इंदौर न्यूज़ (Indore News)

90 फीसदी लोग मास्क पहन शहर को लॉकडाउन से बचाएं


इंदौर। अपने शहर को लॉकडाउन से बचाना है तो 90 फीसदी लोगों को मास्क अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए। फेस मास्क व्यवहार को लेकर ऑनलाइन किए गए सर्वे में कई रौचक जानकारी भी सामने आई। 71 प्रतिशत युवा तो पूरे समय मास्क पहनते हैं। वहीं 57 प्रतिशत कपड़े से बने, 20 प्रतिशत एन-95 और 18 प्रतिशत सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल करते हैं। 43 प्रतिशत इसे असुविधाजनक भी मानते हैं। अब नगर निगम के साथ-साथ पुलिस भी मास्क ना पहनने वालों के चालान बनाना शुरू करेगी।
अभी नगर निगम मास्क बैंक के साथ चौराहों पर नि:शुल्क मास्क वितरण भी कर रहा है और रोको-टोको अभियान चलाया जा रहा है। आज से लेफ्ट-राइट खत्म कर सारे बाजारों को खोलने का निर्णय भी लिया गया, लेकिन अभी भी लोग लापरवाही बरते हैं। मास्क ना लगाने, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है। अभी किए गए सर्वे से यह तथ्य सामने आए कि 90 फीसदी से अधिक लोग मास्क का इस्तेमाल करने लगे तो काफी हद तक संक्रमण से बचा जा सकता है और शहर को लॉकडाउन करने की नौबत भी ना आए। जॉन हॉककिन्स संचार कार्यक्रम के रिसर्च एवं स्ट्रेटएजिक प्लानिंग के तहत फेस मास्क व्यवहार को लेकर एक सर्वे किया गया, जो कि प्रदेश के 70 शहरों और कस्बों से ज्यादातर युवाओं के बीच किया गया। इसमें पता चला कि 54 प्रतिशत खुद संक्रमण से बचने, 8 प्रतिशत दूसरों को बचाने और 23 प्रतिशत का मानना है कि बाद में संक्रमण होने से बेहतर है मास्क पहनकर सुरक्षित रहा जाए। 9 प्रतिशत ने यह भी स्वीकार किया कि वे मास्क नहीं पहनते, वहीं 48 प्रतिशत लोग बात करते समय भी मास्क नहीं उतारते। 21 प्रतिशत कभी-कभी, 22 प्रतिशत बहुत कम मास्क उतारते हैं। 57 प्रतिशत ने इसे असुविधाजनक नहीं, लेकिन 43 प्रतिशत ने असुविधाजनक भी बताया। हालांकि 90 प्रतिशत से अधिक लोग यह भी स्वीकार करते हैं कि मास्क हवा से कोरोना संक्रमण को फैलने से मदद करता है और रोजमर्रा के कामों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन कर पाना हर जगह संभव नहीं होता। ऐसे में मास्क का इस्तेमाल काफी हद तक संक्रमण से बचा सकता है। 63 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि यदि आबादी के 90 फीसदी से अधिक लोग मास्क पहनने लगें तो लॉकडाउन की जरूरत ही ना पड़े और कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। 55 प्रतिशत लोग फेस मास्क का एक बार से अधिक उपयोग करते हैं। 80 प्रतिशत उसका दोबारा उपयोग करने से पूर्व उसे धोते हैं। इस अध्ययन में एक मजेदार बात यह सामने आयी कि 28 प्रतिशत लोग पुलिस की उपस्थिति के कारण मास्क पहनते हैं। युवा उपयोग किये गये मास्क को नष्ट करने के लिये भी अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। 60 प्रतिशत लोग इसे डस्टबिन में डालकर हाथ धोते हैं। यह डस्टबिन घर के अंदर या बाहर दोनों में से कहीं भी रखा होता है। कुछ लोग इसे गाड़ देते हैं या जला देते हैं या घर के बाहर फेंक देते हैं। एक चौथाई लोग फेस मास्क नष्ट नहीं करते हैं, क्योंकि यह फेस मास्क कपड़े का बना होता है। कुछ लोग फेस मास्क को दोबारा उपयोग करने से पूर्व पानी या डेटाल से धोते हैं। वहीं किल कोरोना अभियान का दूसरा चरण भी शुरू कर दिया है। इसमें भी मास्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग के लिए व्यापक जन-जागरण अभियान चलाया जा रहा है। 14 अगस्त तक संकल्प की चैन जोड़ो – संक्रमण की चैन तोड़ो के साथ एक मास्क – अनेक जिंदगी और रोको-टोको की कार्रवाई भी सतत रूप से जारी रहेगी। अब आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए लॉकडाउन का आदेश गृह विभाग की पूर्व अनुमति के बिना जारी नहीं किया जाएगा।

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