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ऑनलाइन गेम्स बन रहे जुए के अड्डे, संसद में उठा बैन लगाने का मुद्दा

नई दिल्ली । ओमिक्रॉन ने तो भारत में अपना गेम चालू कर दिया है. लेकिन भारत में ऑनलाइन गेम्स (online games) भी अब एक महामारी का रूप ले चुके हैं. इसलिए आइए जानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी (Crypto Currency) की तरह क्या अब भारत में ऑनलाइन गेमिंग पर भी प्रतिबंध लग सकता है? संसद में शुक्रवार को Online Gaming पर बहस हुई, जिसमें इसे नियंत्रित करने और इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई. ऐसा इसलिए क्योंकि जो गेम्स पहले टाइम पास करने का जरिया हुआ करते थे, वो अब जुए की आदत में बदल चुके हैं.

गेम्स हैं या जुए का अड्डा?
ये एक ऐसी लत है, जिसके शिकार लोग 24 घंटे बिना रुके ऑनलाइन गेम्स खेलना चाहते हैं और बहुत सारे ऑनलाइन गेम्स में तो पैसे कमाने का भी विकल्प होता है. इसलिए कई युवाओं ने तो इसे अपने फुल टाइम जॉब बना लिया है. इसलिए अब भारत की संसद में भी ऑनलाइन गेमिंग पर बहस हुई और इस दौरान ये सवाल पूछे गए कि क्या इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए, इन पर नियंत्रण करना चाहिए या फिर इससे होने वाली कमाई पर टैक्स लगना चाहिए?


संसद में उठा मुद्दा
राज्यसभा में बीजेपी के सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने इन सवालों को संसद में उठाया. उन्होंने कहा कि बच्चों को इसकी बुरी आदत पड़ गई है और ये समझ नहीं आता कि ये बच्चों को Skill सिखाते हैं या फिर जुए की आदत डालते हैं और अगर ऑनलाइन गेमिंग में इतना ज्यादा पैसा शामिल है, तो फिर सरकार इस पर टैक्स लगाने का विचार क्यों नहीं करती.

करोड़ों में है ऑनलाइन गेम्स का बाजार
साल 2016 में भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार 4 हजार करोड़ रुपये का था, जो अब 7.5 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है और ये बाजार हर साल 18% की रफ्तार से बढ़ रहा है. इस गति से भारत में ऑनलाइन गेमिंग का ये बाजार वर्ष 2023 तक 15 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा. आपको बता दें कि भारत में पिछले साल तक ऑनलाइन गेम्स खेलने वाले लोगों की संख्या 36 करोड़ थी, जो अगले साल तक 51 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. यानी भारत की आधी आबादी ऑनलाइन गेम्स खेलने में व्यस्त होगी. यूजर्स की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो इनकी संख्या भारत में क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों से भी कई गुना ज्यादा है. लेकिन इसे लेकर भारत में अभी तक कोई कानून नहीं है और ना ही इसमें जो पैसा शामिल है, उस पर कोई टैक्स लगता है.

ऐसे कमाती हैं गेमिंग कंपनियां
गौरतलब है कि ऑनलाइन गेम्स में पैसा तीन तरीके से शामिल होता है. पहला रजिस्ट्रेशन फी के रूप में, जिस पर कंपनियां सरकार को टैक्स देती हैं.
दूसरा- ज्यादातर ऑनलाइन गेम्स Prize Money, Pool करते हैं. यानी गेम खेलने वाले लोग इस पूल में पैसा डालते हैं और फिर जो व्यक्ति गेम जीतता है, उसे इनाम की सारी राशि मिल जाती है. लेकिन इस पर कोई टैक्स नहीं लगता.
इसके अलावा ऑनलाइन गेम्स खेलने के दौरान जो विज्ञापन आते हैं, उससे भी कंपनियों को कमाई होती है और इस पर भी टैक्स लगता है.

कंपनियों को सता रहा इस बात का डर
रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार अब ऑनलाइन गेम्स पर एक सिंगल टैक्स लगा सकती है. फिलहाल इन पर दो अलग अलग तरीके के Tax लगते हैं, जो Skill पर आधारित Games होते हैं, उन पर 18% टैक्स लगता है और जिनमें लोग अपनी किस्तम आजमाते हैं, जैसे Ludo, Poker या Rummy उन पर 28% टैक्स लगता है. हालांकि गेमिंग कंपनियां जोर देती हैं कि दोनों ही स्किल बेस्ड गेम्स हैं. लेकिन आप खुद सोचिए पासा फेंकना, पत्ते फेंटना या मोबाइल फोन पर जल्दी-जल्दी, अलग-अलग बटन दबाना Skill कैसे हो सकता है. लेकिन कंपनियों को डर है कि अगर सरकार ने Single TaX सिस्टम लागू किया तो दोनों तरह के Games पर 28% टैक्स लग सकता है, जिससे कंपनियों की कमाई कम हो जाएगी.

लत है बुरी!
लेकिन समस्या सिर्फ पैसे या टैक्स की नहीं है. बल्कि ये भी है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों को क्या बड़ों को भी लग जाती है और Games खेलने वाले चाहे स्कूल में हो या दफ्तर में, वो हर समय Games ही खेलना चाहते हैं.

चौंकाते हैं ये आंकड़े
पिछले साल भारत में हुए एक सर्वे में 20 साल से कम उम्र के 65% बच्चों ने माना था कि वो ऑनलाइन गेम्स खेलने के लिए खाना और नींद तक छोड़ने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा बहुत सारे बच्चे तो इसके लिए अपने Parents का पैसा तक चुराने के लिए तैयार हैं. Gaming Addiction की ये समस्या सिर्फ भारत में नहीं है. पिछले साल ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में हर 6 में से एक बच्चे ने ये माना था कि उन्होंने गेम खेलने के लिए अपने मां बाप का पैसा चुराया है.

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