ज़रा हटके देश

दुनिया का सबसे अमीर आदमी, लेकिन कंजूसी में भी नंबर वन, हैरान कर देगी इस शासक की कहानी

नई दिल्ली। आपने दुनिया (World) में एक से एक अमीर लोग देखे होंगे और उनकी रइसी के किस्से भी सुने होंगे लेकिन क्या आपने किसी ऐसे अमीर की कहानी पढ़ी है जिसके पास दुनिया का सबसे ज्यादा धन हो, जिसके दरबार में दुनिया का अमीर से अमीर शख्स घुसने का मौका पाकर खुद को लकी समझता हो लेकिन वह कंजूसी में भी नंबर वन हो. हम आपको आज ऐसे ही एक शासक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने आजाद भारत में अपनी कंजूसी की आदतों से सबको हैरान करके रख दिया था. यह शख्स था हैदराबाद (Hyderabad) का शासक निजाम.



जब 1947 में देश आजाद हुआ उस समय निजाम को धरती पर सबसे अमीर शख्स माना जाता था. उस समय इस पूरी धरती पर उस शासक के बराबर पैसा, सोना-चांदी-हीरे-जवाहरात (gold-silver-diamond-jewels) किसी और शासक के पास नहीं थे लेकिन कंजूसी भरी उसकी जिंदगी देखकर लोग दंग रह जाते थे. आज भी निजाम फैमिली के करोड़ों-अरबों रुपये विदेशी बैंकों (foreign banks) में जमा हैं जिसके लिए उसके वंशज अदालतों में लड़ाइयां लड़ रहे हैं लेकिन तब कंजूसी में नंबर वन ये शासक एक-एक पैसे बचाने के लिए नए-नए तरकीबें अपनाता रहता था.

कितनी संपत्ति थी निजाम फैमिली के पास?
साल 1911 में ओसमान अली खान हैदराबाद के निजाम बने थे. देश जब आजाद हुआ और हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया तबतक ओसमान अली खान का ही शासन रहा. निजाम के पास कुल नेट वर्थ 17.47 लाख करोड़ यानी 230 बिलियन डॉलर की आंकी गई थी. निजाम की कुल संपत्ति उस समय अमेरिका की कुल जीडीपी की 2 फीसदी के बराबर बैठती थी. निजाम के पास अपनी करेंसी थी, सिक्का ढालने के लिए अपना टकसाल था, 100 मिलियन पाउंड का सोना, 400 मिलियन पाउंड के जवाहरात थे. निजाम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था गोलकोंडा माइंस जो उस समय दुनिया में हीरा सप्लाई का एकमात्र जरिया था. निजाम के पास जैकब डायमंड था जो उस समय दुनिया के सात सबसे महंगे हीरों में गिना जाता था. जिसका इस्तेमाल निजाम पेपरवेट के तौर पर करते थे. इसकी कीमत 50 मिलियन पाउंड के बराबर हुआ करती थी.

निजाम की महाकंजूसी की दास्तां
मशहूर लेखक डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में लिखते हैं- ‘निजाम ओसमान अली खान (Osman Ali Khan) केवल पांच फीट तीन इंच के छरहरे व्यक्तित्व के इंसान थे. निजाम एक पढ़े-लिखे, साहित्यपसंद और धर्मपरायण (literary and pious) इंसान थे. उनके राज्य में प्रजा थी- दो करोड़ हिंदू और तीस लाख मुसलमान. निजाम साहब उस वक्त के भारतीय राजाओं-नवाबों में सबसे विकट कहे जा सकते हैं. निजाम वह एकमात्र देशी शासक थे, जिन्हें आभारी अंग्रेजों ने ‘एग्जाल्टेड हाइनेस’ की अत्यंत उच्च पदवी दी थी, क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान निजाम ने इंग्लैंड को ढाई करोड़ पौण्ड की आर्थिक सहायता दी थी. 1947 में निजाम इस धरती के सबसे धनी व्यक्ति माने जाते थे. क्वीन एलिजाबेथ-2 की ताजपोशी हो रही थी और शादी हो रही थी तब गिफ्ट के रूप में निजाम का दिया शाही नेकलेस काफी चर्चा में रहा था. कहा जाता है कि इस शाही नेकलेस में 300 हीरे जड़े थे.’

