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फिर बन रहे 2008 जैसे हालात? कई दिन से सूने पड़े Reliance के पेट्रोल पंप


नई दिल्ली: Jio-BP पेट्रोल पंप चलाने वाले पंप मालिक बीते कई दिनों से परेशान चल रहे हैं. वजह दुनिया की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफानरियों में से एक जामनगर रिफाइनरी चलाने वाली कंपनी Reliance Industries अपने खुद के पेट्रोल पंपों पर इसकी पर्याप्त सप्लाई नहीं कर पा रही है.

पंप मालिकों को हो रहा बड़ा नुकसान
रिलायंस इंडस्ट्रीज ब्रिटेन की BP के साथ मिलकर देशभर में Jio-BP Petrol Pump चलाती है. ईटी ने इन्हीं पंप डीलरों के हवाले से खबर दी है कि कंपनी की तरफ से पेट्रोल और डीजल की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो रही है. इस वजह से उनके पंपों पर कई-कई दिन तक पेट्रोल और डीजल के टैंक सूने रह जा रहे हैं.

डीलरों का कहना है कि इस वजह से उन्हें डीजल पर प्रति लीटर 12 रुपये और पेट्रोल पर 7 रुपये प्रति लीटर तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन्हीं में से एक डीलर ने कहा, ‘हमने कंपनी से कई बार कहा है कि हमारी फ्यूल सप्लाई बढ़ा दें. हमारे पंप कई दिन तक सूखे रह जा रहे हैं. लेकिन कंपनी का कहना है कि जब तक घाटा कम नहीं हो जाता, तब तक सप्लाई सामान्य नहीं हो पाएगी.’

फिर बनेंगे 2008 जैसे हालात?
वर्ष 2008 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. तब रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपने 1,400 से ज्यादा पेट्रोल पंप बंद करने पड़े थे, क्योंकि तब कंपनी के लिए सरकारी कंपनियों के सब्सिडी पर मिलने वाले पेट्रोल-डीजल की कीमत पर ईंधन की सेल कर पाना मुश्किल हो रहा था. हालांकि वर्ष 2014 के बाद से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों के हिसाब से तय होती हैं.


पेट्रोल होगा 15-16 रुपये और महंगा?
बीते दो हफ्तों में तेल कंपनियों ने पेट्रोल औ डीजल के दाम में बढ़ोतरी की है. ये 10 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं. विश्लेषकों का मानना है कि यदि तेल कंपनियों (सरकारी और प्राइवेट) को अपना मार्जिन सुधारना और घाटे को पाटना है तो उन्हें ईंधन की कीमत 15 रुपये प्रति लीटर तक और बढ़ानी होगी.

मूडीज के मुताबिक बीती तिमाही में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत औसतन 100.40 डॉलर प्रति बैरल रही है. ये सालाना आधार पर 65% अधिक है. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते इसमें 20 डॉलर प्रति बैरल की तेजी आई है. ये बीच में 139 डॉलर प्रति बैरल तक जा चुके हैं जो सात साल का उच्च स्तर है.

जबकि 21 मार्च तक तेल कंपनियों ने इसके अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई. इस तरह मार्च भर में ही कंपनियों के राजस्व में 2.25 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. वहीं तेल कंपनियों के एक अधिकारी ने बताया कि अगर उन्हें 2020-21 जितना औसत मार्जिन कमाना है तो डीजल की कीमत 15 रुपये और पेट्रोल की कीमत 16 रुपये प्रति लीटर और बढ़ानी होगी.

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