धर्म-ज्‍योतिष

14 दिसंबर को होगा साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण, इस देश पर पड़ेगा ज्‍यादा दुष्‍प्रभाव

14 दिसंबर की रात को साल 2020 का अंतिम सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह सूर्यग्रहण यूं तो भारत में दिखेगा नहीं क्योंकि ग्रहण के दौरान भारत में रात का समय होगा। लेकिन ग्रहण का प्रभाव ना केवल दुनिया के विभिन्न देशों पर होगा बल्कि यह भारत के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा। इससे भारत की राजधानी दिल्ली और एनसीआर पर खास असर दिखेगा। ज्योतिषशास्त्री सचिन मल्होत्रा बताते हैं कि, मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्यफल भास्कर में दिल्ली, जिसे प्राचीन समय में इंद्रप्रस्थ कहा जाता था, इसकी प्रभाव राशि वृश्चिक बतायी गई है। वृश्चिक राशि में पाप ग्रहों का गोचर देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर के लिए शुभ फलदायी नहीं होता है।

सूर्यग्रहण के समय 5 ग्रह होंगे साथ

संयोगवश 14 दिसंबर को पड़ने वाला सूर्यग्रहण वृश्चिक राशि में होने जा रहा है यहां सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, शुक्र, सूर्य और केतु भी मौजूद रहेंगे यानि वृश्चिक राशि में 5 ग्रहों की मौजूदगी में 14 दिसंबर को वृश्चिक राशि में सूर्यग्रहण लगेगा। ऐसे में इस सूर्यग्रहण के बाद देश की राजधानी दिल्ली में बड़े घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं। यह भी एक संयोग है कि वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की जन्म राशि और लग्न भी वृश्चिक ही है जो कि सूर्य ग्रहण के समय पांच ग्रहों के योग से प्रभावित होगा। आइए देखें इस सूर्यग्रहण का क्या होगा प्रभाव…

राजनेताओं के लिए शुभ नहीं 14 दिसंबर का सूर्यग्रहण

14 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार शाम 7 बजकर 4 मिनट से मध्य रात्रि तक रहेगा। चूंकि ग्रहण की छाया भारत में दृश्य नहीं है तो इसका कोई धार्मिक महत्व नहीं है लेकिन वृश्चिक राशि में सूर्य के पीड़ित होने साथ सूर्य की संक्रांति भी ग्रहण के कुछ समय बाद होने जा रहा है। ऐसे में यह ग्रहण बड़े राजनेताओं के लिए शुभ नहीं है।

सूर्यग्रहण का प्रभाव, इनका बढ़ेगा मुनाफा

वराहमिहिर के अनुसार वृश्चिक राशि में लगने वाला ग्रहण विष और रसायनों यानि दवाओं और केमिकल आदि का कार्य करने वालों को सर्वाधिक प्रभावित करता है। वृश्चिक राशि को केमिकल, दवाओं और रसायनों की राशि माना जाता है। वृश्चिक राशि में केमिकल और दवाओं के कारक ग्रह चंद्रमा और बुध की युति के चलते दवा और केमिकल बनाने वाली कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।

सूर्यग्रहण का राजनीति और अर्थव्यवस्था पर असर

राजनीति और सामाजिक दृष्टिकोण से देखें तो सत्ता-पक्ष और विपक्ष में विष-वमन यानि झूठे आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति अगले 3 महीनों में अपने चरम पर होगी। ग्रहण के समय गुरु की नज़दीकी अंशों में शनि के साथ मकर राशि में बन रही युति के चलते बैंकिंग संगठनों, कामगारों और मजदूरों के भी हड़ताल पर चले जाने का संकेत मिल रहा है। ऐसे में कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हो रहा आंदोलन सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है जिसके कारण अगले 3 महीने का समय बहुत ही उथल-पुथल भरा होगा।

ग्रहण के बाद अमेरिका में उथल-पुथल

यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका के देशों चिली, अर्जेंटीना, पेरू आदि में पूर्ण रूप से दिखाई देगा। यहां सरकार विरोधी प्रदर्शन अगले 3 महीनों में हिंसक रूप भी ले सकता है। चिली, पनामा, कोलोम्बिया आदि दक्षिण अमेरिकी देशों में इस साल जून से अक्टूबर के बीच आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार के विरोध में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए थे जिनके इस पूर्ण सूर्यग्रहण के बाद फिर से शुरू होने की आशंका है। इन जनआंदोलाओं के चलते कई देशों में सरकार गिर सकती हैं जैसे 2011-2012 में मध्य एशिया के देशों में हुए भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलनों के समय हुआ था। अमेरिका भी इन आंदोलनों की आंच में तप सकता है जिससे नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन परेशान होंगे। ग्रहण के 15 दिनों के भीतर दक्षिण अमेरिका के पेरू और चिली में भूकंपन भी महसूस किए जा सकते हैं।

 

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