फैसला करने वाले चुप रहे, जनता ने ले लिया फैसला
इंदौर, डा जितेन्द्र जाखेटिया।
इंदौर नगर निगम (Municipal council) बीआरटीएस (BRTS) को हटाने का काम तो नहीं करवा पा रहा है, लेकिन बस (bus) के लिए आरक्षित लेन (Reserved lanes) में आम नागरिकों के वाहन चलाने की अनुमति देने का फैसला भी नहीं ले पा रहा है। निगम के जनप्रतिनिधि और प्रशासन के अधिकारी जब फैसला लेने के बजाय चुप रहे तो जनता ने खुद फैसला ले लिया। कामन व्हीकल लेन में वाहनों का जाम लगने पर नागरिकों ने खुद ही अपनी गाडिय़ां बस की लेन से निकालकर आगे का सफर तय करना शुरू कर दिया।
जब राज्य सरकार ने इंदौर से बीआरटीएस को हटाने का फैसला ले लिया तो फिर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन याचिका में भी शासन के फैसले की जानकारी दी गई। इसके बाद उच्च न्यायालय द्वारा भी याचिका को निराकृत करते हुए बीआरटीएस हटाने के सरकार के फैसले पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी गई। अब इसके बाद से सारा काम नगर निगम के हाथ में था। निगम की स्मार्ट सिटी कंपनी ने सबसे पहले जीपीओ चौराहा से व्हाइट चर्च चौराहा तक बीआरटीएस के कॉरिडोर को तोडऩे का फैसला लिया। स्मार्ट सिटी कंपनी के इंजीनियर सौरभ माहेश्वरी निगम की जेसीबी और पोकलेन के साथ रात के समय जीपीओ चौराहे पर बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩे पहुंचे थे। जब निगम ने यह काम शुरू किया तो उसे अंदाजा हुआ कि यह काम तो बहुत चुनौतीपूर्ण है। इस कॉरिडोर में बस लेन में लगाई गई जालियां तो निकाली जा सकती हैं, लेकिन उन जालियों का बेस तोडऩा मुश्किल काम है।
इसके बाद नगर निगम ने पूरे बीआरटीएस को तोडऩे का काम ठेके पर देने का फैसला लिया। अब तक निगम द्वारा दो बार बीआरटीएस तोडऩे के काम का टेंडर निकाला जा चुका है, लेकिन इस काम को करने के लिए कोई ठेकेदार फर्म आगे नहीं आई है। अब नगर निगम द्वारा टेंडर की शर्तों में परिवर्तन कर तीसरी बार बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩे का टेंडर निकाला गया है। जब से बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩे का फैसला हुआ है, तब से शहर से यह आवाज उठ रही है कि इस कॉरिडोर की कामन व्हीकल लेन में गाडिय़ां गुत्थमगुत्था होती हैं और इन गाडिय़ों को चलने का स्थान नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में बीआरटीएस का बस वाला कॉरिडोर खाली पड़ा होता है। अब शासन द्वारा इस कॉरिडोर को तोडऩे का फैसला ले लिया गया है तो ऐसे में जरूरी है कि इस कॉरिडोर में बस वाले स्थान में चार पहिया वाहनों को चलने की अनुमति दी जाए। यह आवाज जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों तक पहुंची, लेकिन किसी ने कोई फैसला नहीं लिया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव से लेकर नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा तक इस आवाज को पहुंचाया गया, लेकिन इन जिम्मेदारों ने कोई फैसला नहीं लिया। जिम्मेदारों की यह खामोशी जनता को रास नहीं आई। इस कॉरिडोर पर सत्यसांई चौराहा से लेकर एलआईजी चौराहा तक के क्षेत्र में कई स्थानों पर कामन व्हीकल लेन में गाडिय़ों का जाम लगा होता है। ऐसे में अब नागरिकों द्वारा खुद ही दोपहिया वाहन और चार पहिया वाहन बस के लिए आरक्षित स्थान पर से चलाकर निकालना शुरू कर दिया गया है। बड़ी संख्या में नागरिक अपनी गाडिय़ां लेकर बस के स्थान से गुजर रहे हैं और अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। जब जिम्मेदार फैसला नहीं ले पाते हैं तो जनता को खुद ही फैसला लेना पड़ता है। इंदौर के नागरिकों ने अब फैसला लेकर इस कॉरिडोर का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
अग्निबाण ने उठाया था मुद्दा
बस के लिए आरक्षित स्थान को चार पहिया वाहनों के लिए खोल देने का मुद्दा सबसे पहले अग्निबाण द्वारा उठाया गया था। इस मुद्दे की उपयोगिता और गंभीरता को जनता के प्रतिनिधि कहलाने वाले नेता नहीं समझ सके। इंदौर में पदस्थ अधिकारियों को भी जाम में फंसे नागरिकों के दर्द का एहसास नहीं हुआ। सडक़ पर यातायात को बेहतर करने की दिशा में एक छोटा सा कदम उठाने का फैसला भी लाचारी की स्थिति में नहीं लिया जा सका।
बीआरटीएस तोडऩे के लिए कब क्या हुआ
– मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने 21 नवंबर 2024 को भोपाल की तरह इंदौर का भी बीआरटीएस हटाने की घोषणा की।
– मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी 2025 को सरकार की घोषणा पर अपनी मुहर लगाई।
– निगम की स्मार्ट सिटी कंपनी ने 28 फरवरी 2025 की रात 11.30 बजे जीपीओ चौराहे से बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩा शुरू किया।
– नगर निगम ने 16 अप्रैल को बीआरटीएस कॉरिडोर को तोडऩे के लिए टेंडर जारी किया। इस टेंडर में 3 महीने में कॉरिडोर को तोडऩे का लक्ष्य रखा गया।
– इसमें बस लेन के दोनों तरफ बने हुए बेस, जाली के साथ ही 17 बस शेल्टर भी तोडऩा थे।
– नगर निगम ने इस कॉरिडोर को तोडऩे पर 34 लाख रुपए खर्च होने और इससे निकलने वाले मलबे से 3.37 करोड़ रुपए की
कमाई होने का अंदाज लगाया।
– इस टेंडर में कोई भी ठेकेदार इस काम को करने के लिए राजी नहीं हुआ।
– फिर निगम द्वारा दूसरी बार टेंडर निकाला गया, लेकिन इस बार भी कोई नहीं आया।
– अब निगम ने 21 जून को टेंडर की शर्तें बदलते हुए नया टेंडर जारी किया है।
बस कंपनी ने हटा दिए कर्मचारी
इंदौर सिटी बस कंपनी द्वारा बस की लेन पर हर चौराहे पर कर्मचारी लगाए गए थे। यह कर्मचारी इस लेन में किसी भी प्राइवेट गाड़ी को जाने से रोक देते थे। अब सिटी बस कंपनी के 60 करोड़ रुपए के घाटे को कम करने के लिए इन सारे कर्मचारियों को हटा दिया गया है। ऐसे में अब किसी भी प्राइवेट गाड़ी वाले को इस लेन में जाने से रोकने वाला कोई नहीं है।
बीआरटीएस एक नजर में
– निरंजनपुर चौराहा से राजीव गांधी प्रतिमा चौराहा तक यह कॉरिडोर बनाया गया है।
– यह कॉरिडोर 10.5 किलोमीटर लंबा है।
– यह कॉरिडोर 12 साल पहले इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा 300 करोड़ रुपए खर्च कर बनाया गया था।
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