ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


हर क्रिया पर प्रतिक्रिया जरूरी है कांग्रेस की
कांग्रेसियों के पास अब एक ही काम है कि भाजपा जो करे उस पर प्रतिक्रिया जरूर दें, नहीं तो कैसे पता चलेगा कि विपक्ष सक्रिय है या नहीं। अब कल ही बात है। भोपाल में तुलसी सिलावट और गोविंदसिंह राजपूत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई तो दूसरी तरफ कांग्रेसियों ने प्रतिक्रिया शुरू कर दी। देवास पहुंचे पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि दूसरे भी विधायक हैं, जिन्हें मंत्री बनाया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें ही मंत्री बना दिया जो कांग्रेस छोडक़र आए। सज्जन भैया जानते तो सब हैं कि दोनों को मंत्री क्यों बनाया? फिर भी अब बोलना है और लोगों में छाए रहना है तो बोल दिया।
स्थापना दिवस पर 136 भी इकठ्ठा नहीं हुए
इंदौर में कांग्रेस ने भी स्थापना दिवस मनाया, लेकिन लोगों की संख्या गिनी गई तो मालूम पड़ा कि 136 कांग्रेसी ही नजर नहीं आए। कांग्रेस के ही लोगों ने वहीं कह दिया कि यही कारण है कि हमारे से आगे भाजपा इसलिए ही निकल जाती है, क्योंकि वहां पार्टी के आदेश का सब कार्यकर्ता पालन करते हैं। खैर! कांग्रेस में भी अब टिकट लेने वालों की भीड़ तो आ रही है, लेकिन वो कार्यकर्ता के रूप में कन्वर्ट नहीं हो पाती।
अचानक मनोज पटेल क्यों हुए सक्रिय
गौतमपुरा में जुलूस पर पथराव होने के बाद जिस तरह से पूर्व विधायक मनोज पटेल ने मैदान पकड़ा, उसको लेकर माना जा रहा है कि मनोज अब अगले विधानसभा चुनाव तक भोपाल से राजनीति के मूड में नजर आ रहे हैं, वरना पटेल साब तो मोबाइल नहीं उठाने के मामले में बहुचर्चित हैं। कहने वाले कह रहे हैं कि पटेल साब वीडी शर्मा की टीम में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि राजेश सोनकर ने जिलाध्यक्ष तो बनने नहीं दिया।
समाज में राजनीति…इसलिए नहीं लग रही प्रतिमा
पिछले दिनों बैरवा समाज ने संतश्री बालीनाथजी महाराज की जयंती मनाई। हालांकि इसके पहले मालवा मिल चौराहे पर प्रतिमा लगाने पर सहमति बन चुकी है और विधायक रमेश मेंदोला कलेक्टर और निगम कमिश्नर के साथ यहां का दौरा कर प्रतिमा लगाने का आदेश दे चुके हैं। बस अब स्थान तय होना है कि चौराहे के बजाय यह प्रतिमा कहां लगाई जाए। 31 दिसम्बर को बालीनाथ महाराज की जयंती पर जिस तरह से यहां कांग्रेस से जुड़े गुट ने राजनीति की और विरोध किया, उससे समाज के ही कुछ लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि समाज में राजनीति नहीं होना चाहिए। इससे समाज का भला नहीं होता। वैसे समाज में राजनीति का एक कारण आगामी महीनों में होने वाले निगम चुनाव भी हैं और इसको लेकर दादा के नजदीकी एक भाजपा नेता ने कमर कस रखी है।
मंदिर के चंदे के लिए सोशल मीडिया पर होड़
जब से अयोध्या में राम मंदिर बनाने की घोषणा हुई है और उसमें सहभागिता के लिए चंदे का अभियान चलाया जा रहा है, तब से हिन्दूवादी संगठन के कुछ नेता अपने आपको ऊपर रखने के लिए सोशल मीडिया पर ऐसा प्रचार कर रहे हैं, जैसे सारा भार इन्होंने ही संभाल रखा है। कुछ नेता जो नगरीय निकाय चुनाव लडऩा चाह रहे हैं वे भी सुबह-सुबह जल्दी उठकर प्रभातफेरी में शामिल हो रहे हैं और बता रहे हैं कि वे कितने रामभक्त हैं? वैसे इस मामले में संगठन सबसे एक-एक कर हिसाब भी लेगा, तब मालूम चलेगा कि कौन कितना रामभक्त है?
मालवा मिल फिर बना कांग्रेस का नया ठीया
मालवा मिल चौराहे के पास एक तरह से कांग्रेस का एक नया कार्यालय शुरू हो गया है। कई कांग्रेस नेता अधिकांश समय यहीं नजर आते हैं। वैसे कभी यहां से श्रमिक क्षेत्र में कांग्रेस की राजनीति चलती थी। अब एक बार फिर यहां कांगे्रस नेताओं की महफिल जमने लगी है और जब नेता बैठेंगे तो बात राजनीति की ही करेंगे। वैसे यहीं से श्रमिक क्षेत्र के वार्डों के टिकट भी तय हो रहे हैं। एक तरह से ये कांग्रेस का दूसरा गांधी भवन बन रहा है। श्रमिक क्षेत्र को छोड़ शहर के दूसरे हिस्सों के नेता भी यहां आ नजर आ रहे हैं।

2 नंबरियों पर नहीं चल पाई गौरव की
मंडलों के प्रशिक्षण वर्ग भी हो गए और 2 नंबर छोड़ सभी विधानसभा क्षेत्रों की कार्यकारिणी भी बन गई। नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने खूब जोर लगाया कि पुराने साल में 2 नंबर की कार्यकारिणी बन जाए, लेकिन नहीं बनी तो नहीं बनी। गौरव ने सीधे मंडल अध्यक्षों से बात भी की कि वे जल्द ही नाम दे देें, नहीं तो फिर बिना कार्यकारिणी के ही काम चलाना पड़ेगा। वैसे 2 नंबर में वही होता है जो दादा दयालु चाहते हंै और दादा की हरी झंडी मंडल अध्यक्षों को नहीं थी तो फिर उनकी क्या बिसात जो दादा की रजामंदी के बिना मंडलों की कार्यकारिणी बना दें। खैर! दादा अस्पताल में हैं और अब वहां से आने के बाद ही कार्यकारिणी की घोषणा होगी। वैसे सूची तैयार है, बस देर है तो दादा के ठप्पे की।
एक बार फिर ताई ने अपनी मजबूरी सार्वजनिक रूप से बयां की है। उनका बार-बार अपनी ही पार्टी के प्रति इस तरह का दर्द छलकना कई सवालों को जन्म दे जाता है। इतनी बड़ी नेता होने के बावजूद ताई इस तरह के बयान देकर क्या जताना चाहती हैं, ये भाजपा की राजनीति के धुरंधरों को भी समझ नहीं आ रहा है। वैसे लोकसभा स्पीकर का कार्यकाल पूरा होने और सांसद का चुनाव नहीं लड़ाने के बाद पार्टी ने राज्यपाल बनाने की बात कही थी और अभी तक कुछ नहीं हुआ है। फिलहाल तो वे चिंता में हैं, जिन्हें ताई के सहारे निगम चुनाव का टिकट चाहिए और ताई बार-बार ऐसे बयान देकर बता रही हैं कि अब उनकी नहीं चलती।

-संजीव मालवीय

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