ब्‍लॉगर

असमय दुनिया को अलविदा कह गए राजीव त्यागी

– फरमान अली

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व प्रदेश महासचिव राजीव त्यागी हमारे बीच नहीं रहे। उनका अचानक इस दुनिया को अलविदा कहना उनके चाहने वालों को न केवल भौचक्का किए हुए है बल्कि उन्हें साल भी रहा है। राजीव त्यागी ने बहुत कम उम्र में राजनीति में खास मुकाम पर पहुंचकर सिखा गए कि यदि कोई व्यक्ति अपने गोल को पाने की ठान ले और उसके लिए ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से प्रयास करे तो निश्चित तौर पर सफलता उसके कदम चूमती है। एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले सरल स्वभाव और बहुत ही

व्यवहारिक राजीव त्यागी के राजनीतिक, सामाजिक स्तर और मीडिया से जुडे़ दोस्तों की लंबी फेरिस्त है।

राजीव त्यागी को मैं तब से जानता हूं जब उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी के साथ अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था। किसी आंदोलन की शुरुआत करने से पहले उसके पहलुओं पर मीडिया से जुडे़ लोगों से विस्तृत चर्चा और उनकी तह तक जाने के लिए हरसंभव प्रयास करते थे। उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए उन्हें रालोद का जिलाध्यक्ष बना दिया गया और फिर उन्होंने गांव, खेत, किसान और मजदूरों की राजनीति की।

राजीव त्यागी दुस्साहसी राजनीतिज्ञों में से थे। राजीव त्यागी वर्ष 1999 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सिखैड़ा गांव में आयोजित जनसभा स्थल के बीचोंबीच घुस गए और उन्हें काले झंडे दिखाने का काम किया था। जबकि किसी भी आशंका के मद्देनजर सभास्थल पर सख्त पहरेदारी थी। यहां तक कि महिलाओं को काली चुनरी ओढ़कर या लोगों को काली शर्ट या अन्य वस्त्र पहनकर सभास्थल तक पहुंचने की अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद राजीव ने देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेपी के समक्ष किसानों की आवाज बुलंद की। इसके बाद ही वह सुर्खियों में आए, उस समय वह राष्ट्रीय लोकदल में जिलाध्यक्ष थे। बाद में उन्होंने रालोद छोड़ दी और चलो गांव की ओर आंदोलन भी चलाया और फिर कांग्रेस ज्वाइन कर ली। आज की युवा पीढ़ी में यह दुस्साहस कहीं देखने को नहीं मिलता।

राजीव त्यागी बेहद सरल स्वभाव और व्यवहारिक थे। राजीव त्यागी ने कांग्रेस में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। पार्टी ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी, उसे उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया। अपने अंतिम समय निधन से पहले भी वह अपने कर्तव्य का पालन ही कर रहे थे। प्रवक्ता के रूप में वह एक टीवी चैनल पर पार्टी का पक्ष रख रहे थे तभी बेहोश हो गए। राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचने वाले चंद नेताओं की श्रेणी में शामिल राजीव त्यागी, केसी त्यागी, त्रिलोक त्यागी व केके शर्मा के बाद गाजियाबाद के ऐसे नेता थे जो राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचे। राजीव त्यागी का कांग्रेस जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टी में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचना बड़ी उपलब्धि रही। वे जल्दी दुनिया को अलविदा कह गए।

(लेखक हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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