दूर कर लें गलतफहमी… कोरोना हुआ तो वैक्सीन को बदनाम न करें
इंदौर। देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में चल रहे वैक्सीनेशन (Vaccination) के प्रभाव को लेकर आम लोगों में बहस छिड़ी हुई है। कोई इस वैक्सीन को खतरनाक (Dangerous) बताता है तो कोई पूरी तरह सुरक्षित, लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना की वैक्सीन न तो खतरनाक है और न ही कोरोना को लेकर पूरी तरह सुरक्षित करने वाली। दरअसल वैक्सीन कोरोना से व्यक्ति की सुरक्षा नहीं कर सकती, लेकिन कोरोना होने के बाद लड़ सकती है। वैक्सीन लगने के 20वें दिन बाद से शरीर में एंटीबॉडी (Antibody) बनना शुरू होती है, यानी कोरोना जैसे भयानक रोगके लिए शरीर में प्रतिरोधात्मक क्षमता बनना पैदा हो जाती है। इस क्षमता के चलते व्यक्ति की कोरोना से संघर्ष की स्थिति मजबूत होती जाती है। यह एंटीबॉडी 20 से 40 दिन के अंतराल में पूरी तरह चैतन्य होती है और उसके बाद उसका दूसरा डोज लगाया जाता है, जो बनी हुई एंटीबॉडी (Antibody) को निरंतर बनाए रखने के लिए उपयोगी होता है।
यह बात भी ध्यान रखना जरूरी है कि कोरोना के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन कोरोना के उन स्ट्रेन को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जो उस समय उपजे थे, लेकिन समय के साथ-साथ कोरोना ने अपना स्ट्रेन बदल लिया है। ऐसी स्थिति में जिन स्ट्रेन से मुकाबले के लिए वैक्सीन बनाई गई है यदि वह स्ट्रेन परिवर्तित होता है तो यह वैक्सीन भी उतनी कारगर नहीं होगी जितनी होना चाहिए। इसलिए वैक्सीन को महाअस्त्र समझने के बजाय सहायक अस्त्र समझना उपयोगी होगा। यदि वैक्सीन लगाए जाने के बाद कोरोना हो जाए तो उसे वैक्सीन का निष्प्रभावी होना मानना भी गलत होगा। इस समय का अफ्रीकन स्ट्रेन पूरे परिवार को एक साथ चपेट में लेता है।
वैक्सीन का फायदा…कोरोना हुआ तो वैक्सीन लड़ेगी
जो लोग यह समझते हैं कि उन्होंने वैक्सीन (Vaccine) लगवा ली है तो उन्हें कोरोना से एहतियात बरतने की कोई आवश्यकता नहीं, जबकि हकीकत यह है कि वैक्सीन (Vaccine) लगाए जाने के बाद भी कोरोना हो सकता है। लेकिन वैक्सीन लगाए जाने के बाद यदि कोरोना हुआ तो मरीज ए सिम्टोमैटिक, यानी सामान्य दुष्प्रभाव की स्थिति से लडक़र बाहर आ जाएगा। वैक्सीन का फायदा यह है कि शरीर में कोरोना से लडऩे की शक्ति पैदा हो जाएगी और ऐसी परिस्थिति में आपको कोरोना के भीषण दुष्प्रभाव से संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। सामान्य प्रभाव में सर्दी, जुकाम, हाथ-पैर का दर्द या सामान्य बुखार हो सकता है, लेकिन वैक्सीन नहीं लगाए जाने की स्थिति में कोरोना आपके फेफड़ों, यानी लंग्स पर इफेक्ट कर आपके श्वसन तंत्र को प्रभावी करते हुए मृत्यु की स्थिति तक ले जा सकता है। इन गंभीर खतरों से बचने के लिए आवश्यक है कि कोरोना आने के पहले ही शरीर में उससे लडऩे की क्षमता पैदा कर ली जाए, क्योंकि यदि कोरोना हो गया तो उसके बाद यह वैक्सीन भी कोई काम नहीं कर पाएगी, क्योंकि इस वैक्सीन का प्रभाव 20 दिन के अंतराल में शुरू होता है और यह अवधि मरीज को खतरनाक स्थिति में पहुंचाने में सक्षम है।
