उज्जैन। नगर निगम सीमा में काम करने वाले सफाईकर्मियों की मेहनत की बदौलत स्वच्छता में उज्जैन पहले नंबर पर आया है। नगर निगम ने उनका सम्मान भी किया हैे लेकिन सिर्फ सम्मान से उनका भला नहीं हो सकता क्योंकि अधिकांश सफाईकर्मियों को कलेक्टर रेट से कम वेतन मिल रहा है। उनके काम का पूरा वेतन ठेका कंपनी ले रही है और कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। उज्जैन शहर स्वच्छता में पूरे देश में छठा स्थान प्राप्त करने वाला शहर बना है। अन्य टोल टूल किट में भी कई पुरस्कार नगर निगम ने प्राप्त किए हैं। इस पर अधिकारियों को राष्ट्रपति ने पुरस्कार भी दिए हैं। इसके बदले में निगम अधिकारियों ने सफाई मित्रों का सम्मान कार्यक्रम कर दिया, परंतु उन्हें कलेक्टर रेट से वेतन मिले, इसके बारे में विचार नहीं किया। नगर निगम को ठेके पर सफाईकर्मी उपलब्ध कराने वाली कंपनियाँ पूरा पैसा ले रही हैं, परंतु कर्मचारियों को कम वेतन मिल रहा है और उनका शोषण हो रहा है।
नगर निगम में एक हजार के लगभग सफाई मित्र विभिन्न आउटसोर्सेस संस्थाओं में कार्यरत हैं परंतु उन्हें मात्र 4 से 5 हजार रुपए महीना पारिश्रमिक दिया जा रहा है जबकि एजेंसी द्वारा शासन से प्रत्येक कर्मचारी के 9 हजार से अधिक की राशि ली जा रही है। कर्मचारियों के वेतन में ईएसआई एवं प्रोविडेंट फंड की राशि भी निगम प्रशासन से वसूल की जा रही है परंतु जितनी राशि प्राप्त की जा रही है उसे मजदूरों के सभी मजदूरों के खाते में ना डालते हुए कुछ चहेते श्रमिकों को इसका लाभ दिया जा रहा है। निगम प्रशासन को यह देखना चाहिए कि उनके अनुमान आउट सोर्स एजेंसीओ को श्रमिकों के खाते में भुगतान करना है ऐसा नगर निगम उज्जैन मैं नहीं हो रहा है। इस संबंध में कार्यवाही हेतु मांग करते हुए रवि राय ने कहा कि उज्जैन का श्रमिक विभाग लेबर कमिशनर ऑफिस के कर्मचारी की जवाबदेही बनती है कि वे इस शोषण को रोकें और पूरी राशि दिलाएं।
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