इंदौर न्यूज़ (Indore News)

 चारों तरफ से घिरी जमीनों का भी बदल सकेगा भू-उपयोग

धारा 23 (क) के तहत किए जाने वाले उपांतरण प्रावधानों में होंगे संशोधन, अभी आवासीय के लिए 15 तो व्यावसायिक के लिए 5 एकड़ जमीन है जरूरी

इंदौर, राजेश ज्वेल। एक तरफ इंदौर का मास्टर प्लान शासन ने अटका रखा है, दूसरी तरफ निवेश क्षेत्र में शामिल किए गए 79 गांवों में विकास अनुमतियां भी आसानी से नहीं मिल रहीं, जिसका खुलासा अभी अग्निबाण ने किया था, वहीं कुछ निजी जमीनों के भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया अवश्य की जा रही है, जिसके लिए धारा 23 (क) का इस्तेमाल किया जाता है। अभी आवासीय भू-उपयोग परिवर्तन के लिए न्यूनतम 15 एकड़, तो व्यावसायिक के लिए 5 एकड़ की आवश्यकता अनिवार्य  है। मगर कई जमीनें ऐसी भी हैं, जो चारों तरफ से घिरी हैं और उनमें अतिरिक्त जमीन उपलब्धता की कोई स्थिति संभव ही नहीं है। लिहाजा इस तरह की जमीनों का भी उपांतरण शासन कर सकेगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू की गई है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय ने अभी 10 मई को उक्त संशोधन के प्रारुप का गजट गका नोटिफिकेशन किया है, जिसके आधार पर अब आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं।


नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 (क्रमांक 23 सन् 1973) की धारा 24 की उपधारा 3 के साथ पठित धारा 85 के तहत भू-उपयोग परिवर्तन किया जाता है। दरअसल इंदौर का मास्टर प्लान 31 दिसम्बर 2021 तक के लिए बनाया गया था, जो 16 महीने पहले ही समाप्त हो गया है। हालांकि जब तक नया मास्टर प्लान, जो कि 2035 का तैयार किया जा रहा है, अमल में नहीं आता, तब तक 2021 के प्लान के मुताबिक ही अभिन्यास मंजूर किए जाते रहेंगे। अलबत्ता नए मास्टर प्लान में जो 79 गांव निवेश क्षेत्र में शामिल किए गए हैं उनकी अनुमतियां रोक दी गई थी, उसके बाद धारा 16 के तहत आदेश जारी कर एक कमेटी शासन स्तर पर बना दी गई, जिसके चलते इन 79 गांवों में विकास अनुमति के प्रकरण भोपाल भेजे जाते हैं, जहां पर बिना सेटिंग एक भी फाइल मंजूर नहीं होती। बीते एक साल में मात्र 6 प्रकरण पिछले दिनों निपटे हैं। दूसरी तरफ नावदा पंथ ग्राम बारोली सहित अन्य जगहों पर निजी जमीनों के भू-उपयोग परिवर्तित किए जा रहे हैं। हालांकि इसके बदले शासन द्वारा निर्धारित राशि ली जाती है। वहीं यह भी प्रावधान कर रखा है कि अगर आवासीय भू-उपयोग चाहिए तो उसके लिए न्यूनतम 6 हेक्टेयर यानी लगभग 15 एकड़ जमीन की जरूरत है। वहीं अगर व्यवसायिक उपयोग करवाना है तो 2 हेक्टेयर, यानी 5 एकड़ जमीन होना चाहिए। जिस तरह धारा 16 के प्रकरणों के लिए भी न्यूनतम 10 एकड़ जमीन का प्रावधान कर रखा है, उसी तरह भू-उपयोग उपांतरण के प्रस्तावों के लिए भी न्यूनतम जमीन का प्रावधान कर रखा है। मगर कई जमीन मालिकों ने यह मामला उठाया कि उनकी जमीन चारों तरफ से घिरी है और अतिरिक्त जमीन मौके पर हासिल ही नहीं की जा सकती, तो ऐसे में उन्हें भी भू-उपयोग उपांतरण की अनुमति मिलना चाहिए। उदाहरण के लिए किसी के पास 50-60 हजार स्क्वेयर फीट ही जमीन है और वह उसका भू-उपयोग पैसा देकर बदलवाना चाहता है तो शासन का न्यूनतम जमीन का नियम अवरोध बन जाता है। अब उसके निराकरण के लिए नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने अभी 10 मई को एक सूचना जारी की है। उपसचिव आरके कार्तिकेय द्वारा जारी की गई इस सूचना में संशोधन का प्रारुप दर्शाया गया है, जिसमें उपनियमों के तहत 5 हजार अंक की बजाय 10 हजार अंक स्थापित करने और कुछ कंडिकाओं को विलोपित और पुनस्र्थापित करने को कहा गया है। इस तरह के मामले जहां उपांतरित हेतु आवेदित जमीन चारों ओर से समुचित अनुमति प्राप्त विकसित क्षेत्र के भीतर स्थित हो या प्राकृतिक अथवा भौतिक संरचनाओं यानी नदी, नाले, तालाब द्वारा अवरूद्ध हो, वहां धारा 23 (क) के अधीन आवेदन प्रस्तुत करने के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल आवश्यकता की कोई शर्त नहीं होगी। प्राकृतिक भौतिक संरचनाओं से मतलब नदी, वन क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्र, प्रमुख सडक़ों से लेकर रेलवे जमीन को शामिल किया गया है।

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