लेकिन ये तो रहे निजाम के राजसी ठाटबाट के किस्से… निजाम की कंजूसी के किस्से तो और भी मशहूर हैं. डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं- ‘निजाम लगभग एक सौ ऐसे संस्थानों के स्वामी थे, जहां सोने के पात्रों में चीजें परोसी जाती थीं, लेकिन स्वयं वह मामूली टिन-प्लेटों में भोजन किया करते. अपने शयन कक्ष में बिछी दरी पर बैठकर. वह इतने दरिद्र मन के व्यक्ति थे कि अगर कोई मेहमान अपने पीछे सिगरेट का टोटा छोड़ जाता तो वह उसी को उठाकर पीने लगते. वह बिना इस्तरी किया सूती पायजामा पहना करते. मामूली दाम पर स्थानीय बाजार से खरीदी गई घटिया चप्पलें पैरों में पड़ी होतीं. अपने सिर पर, पिछले 35 वर्षों से, वह एक ही मैलीकुचैली फैज पहन रहे थे.’

‘यदि वह किसी राजकीय समारोह में लोगों को शैम्पेन पिलाने को मजबूर हो जाते तो उनकी गिद्ध-नजरें हमेशा बोतलों पर ही टिकी रहतीं. बोतलों और उनके बीच फासला ज्यों-ज्यों बढ़ता, त्यों-त्यों उनकी अकुलाहट बढ़ती जाती. लॉर्ड वैवेल, वायसराय की हैसियत से हैदराबाद के दौरे पर आने वाले थे. तब निजाम ने दिल्ली तार भेजकर बकायदा पुछवाया कि क्या वायसराय महोदय, युद्ध के दिनों की ऐसी महंगाई के बावजूद, शैम्पेन पीने का ही आग्रह रखेंगे?’

‘अधिकांश राज्यों में रिवाज था कि साल में एक बार प्रमुख नागरिक अपने शासक के सामने सोने की कोई चीज लाकर, सांकेतिक उपहार के रूप में रखते. शासक उस चीज को छूता, फिर उसके स्वामी को वापस कर देता. लेकिन वापस करने की जगह निजाम हर चीज को लपक कर ले लेते और सिंहासन की बगल में रखे कागज के थैले में डालते जाते. एक बार सोने का कोई सिक्का नीचे गिर कर लुढ़कने लगा. निजाम उसके पीछे इस बुरी तरह लपके कि घुटनों और हथेलियों के बल चलने लगे. आखिर सिक्के के स्वामी ने ही उसे दौड़कर उठाया और निजाम को दिया.’

‘ऐसे ही निजाम का इलेक्ट्रो-कार्डियोग्राम लिया जाना था जिसके लिए बम्बई से डॉक्टर आया. महल में डॉक्टर जब अपना यंत्र चालू न कर सका, तो उसे आश्चर्य हुआ. कारण की खोजबीन हुई, तो पता चला कि निजाम ने उस कमरे का करंट ही कटवा रखा था, ताकि बिजली का बिल ज्यादा न आए. इसी तरह निजाम का शयनकक्ष चरम सीमा की गरीबी और बदहाली का साक्षात अवतार था. अत्यंत पुराना पलंग, टूटी टेबल, सड़ी हुई तीन कुर्सियां, राख से लदी ऐश-ट्रे, कचरे से सनी रद्दी की टोकरियां, शाही कागजात के धूल-सने ढेर, कोने-कोने में मकड़ी के जालों का जंगल. निजाम के कमरे की रद्दी की टोकरियां और ऐश-ट्रे साल में सिर्फ एक बार साफ की जातीं, निजाम के जन्म दिन पर.’

खजाना भी बेहिसाब!
रहन-सहन में कंजूसी से कंफ्यूज मत होइए. निजाम के पास संपत्ति बेहिसाब ही थी. इतनी ज्यादा कि अगर किसी और के पास होती तो वो सोने के बिस्तर पर ही सोता. निजाम के महल के कोने-कोने में ऐसा ऐश्वर्य बिखरा हुआ था, जिसका मूल्यांकन भी आसान नहीं. उनकी मेज के ड्रॉज में पुराने अखबार में लिपटा सुप्रसिद्ध ‘जैकब’ हीरा पड़ा था, जिसका आकार नींबू जितना था. वह 280 कैरेट का था, दूर से ही चमचमाता. निजाम उसे पेपरवेट की तरह उपयोग करते. उनके अपेक्षित बगीचे की कीचड़ में दर्जन भर ट्रक खड़े थे, जो लदे हुए माल के वजन के कारण, बुरी तरह धंसे जा रहे थे. माल था- सोने की ठोस ईंटे. उनके जवाहरात का खजाना इतना बड़ा था कि लोग कहा करते- यदि केवल मोती-मोती निकालकर चादर की तरह बिछाए जाएं, तो पिकाडिली सरकस के सारे फुटपाथ ढक जाएं.’ माणिक, मुक्ता, नीलम, पुखराज आदि के टोकरे भर-भर कर तलघरों में रखे हुए थे- जैसे कि कोयले के टोकरे भरे हुए हों.’

