इंदौर न्यूज़ (Indore News)

एक हजार करोड़ की इस्लामिया करीमिया की जमीन मिल सकती है निगम को

लीज शर्तों के उल्लंघन पर शासन करेगा कार्रवाई, प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट भोपाल भेजी, संस्था ने राजस्व के साथ पीडब्ल्यूडी की भी जमीन हड़प ली

इंदौर। पलासिया (Palasiya) जैसे महंगे क्षेत्र में एक हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की बेशकीमती पौने 3 लाख स्क्वेयर फीट जमीन नगर निगम (Nagr Nigam) को मिल सकती है। फिलहाल 3.935 हेक्टेयर यह जमीन निगम ने ही इस्लामिया करीमिया सोसायटी (Islamia Karimiya Society) को शासन की मंजूरी के बाद सशर्त लीज पर दी थी। 30 साल की लीज अवधि हालांकि 2003 में ही समाप्त हो गई और सोसायटी ने शर्तों का गंभीर उल्लंघन भी किया। कलेक्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन और आवास विभाग भोपाल को भेजते हुए लीज नवीनीकरण ना करने और शहर हित में यह जमीन पुन: निगम को सौंपने की अनुशंसा की है। अगर यह जमीन निगम को मिल जाती है तो उसका आर्थिक संकट भी दूर होगा और शहर विकास के लिए एक बड़ी धन राशि हासिल की जा सकेगी। लीज डीड की शर्तों के उल्लंघन से लेकर सोसायटी द्वारा किए गए अवैध निर्माण कार्यों का खुलासा कलेक्टर ने अपनी 12 पेज की जांच रिपोर्ट में किया है। राजस्व के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी की अतिरिक्त जमीन भी सोसायटी मौके पर हड़प ली।


इंदौर में जमीनों के कई बड़े घोटालों को पकडऩे वाले कलेक्टर मनीष सिंह ने इस्लामिया करीमिया सोसायटी के मामले में भी एक महत्वपूर्ण जांच प्रतिवेदन तैयार किया और अभी पिछले ही दिनों उसे भोपाल भेजा है। पलासियाहाना की जमीन, जिसका सर्वे नम्बर 269/2/1, 270/2, 274/1, 274/2/1, 274//2/2, 276/2, जिसका रकबा 3.935 हेक्टेयर यानी पौने 3 लाख स्क्वेयर फीट से अधिक होता है। यह जमीन नगर निगम के नाम पर ही रही। जबकि इससे लगी हुई सर्वे नं. 271/3 रकबा 0.041 हेक्टेयर सरकारी रास्ता और सर्वे नं. 271/4, जिसका रकबा 0.259 हेक्टेयर है, वह पीडब्ल्यूडी, जनकार्य विभाग के नाम पर राजस्व अभिलेख में दर्ज है। 2 लाख 71 हजार 850 वर्गफीट जमीन पर कॉलेज भवन निर्माण के लिए इस्लामिया करीमिया ने शासन से सशर्त मंजूरी हासिल की थी। 09.12.1996 को आयुक्त निगम और अध्यक्ष इस्लामिया करीमिया सोसायटी के बीच 30 साल के लिए लीज डीड निष्पादित हुई, जो कि 30.03.1974 से 30.03.2003 तक के लिए की थी। लीज डीड की शर्तों में ही यह स्पष्ट है कि इसके उल्लंघन पर शासन हित में लीज का नवीनीकरण ना करते हुए पुन: प्रवेश की कार्रवाई निगम कर सकेगा। शासन ने सोसायटी को कॉलेज भवन निर्माण के लिए तय शर्तों के साथ जमीन का कब्जा सौंपा, जिसमें सोसायटी से यह अंडरटेकिंग भी ली गई कि शासन द्वारा निर्धारित प्रब्याजी एवं भूभाटक जो भी लगाया जाएगा उसे सोसायटी जमा करेगी और हर तरह का निर्माण कार्य कलेक्टर की पूर्व अनुमति लेकर ही किया जाएगा और शासन की सभी शर्तें और निबंधन सोसायटी को मंजूर रहेगा। तत्कालीन नजूल अधिकारी ने 29.03.73 को सोसायटी को जमीन का कब्जा सौंपा और उसके बाद शासन के निर्देश पर आयुक्त निगम ने लीज डीड निष्पादित करवाई और इसमें निगम ने भी पांच प्रमुख शर्तें शामिल की, जिसमें लीज की अवधि 30 साल रहने और उसके बाद फिर 30 साल बढ़ाने, मगर निगम को 50 फीसदी तक किराया बढ़ाने का भी अधिकार रहेगा। संस्था द्वारा जमीन का उपयोग कॉलेज निर्माण के लिए ही किया जाएगा और ऐसा न करने पर जमीन निगम को बिना किसी मुआवजे के प्रत्यावर्तित हो जाएगी। कॉलेज निर्माण के लिए भी निगम से बकायदा मंजूरी लेना पड़ेगी और 5637 रुपए प्रब्याजी सोसायटी द्वारा निगम को जमा करनी होगी और 4247 रुपए भूभाटक के भी निगम को सोसायटी देगी। कुछ समय पूर्व इस जमीन के आसपास रहने वाले 38 रहवासियों ने इंदौर हाईकोर्ट में भी सोसायटी के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें लीज शर्तों के उल्लंघन और अवैध निर्माण के आरोप लगाए। इस याचिका को हाईकोर्ट ने 28.11.2006 को निराकृत करते हुए शासन तथा निगमायुक्त को संबंधित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर देकर उनकी शिकायतों के निराकरण के निर्देश भी दिए। कुछ समय पूर्व जब यह मुद्दा फिर सामने आया तो कलेक्टर मनीष सिंह ने इस पूरे मामले की जांच करवाई, जिसमें लीज शर्तों के दुरुपयोग और व्यवसायिक उपयोग किए जाने की पुष्टि भी हुई और सोसायटी को इस संबंध में नोटिस भी जारी किए गए और विधिवत उसकी सुनवाई भी की गई, लेकिन सोसायटी ने संतोषप्रद जवाब ना देते हुए किसी भी शर्त के उल्लंघन ना करने की बात कही और लीज नवीनीकरण के लिए भी हाईकोर्ट में एक अलग से याचिका लगाई, जो अभी भी लम्बित है। अपर कलेक्टर से करवाई इस जांच के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख दिया है।

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