देश

रेलवे ने दिव्यांग एथलीट्स को दिया ऊपर की बर्थ अलॉट, टीटीई ने भी पल्‍ला झाड़ दिया

नई दिल्ली (New Dehli)। भारतीय रेलवे में सिस्टम (systems in indian railways)और इस सिस्टम को चलाने वाले बाबूओं की समझ और संवेदनहीनता (anesthesia)का इससे बेहतरीन नमूना शायद आपने नहीं देखा होगा। शहर के पैरा-एथलीटों को भारतीय रेलवे की तरफ से ट्रेन से यात्रा करते समय ऊपर की बर्थ अलॉट की गई थी। ये एथलीट गोवा में 22वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप से लौट रहे थे। ऐसे में अब विकलांग एथलीट को जो मुश्किल हुई उसका दर्द तो सिर्फ वहीं समझ सकते हैं। ऊपर से जब टीटीई से बात की गई तो उनकी तरफ से भी कोई मदद नहीं मिली। इसके अलावा रेल अधिकारियों की तरफ से भी कोई जवाब नहीं मिल सका।


तीसरे दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार क्यों?

गोवा में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतने वाली पैरा-एथलीट सुवर्णा राज ने कहा कि कोई राष्ट्रीय एथलीट हो सकता है, देश को गौरवान्वित कर सकता है, लेकिन उनके साथ तीसरे दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार किया जा रहा है। सुवर्णा राज भी उन एथलीट में शामिल थीं जिन्हें अपर बर्थ अलॉट की गई थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने बुकिंग के समय अपनी विकलांगता के बारे में बताया था, लेकिन फिर भी उन्हें थ्री-टियर एसी डिब्बे में आरएसी के तहत अपर बर्थ अलॉट की गई। उन्होंने इस संबंध में टीटीई से संपर्क किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

पहले से टिकट बुक क्यों नहीं किए?

सुवर्णा राज ने कहा कि जब हमने यात्रियों से सीटें बदलने के लिए कहा तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। हम टीटीई के पास गए, जिन्होंने भी हमारी मदद नहीं की। उन्होंने पूछा कि अगर हमें विशेष सीटें चाहिए थीं तो हमने पहले से टिकट क्यों नहीं बुक किए। एक अन्य पैरा-एथलीट, गजेंद्र पाल ने कहा कि विकलांग व्यक्ति के लिए ट्रेन में यात्रा करना एक भयानक अनुभव है। मुझे ऊपर की बर्थ दी गई है। साथी यात्रियों से भीख मांगने के बाद ट्रेन में चढ़ने के दो घंटे बाद, मैंने अपनी सीट दूसरे यात्री से बदल ली। गजेंद्र ने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था।

व्हीलचेयर वाला कैसे यूज करे टॉयलेट

गजेंद्र पाल व्हील चेयर के जरिये चलते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन में शौचालय व्हीलचेयर यूजर के लिए नहीं हैं। इसलिए अब अगले 24 घंटों तक मैं पानी भी नहीं पी सकता ताकि मुझे वॉशरूम न जाना पड़े। राज ने कहा कि यह विकलांग व्यक्तियों के लिए अक्सर सामना की जाने वाली कठिन परीक्षा थी। उन्होंने कहा कि अक्सर, हमें गलत बर्थ दे दी जाती है। क्या हमें सिर्फ घर पर ही रहना चाहिए? अगर ऑनलाइन बुक नहीं किया जा सकता तो विकलांगों के लिए सीटें क्यों जोड़ें? उन्होंने कहा कि सिस्टम को बदलने की जरूरत है ताकि आपको ऑटोमेटिक रूप से किसी ऐसे व्यक्ति के लिए निचली बर्थ मिल जाए जो विकलांग है।

Share:

Next Post

शिवाजी मार्केट के 126 दुकानदारों को निगम ने दिए शिफ्टिंग के नोटिस, हाईकोर्ट में केविएट भी लगाई

Mon Jan 15 , 2024
अधिकांश दुकानदारों ने कागजात भी जमा कराए, अब खुलेगी लाटरी इंदौर। शिवाजी मार्केट की वर्षों पुरानी 126 दुकानों को तोडऩे की तैयारी है। इसके लिए नगर निगम ने वहां के दुकानदारों को शिफ्टिंग के नोटिस दिए हैं। साथ ही कई दुकानदारों ने अपनी मालिकी हक के कागजात भी निगम में जमा करा दिए हैं। कोई […]