इंदौर न्यूज़ (Indore News)

फर्जी बिलों के जरिए निगम से हड़पे करोड़ों में से 80 फीसदी तक हिस्सा बंटता रहा अफसरों में, सनावदिया में 4 बीघा जमीन भी मिली

  • 107 करोड़ का चर्चित निगम घोटाला… विभागीय मंत्री के निर्देश के बाद आयुक्त ने शुुरू की निलंबन की कार्रवाई, 188 फाइलों की विभागीय जांच रिपोर्ट भी आज हो जाएगी तैयार

इंदौर। नगर निगम के बहुचर्चित 107 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में पुलिस ने जहां आरोपियों की संख्या बढ़ाते हुए लेखा विभाग के बाबू राजकुमार सालवी को गिरफ्तार किया, वहीं वडेरा दम्पति से देर रात तक पूछताछ की गई, जिसमें यह चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई कि इन फर्जी बिलों के जरिए इन ठेकेदार फर्मों ने जो 80 करोड़ रुपए तक की राशि निगम खजाने से हासिल कर ली, उसमें से 70 से 80 फीसदी तक हिस्सा घोटाले के मास्टरमाइंड इंजीनियर अभय राठौर से लेकर ऑडिटर और लेखा शाखा के बाबू सहित अन्य को बांटा जाता रहा। यानी ठेकेदारों के पास 20 से 30 फीसदी राशि ही रहती थी। चूंकि यह भी करोड़ों में है, जिससे अचल सम्पत्तियां खरीदी गईं।

आलीशान बंगले के अलावा राहुल वडेरा ने कुछ समय पहले सनावदिया में 4 बीघा जमीन भी खरीदी, उसकी भी जानकारी पुलिस को मिली, साथ ही अग्निबाण द्वारा खाली भूखंड पर खड़ी वडेरा की महंगी गाड़ी की खबर के बाद कल पुलिस ने उस फॉच्र्युनर गाड़ी को भी अपनी जब्ती में ले लिया। दूसरी तरफ विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के निर्देश पर आयुक्त शिवम वर्मा ने अभय राठौर को निलंबित किया, वहीं सब इंजीनियर उदय भदौरिया और एंट्री ऑपरेटर चेतन भदौरिया को सेवा से ही बर्खास्त कर डाला, वहीं आज आयुक्त को विभागीय जांच की रिपोर्ट भी मिल जाएगी।

अग्निबाण द्वारा लगातार इस घोटाले की परत दर परत उजागर की जा रही है, जिसमें कल यह खुलासा किया गया कि क्षितिज और जाह्नवी इंटरप्राइजेस फर्म के कर्ताधर्ता राहुल वडेरा और रेणु वडेरा का जो आलीशान बंगला निपानिया स्थित अपोलो डीबी सिटी के अपटाउन में निर्मित है, वहीं पर एक खाली भूखंड डी-20 पर 50 लाख रुपए से अधिक की कीमत वाली लग्जरी एसयूवी फॉच्र्युनर, जिसका नम्बर एमपी 09 सीझेड 6000 है, उसे फरारी से पहले छुपाकर खड़ा किया गया। एमजी रोड पुलिस ने कल इस लग्जरी गाड़ी को भी अपनी जब्ती में ले लिया। आरटीओ से मिली जानकारी के मुताबिक इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन राहुल वडेरा की पत्नी और एक फर्म की कर्ताधर्ता रेणु वडेरा है। दूसरी तरफ पुलिस ने नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई पांचों ठेकेदारों की अचल सम्पत्तियों की जानकारी तो जुटाई ही, वहीं अभी गिरफ्तारी के बाद राहुल वडेरा से की गई पूछताछ में उसने अन्य सम्पत्तियों की भी जानकारी दी है, जिसमें सनावदिया स्थित चार बीघा जमीन भी शामिल है।

उसकी कीमत भी 20 करोड़ रुपए से अधिक होती है। वहीं लैंड लॉर्ड टाउनशिप में भूखंड सहित अन्य सम्पत्तियों की भी जानकारी मिली है। वहीं पुलिस सूत्रों के मुताबिक राहुल वडेरा के एक पार्टनर कपिल आर्य से भी पूछताछ की जा सकती है, जिसकी रियल इस्टेट सहित अन्य कारोबार में वडेरा के साथ भागीदारी उजागर हुई है। वहींं डीसीपी झोन-3 पंकज पांडे का कहना है कि गिरफ्तार किए गए राहुल वडेरा और रेणु वडेरा के साथ निगम की लेखा शाखा के बाबू राजकुमार सालवी को कोर्ट में पेश किया गया और 4 मई तक पूछताछ के लिए पुलिस को उनका रिमांड मिल गया है। इन ठेकेदारों ने पूछताछ में इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड निगम के इंजीनियर अभय राठौर को ही बताया है और बदले में मोटी कमीशन की राशि बांते रहे, जिसमें से राठौर के ही हिस्से में लगभग 50 फीसदी राशि जाती रही, तो ऑडिटर से लेकर अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों को भी 15 से 30 प्रतिशत तक निगम से हासिल राशि में से हिस्सा दिया जाता रहा। इस तरह 70 से 80 फीसदी राशि कमीशन के रूप में बांटी जाती रही। एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने बताया कि आरोपियों की चल-अचल सम्पत्तियों की लगातार खोज-पड़ताल की जा रही है।

पानी के टैंकरों का भी हो चुका है 5 करोड़ का भुगतान
निगम के जिस इंजीनियर अभय राठौर को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया। उसने बीते वर्षों में ट्रेंचिंग ग्राउंड से लेकर उद्यान, जल यंत्रालय सहित अन्य में भी इसी तरह के फर्जीवाड़े किए। यहां तक कि राहुल वडेरा ने पानी के टैंकर सप्लाय का ठेका भी कुछ वर्ष पूर्व हासिल किया और उसके 7 करोड़ के बिल निगम को अभी मिले हैं, जिसमें से 5 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है और 2 करोड़ रुपए का भुगतान अभी रोक लिया गया। हालांकि जल यंत्रालय का कहना है कि यह फर्जी बिल का मामला नहीं है, बल्कि गर्मियों में जो टैंकर किराए पर लिए जाते हैं उसका सही बिल है।

पति ने इतना बड़ा घोटाला किया, मुझे अब पता चला
पुलिस की गिरफ्त में आए राहुल वडेरा की फर्म जाह्नवी इंटरप्राइजेस है तो उनकी पत्नी रेणु वडेरा के नाम पर क्षितिज इंटरप्राइजेस बनाई गई। पुलिसिया पूछताछ में रेणु वडेरा ने बताया कि उसे तो अब पता चला कि पति ने इतना बड़ा घोटाला कर दिया। वह तो सीधी-सादी गृहिणी है और उसके नाम पर पति ने फर्म खोली और बैंक खाते में जो राशि जमा होती थी, उसे निकालकर पति राहुल को सौंप देती थी। पूछताछ में रेणु बार-बार रोते हुए खुद को बेकसूर भी बताती रही और कहा कि जहां पति बोलते थे, वहां वह अपने साइन कर देती थी। उसे लगा कि पति निगम की ठेकेदारी करता है और सही काम ही होगा।

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