भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

स्मार्ट सिटी भोपाल: एटीसीएस से ट्रैफिक सिग्नल हो रहे स्मार्ट

  • सोलर पैनल लगने से बढ़ेगी सिग्नल की क्षमता, जाम से भी मिलेगी मुक्ति

भोपाल। स्मार्ट सिटी भोपाल आपका स्वागत करता है यह आवाज जल्द ही भेल क्षेत्र के मुख्य चौराहों पर भी सुनाई देने लगेगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत राजधानी में भी ऑटोमेटिक ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (एटीसीएस) को लागू किया गया है। इस सिस्टम के पूरी तरह लागू होने के बाद शहरवासियों को गाड़ी चलाते समय न सिर्फ ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी, बल्कि हर जगह सिग्नल पर लगने वाले समय की बचत भी होगी। सिग्नल पर सोलर पैनल लगाकर इसकी क्षमता को और भी बढ़ाया जा रहा है।

लाइट बंद होने के बाद भी चलते रहेंगे सिग्नल
शहर में इन सिग्नलों को सोलर पैनल लगाकर और स्मार्ट बनाया जा रहा है। इससे बिजली बंद होने के बाद भी ट्रैफिक सिग्नल काम करना बंद नहीं करेंगे। अभी लाइट बंद हो जाने से ट्रैफिक सिग्नल काम करना बंद कर देते हैं। इससे कई बार ट्रैफिक जाम के हालात बन जाते हैं।


संख्या के अनुसार तय होगा सिग्नल का समय
स्मार्ट सिटी भोपाल द्वारा शहर के सभी 65 जंक्शन पॉइंट पर इन सिग्नल को लगाए जाने का काम चल रहा है, जो मार्च तक पूरा होना है। लगभग 20 करोड़ की लागत से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट से शहर की जनता को ट्रैफिक जाम से छुटकारा मिलेगा। मौजूदा समय में लगे ट्रैफिक सिस्टम सामान्य इंफोर्समेंट सिस्टम तकनीक पर काम करते हैं। इनमें टाइमिंग के आधार पर ही सिग्नल बदलता है। इससे सडक़ खाली होने के बाद भी सिग्नल बदलने के बाद ही आगे बढ़ा जा सकता है। इससे कई बार सडक़ पर जाम का सामना करना पड़ता है। एटीसीएस सिस्टम से सिग्नल मौजूदा ट्रैफिक के दबाव या गाडिय़ों की संख्या को देख कर खुद तय कर सकेंगे कि कौन सा सिग्नल कब बदलना है। या यूं कहें की गाडिय़ों की संख्या के आधार पर ही ट्रैफिक सिग्नल खुद-ब-खुद लाल, हरा या पीला सिग्नल देगा। इससे सिग्नल पर बेवजह लगने वाले समय से बचत होगी।

ऑटोमेटिक ट्रैफिक सिस्टम की खूबियां
इस सिस्टम से सिग्नल को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। कंट्रोल रुम से देख कर एक ही जगह से पूरे शहर के ट्रैफिक को कंट्रोल किया जा सकता है। किसी खास मौके पर जैसे ग्रीन कॉरिडोर बनाने, वीआइपी मूवमेंट या अन्य किसी स्थिति से निपटने में इस सिस्टम से आसानी होगी। अभी इन परिस्थितियों में पुलिस और निगम को आपस में तय करना पड़ता है, जिसमें दिक्कत होती है। सिग्नलों को कैमरों से जोड़ा जा रहा है, जिससे कि सिग्नल तोडऩे पर या ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर चालान भी घर पर पहुंच जाएगा।

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