कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)) की पश्चिम बंगाल ईकाई ने सोमवार को राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा को पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों ((Bangladesh Communal Violence) पर हाल के हमलों के लिए ट्रिगर के रूप में जिम्मेदार ठहराया और इस मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखने के लिए राज्य के बुद्धिजीवियों को फटकार लगाई। आरएसएस के राज्य महासचिव जिष्णु बसु ने दावा किया कि इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद “हिंदुओं पर हमले” से बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को प्रोत्साहित किया गया था और इससे उस देश में हिंसा हुई भड़की।
बंगाल में चुनाव बाद की हिंसा बांग्लादेश की घटना के लिए जिम्मेदार
बसु ने बताया, “यदि आप बांग्लादेश में हिंसा के तौर-तरीकों को देखें, तो आप समझेंगे कि घटना के पीछे का कारण पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा है। हिंदू बंगालियों पर अत्याचारी हमले ने एक संदेश दिया है कि हिंदू बंगाली हार गए हैं और इसने सीमा के दूसरी ओर कट्टरपंथियों को वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले करने के लिए प्रोत्साहित किया।”
बांग्लादेश में पुलिस और कट्टरपंथियों की झड़प में 5 की मौत, कई घायल
ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दूर कुमिला में एक दुर्गा पूजा मंडप में कथित ईशनिंदा की घटना को लेकर बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद कई प्रभावित क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा था। हालांकि, मीडिया में हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की घटना से संबंधित जानकारी सामने आने के बाद पुलिस और कट्टरपंथियों के बीच छिटपुट झड़पें हुईं, जिनमें कम-से-कम पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
बसु ने कहा, बंगाल पुलिस निष्क्रिय; बुद्धिजीवियों की चुप्पी पर भी उठाए सवाल
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में हमने देखा है कि पुलिस ने कम-से-कम कुछ कार्रवाई की है, दंगाइयों को गोली मारी है. लेकिन पश्चिम बंगाल में पुलिस निष्क्रिय है.” बसु ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को लेकर बंगाल के बुद्धिजीवियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) का विरोध किया था, वे अब चुप हो गए हैं. वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों पर पूरी तरह चुप्पी बनाए हुए हैं. जो लोग राजनीतिक कारणों से सीएए का विरोध करते हैं, वे बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में नहीं सोचते हैं. हम शुरू से ही सीएए का समर्थन करते हैं।”
केंद्र और बंगाल सरकार दोनों को हमले के खिलाफ बोलना चाहिए
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों को आधिकारिक तौर पर हिंदुओं पर हमले के खिलाफ बोलना चाहिए, बसु ने सकारात्मक जवाब दिया। संघ की बंगाल ईकाई ने कहा, “हां, उन्हें ऐसा करना चाहिए. बहुत-सी चीजों पर विचार किया जाता है, जैसे राजनयिक संबंध और बांग्लादेश में वर्तमान सरकार. लेकिन इससे पहले, समाज को बोलने की जरूरत है. क्यूबा और निकारागुआ की घटनाओं से ग्रस्त (वामपंथी बुद्धिजीवियों) को भी बांग्लादेश में अपने साथी भाइयों के बारे में सोचना चाहिए. उन हमलों के खिलाफ बोलने में कुछ भी सांप्रदायिक नहीं है।”