ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

सत्तू की उड़ान से कांग्रेसी हैरान
सत्तू भैया की उड़ान से इन दिनों कांग्रेसी हैरान हैं। जब भी प्रदेश में या प्रदेश से जुड़े किसी राज्य में कांग्रेस का आयोजन होता है तो प्रियंका गांधी के पीछे की कुर्सी पर सत्तू तिरंगा दुपट्टा पहने हुए नजर आ जाते हैं। बस इतना ही काफी है कांग्रेसियों को हैरान रखने के लिए। वैसे प्रियंका गांधी से जो नजदीकियां सत्यनारायण पटेल की है, उससे यह तो तय है कि 5 नंबर में वे जैसी तैयारियां कर रहे हैं, उससे उनका टिकट पक्का है। कल उनका जन्मदिन था और जन्मदिन पर एक बड़े जमावड़ा की तैयारी उनके समर्थकों ने की थी। बकायदा सबको व्यक्तिगत निमंत्रण भेजे गए और जवाबदारी क्षेत्र के नेताओं को भी दी गई थी। कांग्रेस में भी इसी महीने पहली लिस्ट आने की तैयारी है और अगर इसी सूची में उनका नाम आ जाए तो आश्चर्य मत करना।


ताई का भाई पर तंज
सुमित्रा महाजन न तो अब संगठन में और न ही सत्ता में है, लेकिन अपने पुत्र को वे राजनीति में स्थापित करने के चक्कर में अभी सक्रिय जरूर हैं। जब लक्ष्मीबाई नगर रेलवे स्टेशन पर वे बिल्डिंग का भूमिपूजन करने पहुंचीं तो मीडिया के सामने उनकी पीड़ा बाहर आ गई। उन्होंने सीधे-सीधे भाई पर तंज कसते हुए कह दिया कि मैं भी पार्टी की महामंत्री रहीं और चाहती तो अपने बेटे को तब टिकट दिला सकती थी, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। वैसे ताई की निगाह कहीं ओर थी और निशाना कहीं ओर लगा रही थीं। इसको लेकर कार्यक्रम स्थल पर ही चर्चा होती रही।
दिखते हैं केवल सज्जन
सज्जनसिंह वर्मा इन दिनों बेचैन हैं। कारण एक ऑडियो है, जो सोशल मीडिया पर खूब चला और उसमें सज्जनसिंह वर्मा पर आरोप तो लगे हैं, लेकिन वर्मा ने आरोप लगाने वाले को जिस स्टाइल में निपटाया है, उसमें उनकी जुबान फिसल गई और मामला दिग्गी के आसपास भी पहुंच गया। हालांकि सज्जन आर्थिक लेन-देन की बात को लेकर नकारा कर रहे हैं और आरोप सही पाए जाने पर राजनीति छोडऩे की बात बोल चुके हैं। विरोधियों को पस्त करने के लिए उन्होंने 50 लाख की मानहानि का नोटिस भी भेज दिया है और इसमें सांसद महेन्द्रसिंह सोलंकी को भी लपेट लिया है।


गांधी भवन पर रहने लगी है चहल-पहल
नया अध्यक्ष मिलते से ही गांधी भवन पर चहल-पहल दिखाई देने लगी है। सुरजीतसिंह ने दोपहर में 3 से 5 का समय कांग्रेसियों को मिलने के लिए दिया है और इस समय अच्छे-खासे कांग्रेसी हाजरी भराने आ रहे हैं। इसका एक और कारण यह भी है कि सुरजीत जल्द ही अपनी कार्यकारिणी घोषित करने वाले हैं और उसमें पद पाने की चाह रखने वाले उनके आसपास घूम रहे हैं। वैसे सुरजीत ने स्पष्ट कर दिया है कि मैं उन्हीं लोगों को मौका दूंगा, जो सक्रिय हैं और अब तक लंबी-चौड़ी कार्यकारिणी ही बनती जा रही है, लेकिन इस बार कार्यकारिणी का दायरा भी छोटा रहने वाला है। वैसे कांग्रेस में पार्टी का आंतरिक संविधान नहीं है, जिस कारण पदों की संख्या निर्धारित की जा सके। देखते हैं सुरजीत अपनी बात पर कायम रह पाते हैं या नहीं? या फिर वही होगा जो कांग्रेस में हमेशा होता आया है।
अपनों ने ही अटका दिए पद की राह में रोड़े
भाजपा के एक वरिष्ठ अल्पसंख्यक नेता के पुत्र इन दिनों पद को लेकर भाजपा कार्यालय पर ज्यादा सक्रिय हैं, लेकिन उनके हाथ कुछ लगता दिख नहीं रहा है। कारण इसी क्षेत्र के दो बड़े नेता उनके खिलाफ हैं। जैसे-तैसे जुगाड़ करके वे नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे तक तो पहुंच गए और उनसे अपने पक्ष में एक पत्र भी जारी करवा लिया, लेकिन उसके पहले ही विरोधियों ने दांव कर दिया और भोपाल तक जानकारी भेज दी कि इन्होंने चुनाव में विरोधियों के पक्ष में काम किया था। अब उक्त नेतापुत्र की राह में रोड़े ही रोड़े नजर आ रहे हैं।
हम प्याला-हम निवाला है नेता
भाजपा कार्यालय पर हुए एक कार्यक्रम में अल्पसंख्यक मोर्चा के नगर महामंत्री समीर बा की जुबान फिसल गई और वे नेताओं की तारीफ करते-करते बोल बैठे कि ये तो हम प्याला और हम निवाला हैं। हालांकि इस पर किसी ने गौर नहीं किया। ड्रग्स बेचने के आरोप में फंसे बिलाल के पिता कमाल खान को छोड़ कोई भी पुराना नेता यहां नजर नहीं आया।
क्या दिखाना चाहते हैं पटवारी?
जीतू पटवारी ने जो मुद्दा पकड़ा है कि 3 हजार रुपए में गेहूं का भाव दिलाकर रहेंगे, वह कब पूरा होगा, यह तो नहीं मालूम, लेकिन इस बहाने जीतू की राजनीतिक दुकान की ऊंचाई बढ़ती जा रही है। कांग्रेस सरकार बनाने का दावा कर रही है और देखना होगा कि सरकार बनते से ही वह 3 हजार रुपए गेहंू के देती है या नहीं? ये अलग विषय है, लेकिन जब वे हाटपिपलिया पहुंचे तो वहां गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया और पटवारी ने वहां के विधायक मनोज चौधरी को यह दिखाने में कसर नहीं छोड़ी कि उनका हाटपिपलिया में कितना जलवा है? पटवारी की हां में हां मिलाने वाले चौधरी कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए थे और पटवारी की लाख कोशिशों के बाद भी नहीं लौटे। बस तब से दुश्मनी की ये गांठ और मजबूत हो गई है।
महापौर ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों आई तबादलों की लिस्ट में उनके निशाने पर आए एक निगम अधिकारी की यहां से रवानगी कर दी गई। बताया जाता है कि महापौर और उक्त अधिकारी की पटरी नहीं बैठ रही थी और कई बार उन्होंने मित्र के निर्देश को अनसुना कर दिया था। बस फिर क्या था, एक मामला ऐसा हुआ कि मित्र को ऊपर तक अपनी बात रखने का मौका मिल गया और उन्होंने उक्त अधिकारी की रवानगी करवा ही दी।
-राजनीतिक प्रतिनिधि

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