इंदौर न्यूज़ (Indore News)

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


कमाऊपूतों को टिकट देने की तैयारी
सात साल पहले भाजपा के जिन नेताओं के हाल बदहाल थे, वे पार्षद बनने के बाद अब चमचमाती गाड़ियों और कलफदार कुर्तों में शान से निकलते हैं। कई तो ऐसे हैं, जिनके वार्डों में नई-नई कालोनियां और मल्टी बन रही थीं तो उन्होंने भी इसका फायदा ले लिया और थोड़े ही दिनों में उनके वारे-न्यारे हो गए। चाहे समर्पण निधि हो या पार्टी के आयोजनों में खर्चा करने की बात, उन्होंने पार्टी को दिया भी। अब एक बार फिर वे पार्टी के नेताओं के आगे-पीछे घूम रहे हैं। कुछ नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के आगे-पीछे घूम रहे हैं तो कुछ अपने विधायक के भरोसे हैं और कुछ अपने आकाओं के भरोसे। बताया तो यह जा रहा है कि इन लोगों को टिकट देने की तैयारी फिर कर ली गई है, आखिर ये पार्टी के कमाऊपूत जो हैं। कुछ ऐसे नाम भी हैं, जिनकी आम जनता में छवि ठीक नहीं है, फिर भी नेताओं के खास होने के कारण उनके नामों को पैनल में शामिल कर लिया गया है।


काफिला रुका देख खुश हो गए टंडन
टंडन को जो तवज्जो भाजपा में दी जा रही है, वो कांग्रेस में भी नहीं मिली होगी। हर आयोजन और बैठकों में उनका लाभ लिया जा रहा है। पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री इंदौर आए थे तो उन्हें लेने टंडन भी एयरपोर्ट जा रहे थे, लेकिन सीएम जल्दी आ गए। सीएम का काफिला देख वे एक ओर हो गए तो सीएम ने उन्हें देख काफिला रुकवाया और उनसेे मिले। यह देख भाजपा नेता भी हतप्रभ रह गए कि आखिर टंडन को इतनी तवज्जो क्यों। वैसे भाजपा में आए कांग्रेसियों में तुलसी के बाद टंडन की ही ज्यादा पूछपरख हो रही है।


सिंधिया समर्थकों को चाहिए पार्षद का टिकट
निकाय चुनावों में भाजपा के दावेदारों को ही टिकटों का टोटा पड़ रहा है। कई दूसरे वार्ड पर निगाह रखे हुए हैं, लेकिन इनके बीच भी कई दावेदार ऐसे हैं, जो कांग्रेस से भाजपा में आए हैं और उन्हें भी पार्षद बनना है। भाजपा की रीति-नीति अभी ठीक से समझ नहीं पाए ये दावेदार चाह रहे हैं कि उन्हें महाराज के कोटे से टिकट मिल जाए। इसके लिए वे महाराज के खास तुलसी के लगातार फेरे लगा रहे हैं। भाजपा के पुराने नेता भी असमंजस में हैं कि इन्हें टिकट दे दिया तो पुरानों को कैसे संभालेंगे?


कभी तूती बोलती थी अब बेगाने हो गए
कांग्रेस के मीडिया विभाग में किए गए व्यापक फेरबदल में दो इंदौरी नेता प्रभावित हुए हैं। खैर एक ने तो स्वैच्छिक निवृत्ति मांगी थी, लेकिन दूसरे यकायक ही बेगाने हो गए हैं। कभी कमलनाथ के नजदीकी रहे इन इंदौरी नेता की कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते पूरे प्रदेश में धाक थी, लेकिन अचानक वे अब बेगाने से हो गए हैं। नई मीडिया टीम ने उनके पीसीसी स्थित ऑफिस पर कब्जा कर लिया है। कहा तो ये जा रहा है कि अब वे बाहर से ही सब काम देखेंगे। वैसे अधिकृत तौर पर उनके बारे में किसी प्रकार की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सूत्र कह रहे हैं कि मीडिया विभाग में अब उनका कोई काम नहीं रहा और नई टीम सारा काम देखेगी। इनके लिए एक गाना प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जरूर बज रहा है…फिल्म है जिस देश में गंगा बहती है और बोल है….हम तो जाते अपने गांव…सबको राम-राम-राम।


टिकट के पते नहीं और पार्टी शुरू हो गई
कांग्रेस और भाजपा में अभी टिकट के पते नहीं है, लेकिन कुछ उत्साहीलालों ने अपने समर्थकों को पार्टी देना शुरू कर दिया है। जैसी जिसकी इच्छा वैसी पार्टी हो रही है। सब्जी-पुरी से लेकर कबाब तो केरी के पने से लेकर शराब तक सब परोसी जा रही है। अभी तक तो यह तय नहीं है कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं, लेकिन समर्थक तो खुश हैं कि भिया पार्टी दे रहे हैं और फिर टिकट मिल गया तो परमानेंट पार्टी चलती ही रहेगी, लेकिन कार्यकर्ता तो खुश हैं भले ही भिया को टिकट मिले या नहीं मिले, उनकी पार्टी तो चल रही है।

वापस लौटा दी खिलौने की लोडिंग गाड़ियां
मुख्यमंत्री खिलौने इक_ा करने इंदौर आए थे और चुनावी साल के चलते उनको बताने के लिए कई भाजपा नेताओं ने गाड़ियां भरकर सामान दिखाने के लिए नृसिंह बाजार चौराहे पर खड़ी करवा दी। सीएम वहां से जैसे ही रवाना हुए ग्रामीण क्षेत्र के एक नेता के भाई ने गाड़ियों की कमान संभाली और सभी गाड़ियों को पीछे की ओर रवाना कर दिया, जबकि नगर निगम ही अपनी गाड़ियों में सामान भरकर ले जा रही थी, वहीं ग्रामीण क्षेत्र के एक अन्य जनप्रतिनिधि भी कुछ बड़ा सामान लेकर आए थे, जो वापस लौटा दिया गया।

किसने मांगा नई महिला अध्यक्ष से लैपटॉप?
गांधी भवन के गलियारे में इन दिनों एक नई कहानी सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि जैसे ही जया तिवारी को महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, उनसे भोपाल में किसी एक पदाधिकारी ने एक लैपटॉप और एक कम्प्यूटर की डिमांड कर डाली। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि बाकायदा मेल कर जया तिवारी से यह डिमांड की गई है। वैसे जया की नियुक्ति विवादों में ही फंसी हुई है और उन्हें भाजपाई बताकर महिला कांगे्रस की कई नेत्रियां उन्हें पद से हटाने पर तुली हुई हैं, लेकिन तिवारी की नियुक्ति भी ऐसे दमदार नाम ने की है कि उन्हें कोई हल्का-पतला नेता तो नहीं हटा पाएगा। कहा जा रहा है कि जल्द ही इस मामले में समझौता होने वाला है।

विधानसभा चुनाव में संजय शुक्ला का टिकट होने के बाद गोलू अग्रिहोत्री नाराज चल रहे थे और एक तरह से उन्होंने दूरी ही बना रखी थी, लेकिन कल एक नंबर में हुई बैठक में न केवल वे नजर आए, बल्कि शुक्ला को अपनी विधानसभा से जिताने का आश्वासन भी दे दिया।

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