देश

प्रशांत भूषण अवमानना केसः 280 कैरेक्टर से हिल रहे लोकतंत्र के खंभे?-अरुण शौरी


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में न्यायपालिका की अवमानना के दोषी पाए गए वकील प्रशांत भूषण के मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने कहा है कि ‘राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री हों या जज हो… जो भी शख्स बड़े पदों पर पदासीन होता है, वह कुर्सी उसके बैठने के लिए होती है ना कि खड़े होने के लिए। बता दें भूषण मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। आसार हैं कि सोमवार को इस मामले में सुनवाई हो। गुरुवार को सुनवाई के दौरान भूषण ने अदालत से माफी मांगने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि उन्हें समझा नहीं गया।
शौरी ने भूषण मामले से जुड़े ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं इस अचरज में हूं कि 280 कैरेक्टर्स से लोकतंत्र के खंभे हिल रहे हैं। मेरा मानना है कि अदालत की छवि इतनी नाजुक नहीं है और 280 कैरेक्टर से सुप्रीम कोर्ट अस्थिर नहीं हो जाएगा। शौरी ने कहा कि अदालत स्तर बहुत ऊंचा है। अगर आप कुल्हाड़ी से मच्छर मारने की कोशिश करेंगे तो अपना ही पैर काटेंगे।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति ट्वीट के लिये क्षमा याचना से इनकार करने संबंधी अपने बगावती बयान पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने के लिये गुरुवार को 24 अगस्त तक का समय दिया। अदालत ने अवमानना के लिये दोषी ठहराये गये भूषण की सजा के मामले पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई का उनका अनुरोध ठुकरा दिया है।
अदालत ने इस मामले में भूषण को दी जाने वाली सजा के सवाल पर सुनवाई पूरी करते हुये उनका यह अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया कि इस फैसले के खिलाफ अभी दाखिल की जाने वाली पुनर्विचार याचिका पर निर्णय होने तक सुनवाई स्थगित कर दी जाये।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि अगर भूषण बिना शर्त माफीनामा दाखिल करते हैं तो वह 25 अगस्त को इस पर सुनवाई करेगी। भूषण को ‘लक्ष्मण रेखा’ का ध्यान दिलाते हुये शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि इसे क्यों लांघा गया। साथ ही अदालत ने टिप्पणी की कि अवमानना के मामले में सजा पर बहस की सुनवाई के लिये इसे किसी दूसरी पीठ को सौंपने की बात करके ‘अनुचित’ कृत्य किया गया है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘मुख्य मामले में सजा के सवाल पर दलीलें सुनी जा चुकी हैं। आदेश सुरक्षित रखा गया। हमने अवमाननाकर्ता (भूषण) को बिना शर्त क्षमायाचना करने के लिये, यदि वह ऐसा चाहें, समय दिया है। इसे 24 अगस्त तक दाखिल किया जाये। यदि क्षमा याचना दाखिल होती है तो इस पर विचार के लिये मामले को 25 अगस्त को सूचीबद्ध किया जाये।
शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति दो ट्वीट के लिये आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। अदालत ने कहा था कि इन ट्वीट को ‘जनहित में न्यायपालिका की कार्यशैली की स्वस्थ आलोचना के लिये किया गया’ नहीं कहा जा सकता। अदालत की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है।

Share:

Next Post

सोनू सूद से रोजाना हजारों लोग मांगते हैं मदद, अभिनेता ने शेयर किए आंकड़े

Fri Aug 21 , 2020
अभिनेता सोनू सूद अपने काम की वजह से इन दिनों सुर्खियों में हैं। कोरोना संकट के दौरान सोनू सूद प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए मसीहा बने हैं। अभिनेत्री सोनू हमेशा लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने अब तक हजारों जरूरतमंद लोगों की मदद की है। लोग हर दिन उनसे सोशल मीडिया पर […]