1 वर्ष तक के लिए कारगर है वैक्सीन
कोरोना की वैक्सीन (Vaccine) तो बाजार में आ गई, लेकिन इसका मतलब यह समझ लेना गलत होगा कि हमेशा के लिए हम कोरोना जैसे महारोग से सुरक्षित हो गए हैं। दरअसल वर्तमान में जिन कोरोना वैक्सीन (Vaccine) का उपयोग मानव शरीर के लिए हो रहा है वह 6 महीने से 1 एक वर्ष तक के लिए रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता पैदा करने में सक्षम हैं। प्रारंभिक तौर पर यह पता चला है कि उक्त वैक्सीन (Vaccine) के प्रभाव की समयावधि अलग-अलग हो सकती है, लेकिन यह सोचना गलत है कि वैक्सीन कोरोना जैसी महामारी से आजीवन सुरक्षा प्रदान करेगी। उसका कारण यह है कि अभी वैक्सीन के प्रभाव का आकलन इसलिए नहीं हो पाया कि वैक्सीन को आए अभी मात्र तीन माह हुए हैं। उक्त वैक्सीन के ट्रायल के पश्चात जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा वैसे-वैसे यह पता चल सकेगा कि उक्त वैक्सीन कितने समय के लिए कारगर है। हालांकि वैक्सीन निर्माताओं ने निरंतर परीक्षण के उपरांत वैक्सीन (Vaccine) के प्रभाव का आकलन करना शुरू कर दिया है और जैसे-जैसे वैक्सीन के नए डोज आ रहे हैं उनमें उन सभी संभावनाओं को शामिल किया जा रहा है, जिससे वैक्सीन लंबे समय के लिए कारगर हो सके।
वैक्सीन का दूसरा डोज 6 से 8 हफ्ते के बीच ही लगाएं…
वैक्सीन (Vaccine) का दूसरा डोज पहले चार हफ्ते बाद लगाया जा रहा था, लेकिन वैज्ञानिकों ने परीक्षण के बाद पाया कि 4 हफ्तों में एंटीबॉडी पूरी तरह नहीं बनती है और दूसरा डोज एंटीबॉडी (Antibody) को स्थाई बनाने के लिए लगाया जाता है। यदि 6 हफ्ते के पहले डोज लगाया गया तो अधूरी एंटीबॉडी ही स्थाई रूप से रह पाएगी, इसलिए वैक्सीन के दूसरे डोज का समय 6 से 8 हफ्ते के बीच का कर दिया गया है।
जानिए जरूरी बातें
– वैक्सीन (Vaccine) शरीर में प्रवेश करने के तुरंत बाद ही एंटीबॉडी (Antibody) बनाना शुरू कर देती है।
– जब हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन रही होती है तो हमारी इम्युनिटी बहुत कम हो जाती है।
– जब 6 से 8 हफ्ते बाद वैक्सीन का दूसरा डोज लेते हैं तो उस समय हमारी इम्युनिटी (Immunity) और भी कम हो जाती है।
– दूसरे डोज के 14 दिन बाद हमारे शरीर में एंटीबॉडी पूरी तरह बन जाती है तो हमारी इम्युनिटी (Immunity) तेजी से बढऩे लगती है।
– इस डेढ़ महीने के दौरान इम्युनिटी (Immunity) कम रहने के कारण कोरोना वायरस के हमारे शरीर में प्रवेश करने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है। उससे कोरोना का संक्रमण हो जाता है।
– इससे इस डेढ़ महीने के दौरान घर के बाहर निकलना बहुत रिस्की रहता है।
– डेढ़ महीने के बाद 100 से 200 गुना इम्युनिटी पॉवर हमारे शरीर में बन जाता है, उसके बाद आप सुरक्षित हो।