ब्‍लॉगर

ऑनलाइन क्लास और बच्चों पर उसका प्रभाव

– योगेश कुमार सोनी

कुछ लोगों को ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चों को मोबाइल फोन देना भारी पड़ रहा है। परिवार व बच्चों को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। कुछ बच्चे तो क्लास के चलते व उसके बाद मोबाइल फोन में अश्लील चीजें देखने के आदी हो गए। खेल के मैदानों से बच्चों की बढ़ती दूरी और हर समय इंटरनेट तक उनकी पहुंच ने इस स्थिति को बिगाड़ कर रख दिया है।

कोरोना की वजह से पूरी दुनिया बदल गई। लोगों की कार्यशैली और जीवनशैली पहले से बहुत अलग होने लगी। खासतौर से बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। कोरोना संकट से शिक्षा के ढंग-ढर्रे में बदलाव आया। बच्चे इसकी आड़ में अश्लील चीजें देखने लगे जो इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध है। बच्चों ने हर सोशल माध्यम पर अपना अकाउंट बना लिया। इन सोशल साइट्स में भी नये-नये बदलावों ने बच्चों की रुचि और उनके मनोभावों को बदल दिया है, जो चिंताजनक है। मसलन, फेसबुक पर कुछ महीनों पहले से ऊपर वाले हिस्से पर विंडो बनी होती है, जिस पर वीडियो का भी नया ऑप्शन जुड़ा है। उसका नोटिफिकेशन भी आता है। इसमें दूसरी क्लिपिंग्स के साथ अश्लील किस्म के वीडियो भी आने लगी है। इन वीडियो को जब तक देख नहीं लिया जाता है तब तक नोटिफिकेशन नहीं हटता।

दुनिया बदली तो लोगों की सोच बदली। बेहद छोटी उम्र में बच्चों के पास पर्सनल मोबाइल रहने लगा। माता- पिता सोचते हैं कि बच्चे स्कूल का होमवर्क कर रहे हैं। अब लगभग हर स्कूल के होमवर्क स्कूलों की वेबसाइट या दूसरे माध्यमों पर आने लगे। इसलिए माता-पिता बच्चों को ज्यादा रोकते-टोकते नहीं। न उनपर लगातार निगरानी रखना संभव है। नतीजतन, ज्यादातर बच्चे पढ़ाई की आड़ में सोशल साइट्स पर लगे रहते हैं। जब बच्चे गलत वीडियो देखते हैं तो निश्चित तौर पर उनका मन भी विचलित होगा। अधिकतर देखा जाता है कि यह सब देखने के बाद बच्चे अपने माता-पिता या घर के अन्य सदस्यों से उन जिज्ञासाओं के बारे में न पूछकर बाहर वालों से पूछते हैं। इस कारण ऐसे बच्चों के साथ गलत होने का खतरा बढ़ जाता है। जो बच्चे अपने माता-पिता से पूछ लेते हैं, वे उन्हें डांटकर या किसी और तरीके से समझा लेते हैं।

बच्चे मना करने वाली चीजों के ज्यादा करीब जाते हैं। कम उम्र में गलत आदतें बच्चों को जीवन की अच्छी धारणाओं से भटका देती हैं। जब तक माता-पिता को पता चलता है, तब तक उस बच्चे व उसके परिवार की जिंदगी खराब हो चुकी होती है। ऐसे तमाम उदाहरण रोजाना देखने को मिल रहे हैं।

आज के हाईटेक चोर भी अब लोगों के घर जाने से पहले सोशल साइड्ट के जरिये परिवार की दिनचर्या व जीवनशैली जान लेते हैं। इसके सजीव उदाहरण महानगरों में देखने को मिल रहे हैं। जैसा कि आजकल हर कोई अपने जीवन से जुड़ी हर घटना सोशल साइट्स पर डालता है। आजकल के तकनीकी चोरों को यह पता चल जाता है कि वह परिवार छुट्टियां मनाने बाहर गया है, तभी उनके यहां चोरी करते हैं।

रोजाना चीजें हाईटेक हो रही हैं, तकनीक भी बदल रही है। ऐसे में माता-पिता दोनों की जिम्मेदारियां बढ़ गयी है। ऐसे में बच्चों के मोबाइल फोन के प्रयोग पर ध्यान दें। उसके खतरों से आगाह रहें।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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