35 परिवारों और 17 बच्चों को दी समझाइश, रविवार को विशेष अभियान
इन्दौर। शहर में संचालित हो रहे भिक्षावृत्ति रोको अभियान में इस बार पंडितों और मौलवियों को भी शामिल किया जा रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर शहर के सभी मंदिरों और मस्जिदों के मौलवियों को न सिर्फ समझाइश दी जा रही है, बल्कि इस अभियान का प्रहरी भी बनाया जा रहा है। कल तक 35 परिवारों और 17 बच्चों को अभियान के दौरान समझाइश दी गई।
बाल भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के लिए चलाई जा रही मुहिम रंग लाने लगी है। शहर के व्यस्ततम चौराहों पर बच्चे नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि कई परिवार अब भी चौराहों पर रोड जाम करने का कारण बन रहे हैं। पेन, पेन्सिल, इयरबर्ड, काफी, चाबी के छल्ले, खिलौने, गुब्बारे और कई तरह के समान बेचने के नाम पर भिक्षावृत्ति की जा रही है। आए दिन व्यस्ततम चौराहों पर गाड़ी के कांच साफ करने के नाम पर बच्चों के माध्यम से पैसे की मांग हो रही है, जिस पर लगाम लगाने के लिए कलेक्टर ने नई रणनीति तैयार कर समाज के लोगों को भी इस मुहिम से जोडऩे की पहल की है। 58 पंडित और मौलवियों को भिक्षावृत्ति अभियान में शामिल किया गया है। खजराना गणेश मंदिर, रणजीत हनुमान मंदिर, अन्नपूर्णा, इस्कान टेम्पल सहित शहर की मुख्य मस्जिदों पर अजान देने वाले मौलवियों को भी समझाइश दी गई है कि वे अपने धर्म क्षेत्रों के बाहर भिक्षुकों के खड़े रहने पर समझाइश दें।
35 परिवार मिले लिप्त
ठंड के दिनों में शहर से कम्बल और अन्य सामान एकत्रित करने के बहाने राजस्थान और इंदौर की सीमा से लगे जिलों से बड़ी तादाद में भिक्षुकों की संख्या शहर आई है। शहर के बाहर के क्षेत्रों में यह भिक्षुक रोड किनारे रहकर जीवनयापन कर रहे हैं। गांधीनगर इलाके में अब भी कई भिक्षुकों को रोड किनारे देखा जा सकता है। इनमें सबसे बड़ी संख्या बच्चों के साथ उनके माता-पिता की भी है। पूरा का पूरा परिवार सडक़ों पर घूम रहा है। कल टीम ने इन सभी 35 परिवारों को भिक्षावृत्ति में लिप्त पाया और उन्हें समझाइश दी, वहीं 17 बच्चों को भी भिक्षा न लेने की समझाइश दी गई है। यदि दोबारा यह परिवार सडक़ों पर पाया जाता है तो उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।