ब्‍लॉगर

राजनीति: राष्ट्र निर्माण का मधुमय अधिष्ठान

– हृदयनारायण दीक्षित अस्तित्व विस्मय पैदा करता है। यह बहरूपिया है। अनेक रूप। अनेक नाम। परिचित है अनेक बिना जाने हुए अपरिचित। प्रत्यक्ष अनुभूति में यह ‘लोक’ है। नाम रूपों से भरापूरा लोक आलोक में देखा जाता है। इसका अंदरूनी तंत्र भी विराट है। जैसा लोक वैसा तंत्र। इसका हरेक घटक स्वतंत्र जान पड़ता है। […]