इंदौर। कहते हैं बड़ी बहन मां के समान होती है… छोटे भाइयों और बहनों पर मां की तरह ही स्नेह और दुलार लुटाती है… लेकिन इस स्नेह और दुलार का प्रतिफल उसे ठोकरों के रूप में मिले फिर भी वह मुस्कुराए तो और पूजनीय हो जाती है। ऐसी ही एक बहन काजल कमर के नीचे से लाचार दिव्यांग भाई को लेकर इंदौर शहर की सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर है। दिव्यांग भाई को अपने से अलग ना करने की वजह से पति ने छोड़ दिया तो वह 4 साल के मासूम को लेकर इंदौर आ गई, लेकिन यहां भी काजल को दर- दर की ठोकरे ही नसीब हो रही है। जन्म से दिव्यांग भाई अजय के लिए बहन काजल ने ना केवल पति का साथ ठुकरा दिया, बल्कि इन हाथों में चोट ना लगे इसलिए अपने पैरों की चप्पल उतार कर भाई के हाथों में पहना दी। आर्थिक सहायता के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है।
काजल ने बताया कि देवास में भीख भी नसीब नहीं हो रही थी। इंदौर की सड़कों पर गुजर-बसर करने के लिए आए हैं। माता-पिता ने शादी कर विदा कर दिया था। 4 साल की मासूम ओर पति के साथ जिंदगी अच्छी गुजर रही थी, लेकिन माता-पिता के देहांत हो जाने से भाई बेसहारा हो गया। उसे सहारा देने के लिए जब काजल ने हाथ बढ़ाया तो पति ने उसका हाथ छोड़ दिया और शर्त रखी कि यदि भाई के साथ रहना है तो पति को छोड़ना होगा।
आर्थिक मदद की गुहार
पति के घर से निकाले जाने के बाद पहचान का कोई भी दस्तावेज नहीं होने के कारण भी बहन को आर्थिक मदद भी नहीं मिल पा रही है। भिक्षावृत्ति के लिए चलाई जा रही योजना को मुंह चिढ़ाता हुआ यह मामला अभियान पर भी सवाल खड़े कर रहा है। किसी राहगीर की समझाइस पर काजल आज सवेदनशील कलेक्टर से मिलने जायगी, ताकि सर छुपाने की जगह के साथ कोई आर्थिक मदद मिल सके।