भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

30 फीसदी ही हो रहा है ट्रांसमिशन प्रणाली का उपयोग

  • उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा 100 फीसदी की लागत का पैसा

भोपाल। प्रदेश में बिजली कंपनियों की ट्रांसमिशन प्रणाली का केवल 30 फीसदी क्षमता का ही उपयोग हो पा रहा है, जबकि उपभोक्ताओं से 100 फीसदी की लागत का पैसा वसूला जा रहा है। यह आपत्ति विद्युत नियामक आयोग में वित्त वर्ष 2020-21 टैरिफ की सत्यापन याचिका की सुनवाई में दर्ज की गई। आपत्तिकर्ता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि स्थापित की जा रही ट्रांसमिशन क्षमता के संबंध में आयोग को अवगत कराया है कि मार्च 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के पिछले तीन वर्षों में जहां प्रदेश की सप्लाई मात्र 1600 मेगावाट बढ़ी है, वहीं स्थापित की गई ट्रांसमिशन प्रणाली की क्षमता 14000 मेगावाट बढ़ी है। जिसकी लागत का पूरा बोझ आम उपभोक्ताओं पर आ रहा है। आयोग द्वारा विद्युत ग्रिड कोड 2019 में प्रावधान किए गए हैं लेकिन इसका पालन ट्रांसमिशन कम्पनी द्वारा नहीं किया जा रहा है। इसके बावजूद अनेको नए सब स्टेशन करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे हैं। सब स्टेशन निर्माण का कार्य ट्रांसमिशन कंपनी ने निजी कंपनी को भी लगभग 1500 करोड़ में ठेका दिया गया है।



प्रदेश में भी गठित हो कमेटी आयोग के समक्ष प्रदेश में भी कमेटी गठित करने का अनुरोध किया गया। नई ट्रांसमिशन प्रणाली की स्थापना हेतु स्थापित महाराष्ट्र ट्रांसमिशन कमेटी के अनुरूप मप्र में भी कमेटी गठित करने का सुझाव दिया गया। उपभोक्ताओं के हित में मप्र में भी प्रत्येक सबस्टेशन, क्षेत्र का ट्रांसमिशन क्षमता का उपयोगिता गुणांक महाराष्ट्र की भांति निकालने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।

35 सब स्टेशन निजी हाथों में
मप्र पांवर ट्रांसमिशन कंपनी ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बनने वाले 35 सब स्टेशन का काम निजी कंपनी को दिया हुआ है। दरअसल, बिजली कंपनियां मांग के हिसाब से लाइनों की क्षमता में इजाफा करती हैं। मौजूदा समय पर 18500 मेगावाट तक करंट प्रदेश की लाइनों में दौड़ाया जा सकता है। इस साल अधिकतम मांग 16 हजार के पार गई थी। ऐसे में अगले पांच साल में ये तेजी से बढऩे की उम्मीद जाहिर की जा रही है। मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी की प्लानिंग सेल के मुताबिक दो साल में लाइनों में करंट की क्षमता को 22 हजार मेगावाट तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है। ट्रांसमिशन कंपनी सब स्टेशन के लिए 70 फीसद लोन तथा 30 फीसद राशि खुद वहन करती है लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से कंपनी ने नए सब स्टेशन का निर्माण निजी हाथों को सौंपा है।

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