‘निजाम की अपनी करेंसी थी, सिक्के ढालने का अपना टकसाल था, लेकिन विदेशी मुद्रा का भी अच्छा-खासा भंडार था. निजाम के पास स्टर्लिंग, रुपयों आदि मुद्राओं में बीस लाख पौण्ड से भी ज्यादा रकम नगद पड़ी हुई थी. ये मुद्राएं पुराने अखबारों में लपेटकर तलघरों और बरसातियों में धूलभरे फर्श पर छोड़ दी गई थीं. निजाम के पास ठीकठाक मजबूत सेना भी थी. सेना का अपना तोपखाना था और हवाई जहाज भी. लेकिन इन सबके बावजूद निजाम खर्चे में पूरी मितव्ययिता बरतते थे. इंग्लिश रेजिडेंट हर हफ्ते निजाम से मिलने आया करता. निजाम और रेजिडेंट दोनों ही के लिए वफादार नौकर चाय का सिर्फ एक कप, एक बिस्किट और एक सिगरेट पेश करता. एक बार एक गेस्ट रेजिडेंट के साथ आ गया. बस क्या था नौकर एक कप ही लाया, फिर निजाम ने उसके काम में कुछ कहा फिर गेस्ट के लिए एक और कप चाय की और एक बिस्किट और एक सिगरेट पेश किया गया.’

लेकिन निजाम अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा अलर्ट रहते. उन्हें हर क्षण यह डर लगा रहता कि कोई ईर्ष्यालू दरबारी जहर दे देगा. एक ऐसा व्यक्ति वह हमेशा साथ रखते जो उनके द्वारा खाई-पी जाने वाली हर चीज को पहले स्वयं चखकर देखता. बाद में निजाम खाते.

एक तरफ, जहां उस जमाने में भारतीय रियासतों के राजाओं को रॉल्स रॉयस समेत महंगी गाड़ियों का खूब शौक था वहीं निजाम अपनी कमखर्ची के कारण चर्चा में रहते थे. निजाम ने जीवन में कभी एक कौड़ी भी फालतू खर्च नहीं किया. खुद के लिए कारें हासिल करने के लिए निजाम एक अलग ही तरीका अपनाते थे जिसमें उनका खर्च भी नहीं होता था और नई-नई कारें भी शाही काफिले में आ जाती थीं. डोमिनिक लैपीयरे और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं- ‘राजधानी में ज्यों ही किसी शानदार कार पर उनकी शाही नजरें पड़ती थीं, त्यों ही उस कार के मालिक के नाम वह सन्देश भिजवा देते कि इस हसीन चीज को हम तोहफे के रूप में हासिल करके बड़े खुश होंगे. सन् 1947 आते-आते निजाम को सैकड़ों कारें तोहफे के बतौर मिल चुकी थीं. गैरेजों में वे समाए न समातीं. ये अलग बात है कि उनमें से अधिकांश को निजाम ने कभी उपयोग नहीं किया.’

1947 में देश की आजादी के बाद निजाम (Nizam) ने भारत में मिलने से इनकार कर दिया. पाकिस्तान से निजाम की बढ़ती नजदीकी के बीच भारतीय सेना (Indian Army) सितंबर 1948 में हैदराबाद में घुसी. 13 से 18 सितंबर 1948 के बीच चले ऑपरेशन पोलो के तहत निजाम के हैदराबाद राज्य का भारत में एकीकरण हो गया. और इस तरीके से दुनिया के सबसे अमीर शासक के राज्य का अंत हो गया. उस दौर के 75 साल बीत जाने के बाद आज भी ब्रिटिश बैंक में निजाम के 35 मिलियन पाउंड यानी 3 अरब 28 करोड़ रुपये के बराबर राशि जमा हैं जिसपर पाकिस्तान और भारत दोनों दावेदारी का केस लड़ रहे हैं और निजाम के खानदान से जुड़े 400 लोगों ने भी उसपर दावेदारी जताई है. इतिहास निजाम को एक ऐसे शासक के रूप में याद रखेगा जिसके पास सोने-चांदी-हीरे-जवाहरात का अथाह खजाना तो था लेकिन कंजूसी के अनगिनत किस्से भी शख्सियत से जुड़ी हुई थीं.

Share:

Next Post

Indore : खजराना गणेश मंदिर में विशाल गौशाला का होगा निर्माण, भक्त कर सकेंगे गौ सेवा, भोजन की भी होगी व्‍यवस्‍था

Wed Aug 24 , 2022
इंदौर । इंदौर (Indore) के विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Temple) में एक भव्य गौशाला (cowshed) बनाई जाएगी. श्रद्धालु (Devotees) यहां आकर गौसेवा भी कर सकेंगे. इसके साथ ही यहां आने वाले भक्तों के भोजन (food) के लिए अन्न क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा. उसमें एक साथ 500 से ज्यादा लोग भोजन कर […]