– हृदयनारायण दीक्षित परिवार समाज की छोटी इकाई है। परिवार के सभी सदस्य आत्मीय होते हैं। हिन्दू चिंतन में पूरा विश्व एक परिवार है। इस धारणा में परिवार से बड़ी इकाई समाज है। भारतीय दर्शन उदात्त है। इसके बावजूद परिवार से बड़ी इकाई जाति है। जातिभेद भी हैं। वैसे जातियां श्रम विभाजन का परिणाम हैं […]
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दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान भारतीय दर्शन में: मुख्यमंत्री चौहान
– आद्य जगतगुरू रामानंदाचार्य जी की 723वीं जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि विगत दिवस भोपाल में हुई जी-20 के अंतर्गत थिंक 20 बैठक (Think 20 meeting under G-20) में विदेशों से आए प्रतिनिधियों ने भी माना कि दुनिया की सारी […]
भारतीय दर्शन का उद्देश्य लोकमंगल
– ह्रदय नारायण दीक्षित भारतीय दर्शन का उद्देश्य लोकमंगल है। कुछ विद्वान भारतीय चिंतन पर भाववादी होने का आरोप लगाते हैं। वे ऋग्वेद में वर्णित कृषि व्यवस्था पर ध्यान नहीं देते। अन्न का सम्मानजनक उल्लेख ऋग्वेद में है, अथर्ववेद में है। उपनिषद् दर्शन ग्रन्थ हैं। उपनिषदों में अन्न की महिमा है। तैत्तिरीय उपनिषद् में कहते […]
दीनदयाल जी के भाव बोध में भारतीय दर्शन की अनुगूंज
– हृदयनारायण दीक्षित भारत की ऋषि परंपरा प्राचीन है। ऋषियों को मंत्र द्रष्टा कहा गया है। ऋषि अनेक हैं। सब संवादरत हैं लेकिन अनुभूति एक है। एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति। पं. दीनदयाल उपाध्याय आधुनिक काल के तत्वद्रष्टा ऋषि हैं। उन्होंने एकात्म मानव दर्शन का विचार दिया। भारतीय राष्ट्रभाव के संवर्द्धन में पूरा जीवन लगाया। […]