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फिर पड़ेगी मंहगाई की मार : युद्ध के कारण नहीं, अब इन कारणों से महंगे होंगे पेट्रोल-डीजल !

नई दिल्ली । वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतें साल 2014 के बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंची हैं। रूस और यूक्रेन की लड़ाई (Russia Ukraine War) से कच्चे तेल की कीमतों में और उछाल आने की आशंका है।
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का सीधा असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol Diesel Price) पर पड़ता है। क्रूड ऑयल के वैश्विक भाव में उतार-चढ़ाव के साथ सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी फेरबदल करती हैं। पिछले साल दिवाली के बाद से क्रूड ऑयल की कीमतों में तो भारी उछाल आ चुका है। लेकिन पेट्रोल-डीजल के भाव में कोई फर्क नहीं आया है।


5 राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद बढ़ेंगे ईंधन के दाम
पिछली दिवाली से अब तक सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। अब बाजार के जानकारों और राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर शर्त लगा रहे हैं कि यह पांच राज्यों में चुनाव (election) के नतीजों की तारीख यानि की 10 मार्च के बाद ईंधन के दाम बढ़ना तय है। अब आप समझ गए होंगे की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के पीछे आर्थिक कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक कारण है।

सरकार ने बढ़ाया था टैक्स..
पिछले साल पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी के पीछे बड़ा कारण क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोत्तरी नहीं, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से टैक्स में गई बढ़ोत्तरी थी। पिछले साल फरवरी से मई के बीच केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर सीमा शुल्क को क्रमश: 13 रुपये प्रति लीटर और 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया था।


टैक्स कम कर दी थी राहत
जनता को राहत देने के लिए टैक्स घटाने की सरकार की टाइमिंग हम देखें, तो आपको चुनावी कारण जरूर नजर आएगा। बढ़ती तेल की कीमतें चुनावों (election) के लिए भी एक बड़ा खतरा थीं। सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर सीमा शुल्क को 1.5 रुपये प्रति लीटर घटाया था और तेल कंपनियों से कीमत में एक रुपया प्रति लीटर कम करने के लिए कहा था।

लागत और खुदरा कीमतों में है बड़ा अंतर
नवंबर में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स (tax) घटाया था। उस समय पेट्रोल की कीमत 103.97 रुपये प्रति लीटर व डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर पर थी। Ballpark के अनुसार, क्रूड ऑयल में प्रत्येक एक डॉलर की बढ़ोत्तरी खुदरा कीमतें में 70 से 80 पैसे की बढ़ोत्तरी करती है। इसका मतलब है कि पेट्रोल और डीजल में सात से आठ रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। इतनी बड़ी बढ़ोत्तरी एक साथ नहीं की जा सकती। इसका मतलब है कि ग्राहकों को धीरे-धीरे पेट्रोल डीजल की कीमतें ऊपर चढ़ती हुई दिखाई देंगी।
अगर पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें अगले महीने से बढ़ना शुरू होती हैं, जैसा कि कई लोंगो को उम्मीद है, तो शुरुआती दिनों में होने वाली बढ़ोत्तरी यूक्रेन संकट (Russia Ukraine War) के कारण नहीं होगी, बल्कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा कीमतों को रिकवर करने के चलते होगी।

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