनिक, फिर भी पड़ोसी देश में मच गया हाहाकार

डेस्क। आज वह तारीख है, जब यूक्रेन (Ukraine) पर रूसी (Russian) आक्रमण का अंदेशा जताया जा रहा है। अमेरिकी रिपोर्टों (US reports) के अलावा यूक्रेन भी इसकी आशंका जाहिर कर चुका है, लेकिन क्या रूस ने सच में यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया है। हालांकि, अभी तक न तो यूक्रेन में रूसी सैनिकों (Russian soldiers) के दाखिल होने की खबर है और न ही गोली चलने या बम गिराने की। इसके बाद भी यूक्रेन में हाहाकार मच गया है। रूस के पड़ोसी देश मेें मची इस अफरा-तफरी के पीछे व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का ही हाथ होने का अंदेशा जताया जा रहा है।

तो रूस ने कैसे शुरू की जंग
दरअसल, यूक्रेन में सैन्य संकट (military crisis) के बीच बड़ा साइबर अटैक (cyber attack) हुआ है। यहां की सरकारी एजेंसियों और बड़े बैंकों पर साइबर हमले की रिपोर्ट है। इस हमले की वजह से कम से कम 10 वेबसाइट्स ने काम करना बंद कर दिया है। यूक्रेन प्रशासन का कहना है कि, हो सकता है इसके पीछे रूस का ही हाथ हो। जब वह सीधे हमले की योजना में सफल न हो पाया हो तो उसने यह घटिया काम शुरू किया हो।


रक्षा से लेकर विदेश मंत्रालय तक की वेबसाइट ठप
यूक्रेन सरकार के मुताबिक, वहां पर डीडीओएस साइबर अटैक हुआ है। इसकी वजह से कम से कम 10 वेबसाइट्स ने काम करना बंद कर दिया है। इसमें रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और बड़े बैंकों की वेबसाइट शामिल हैं। यूक्रेन के सबसे बड़े सरकारी बैंक और कई प्राइवेट बैंकों के ऐप तक काम नहीं कर रहे हैं और ऑनलाइन पेमेंट भी नहीं हो पा रहा है। इसकी पुष्टि खुद सूचना एवं तकनीकि मंत्रालय की ओर से की गई है। हालांकि, कहा गया है कि बैंकों में जमा ग्राहकों के फंड को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

पहले भी हो चुका है साइबर अटैक
जनवरी में भी यूक्रेन पर साइबर अटैक हुआ था। तब 70 वेबसाइट्स ने काम करना बंद कर दिया था। उस समय भी यूक्रेन ने रूस पर आरोप लगाया था। रूस ने साल 2017 में यूक्रेन पर बड़ा साइबर हमला किया था। उसने NotPetya नाम के वायरस के जरिए दुनियाभर में 10 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचाया था।

रूस के रुख में दिखाई दी थी नरमी
गहराते यूक्रेन संकट के बीच मंगलवार को रूस के रुख में नरमी भी देखी गई थी। रूस ने दावा किया था कि वह यूक्रेन पर आक्रमण के विचार को बदल रहा है और सेना को वापस बुला रहा है। हालांकि, अमेरिका को रूस की इस चाल पर भरोसा नहीं है। उसने रूस से इसकी पुष्टि के सबूत मांगे हैं।

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