इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अब इंदौर में पॉजिटिव मरीज डिस्चार्ज होने लगे


– बेड खाली करने के लिए खतरनाक प्रयोग
– कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा बढ़ा, अस्पतालों सहित लोगों की लापरवाही बनेगी घातक
– शुरुआती दौर में दो नेेगेटिव रिपोर्ट पर अस्पतालों से छोड़ा जाता था, अब बिना नेगेटिव छुट्टी
इन्दौर। शुरुआती दौर में कोरोना को गंभीर बीमारी समझने एवं कम्युनिटी स्प्रेड से शहर को बचाने के लिए पुरजोर कोशिश करने वाले प्रशासन ने भी बढ़ते मरीज और अस्पतालों की गंभीर स्थिति को देखते हुए हथियार डाल दिए हैं। प्रारंभिक दौर में दो-दो नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने और शहर को संक्रमण से बचाने वाले प्रशासन ने अब तीन दिनों में ही मरीजों को डिस्चार्ज करने की इजाजत दे दी है, ताकि नए आने वाले मरीजों को अस्पतालों में बेड उपलब्ध हो सके। प्रशासन की इस लचरता के बाद अब शहर के सभी अस्पतालों से डिस्चार्ज होने वाले कम लक्षण या बिना लक्षण के मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद पॉजिटिव रहते हुए भी घर पर ही इलाज कराने और क्वारेंटाइन रहने की सलाह देकर छोड़ा जा रहा है। लेकिन यह मरीज स्वयं को स्वस्थ मानते हुए न केवल परिवार, बल्कि अपने सगे-संबंधियों व मित्रों के साथ घुलते-मिलते हुए पूरे शहर में स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं।
इन्दौर शहर में कोरोना मरीजों का आंकड़ा बेहताशा बढ़ता जा रहा है। सरकारी आंकड़े जहां 200-250 मरीजों की पुष्टि करता हैं वहीं हकीकत में मरीजों की संख्या प्रतिदिन 1 हजार पार जा रही है। दरअसल कई पेशेंट प्रायवेट टेस्टिंग सेंटरों पर जांच के बाद बिना प्रशासन को सूचना दिए घर में ही इलाज करा रहे हैं। ऐसे मरीजों में उन लोगों की तादाद ज्यादा हैं जो घर के किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद उसके संपर्क में आने से पाजीटिव हुए लेकिन उनमें कोरोना के लक्षण नहीं है। प्रशासन भी ऐसे मरीजों के घरों में इलाज की हिदायत कर रहा है क्योंकि हर दिन बढ़ती मरीजों की तादाद के मुकाबले अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा जो मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। उनमें यदि कमजोर लक्षण हो तो उन्हें तीन दिन में परीक्षण के तौर पर रखकर छुट्टी दी जा रही है। एक सप्ताह पहले तक मरीजों को 10 दिन की अवधि के पहले डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता था। उसमें भी शर्त यह थी कि मरीज को बुखार नहीं आना चाहिए, लेकिन अब मरीजों की बढ़ती तादाद और घटते बेड के कारण मरीजों का डिस्चार्ज करने की छुट प्रशासन को देना पड़ी।
पॉजिटिव मरीज घर लौटे तो घर वाले से लेकर इलाके तक लोग सतर्क रहे
कम से कम 14 दिनो से पहले कोई कोरोना मरीज अस्पताल से घर लौट आए तो उसे नेगेटिव न समझें। उसके साथ तमाम तरह की एहतियात बरते हुए दूरी बनाए रखें। यह मरीज घर से बाहर नजर आए तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें।
घर भी क्वारेंटाइन करना बंद
कभी किसी घर से पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद उस इलाकों को सील कर दिया जाता था। फिर घरों को बैरिकेड्स लगाकर सील किया जाने लगा। लेकिन अब तक इलाका तो दूर घर भी सील करना बंद कर दिया है। यहां तक कि इलाके के लोगों को भी बड़ी मुश्किल से कोरोना मरीजों की जानकारी मिल पाती है।
मरीज भी घर जाना चाहते हैं… और अस्पताल भी छोडऩा…
कोरोना रिपोर्ट पाजीटिव आते ही मरीज घबराकर अस्पतालों की तरफ तो दौड़ता है लेकिन लक्षण नहीं होने या मामूली बुखार सर्दी, खासी जैसी स्थिति को भांप कर मरीज घर जाने की जल्दी करने लगते हैं। क्योंकि सरकारी कोविड अस्पतालों में परीजनों के न होने के साथ ही भारी अव्यवस्थाओं के चलते मरीज घबराने लगते हैं तो प्रायवेट अस्पतालों में बढ़ते बिलों से घबराकर मरीज अस्पताल छोडऩा चाहते हैं।
अस्पताल भी पुराने को निचोडक़र नए को पकडऩे के इच्छुक
कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे निजी अस्पताल भी कम बजट वाले मरीजों को जल्दी छोडऩे की फिराक में रहते हैं। ताकि उससे उसकी हैसियत का पैसा वसूल कर नए मरीजों को निचौडऩे की तैयारी की जा सके। अस्पतालों की लूट खसोट की खबरें वैसे भी आम हो रही है और अस्पतालों ने भी पुराने छोडक़र नए पकडऩे का नया इलाज ढूंढ लिया है।

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