न्यूयार्क। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में इस्राइल और फिलिस्तीन (Israel and Palestine) के बीच विवाद के मसले पर भारत (India) ने अपना पक्ष रखते हुए भारत ने कहा था कि आखिर दोनों राज्यों के बीच मसला कैसे सुलझेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच स्थायी शांति की गारंटी के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं हैं। इस विवाद के समाधान के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है जो हमें वहां तक ले जा सकती है।
तो दूसरी ओर एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अफगानिस्तान पर वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी राजदूत रुचिरा कंबोज ने भारत का पक्ष रखा। रुचिरा कंबोज ने यूएनएससी में कहा तालिबान और अल-कायदा के बीच घनिष्ठ संबंध बने हुए हैं और भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (AQIS) जैसे अल-कायदा के प्रमुख नेतृत्व और संबद्ध समूहों की अफगानिस्तान और क्षेत्र दोनों में उपस्थिति को रेखांकित किया गया है। इससे अफगानिस्तान और इसके आस-पास के क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि काबुल में प्रशासन पूरी तरह से तालिबानी है। तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से चिंता व्यक्त की गई है कि समूह ने नीतियों को उलट दिया है और वह सत्ता संभालने से पहले की गई प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गया है। कंबोज ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों सहित मानवाधिकारों के हनन पर भी चिंता व्यक्त की गई है। साथ ही समावेशी शासन में प्रगति की कमी है। कंबोज ने कहा कि अफीम पोस्त की खेती, मेथामफेटामाइन ड्रग के उत्पादन और तस्करी में जारी उछाल के साथ अफगानिस्तान में सबसे बड़ी अवैध आर्थिक गतिविधि बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि तालिबान द्वारा अप्रैल में अफीम पोस्त की खेती सहित नशीले पदार्थों के उपयोग और तस्करी पर प्रतिबंध लगाने के फरमान जारी करने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र ने 2021 के दौरान अफीम की खेती में 32 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। साथ ही 2022 में अफीम की खेती पर प्रतिबंध की घोषणा के कारण अफीम की कीमतें बढ़ गई हैं।
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