विदेश

यूएई बना सहारा, रूस से भारत को यूं मिलता रहेगा सस्ता तेल


नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का माकूल जवाब देने की कोशिश करते हुए रूस ने एक बड़ा कदम उठाया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने भारतीय कंपनियों को किए गए तेल निर्यात के लिए भुगतान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मुद्रा दिरहम में किए जाने की मांग की है.

बता दें कि पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंधों की वजह से रूस ने अमेरिकी डॉलर में कारोबार से दूरी बनाने का फैसला किया है. इस साल फरवरी में यूक्रेन पर हमले के मद्देनजर अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. हालांकि, रूस, यूक्रेन पर हमले को अपनी विशेष सैन्य कार्रवाई बताता है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की एक तेल कंपनी को किए गए तेल निर्यात का बिल (Invoice) देखने से पता चलता है कि इस निर्यात के लिए गणना डॉलर में की गई लेकिन रूस ने इस भारतीय कंपनी से दिरहम में भुगतान करने का आग्रह किया. रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) UAE बेस्ड ट्रेडिंग कंपनियों एवरेस्ट एनर्जी और कोरल एनर्जी के जरिए भारत में कच्चा तेल निर्यात कर रही है. चीन के बाद भारत रूस के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है.

यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते कई तेल आयातकों ने रूस के तेल से दूरी बना ली. इस वजह से रूस को भारी छूट पर तेल बेचना पड़ा. रूस के इस भारी छूट वाले तेल का फायदा उठाने वालों में भारत भी है, जो आमतौर पर ढुलाई लागत अधिक होने से रूस का तेल कम ही खरीदता था.


जून में सऊदी अरब को पीछे धकेलते हुए रूस, भारत में तेल का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन गया. पहले स्थान पर इराक है. सूत्रों का कहना है कि दो भारतीय तेल कंपनियों ने पहले ही रूस को दिरहम में भुगतान कर दिया है. आगामी दिनों में रूस को दिरहम में और भी भुगतान किया जा सकता है.

इनवॉयस से पता चलता है कि दुबई में रूस के कॉरेसपॉन्डेंट बैंक माशरेक बैंक (Mashreq Bank) के जरिये गैजप्रोमबैंक (Gazprombank Bank) को भुगतान किया गया. बता दें कि यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद यूएई ने निष्पक्ष रुख बनाए रखा और उसने रूस पर किसी तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए.

यूएई की मुद्रा दिरहम में किए गए इस भुगतान से पश्चिमी देशों में खलबली मच सकती है. दरअसल ये देश कहते रहे हैं कि यूएई इस मामले में रूस का पक्ष ले रहा है. सूत्रों का कहना है कि रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट की ट्रेडिंग कंपनियों ने तेल खरीदारों से इसी महीने से दिरहम में उन्हें भुगतान करने को कहा है.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने अप्रैल में कहा था कि रूस, भारत जैसे देशों के साथ कारोबार में गैर पश्चिमी मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ाना चाहता है. उन्होंने कहा था कि रूस मैत्रीपूर्ण देशों की मुद्राओं को खरीदना भी शुरू कर सकता है ताकि डॉलर और यूरो की विनिमय दर (Exchange Rate) को प्रभावित करने की कोशिश की जा सके.

रूस का करेंसी एक्सचेंज दिरहम और उज्बेकिस्तान की मुद्रा में कारोबार शुरू करने की तैयारी कर रहा है. बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते हफ्ते रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए नए मैकेनिज्म पेश किया था. इसे रूस और ईरान जैसे उन देशों के साथ भारत के कारोबार के तरीके के रूप में देखा जा रहा है, जिन पर पश्चिमी देशों ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं.

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