इंदौर न्यूज़ (Indore News)

प्रदेश में मिले फीडबैक के बाद संघ के चार प्रांत के पदाधिकारी आज करेंगे मंथन

  • राष्ट्रीय पदाधिकारी के साथ-साथ क्षेत्रीय प्रचारक भी होंगे शामिल, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेश महामंत्री हितानंद भी पहुंचे

इंदौर, संजीव मालवीय। प्रदेश (State) में भाजपा सरकार (BJP government) को लेकर मिले फीडबैक के आधार (based on feedback) पर भाजपा ने तो अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन संघ भी अपने स्तर पर मंथन कर रहा है। आज इंदौर में संघ के बड़े पदाधिकारियों की एक बैठक हो रही है। बैठक के लिए कल रात कई पदाधिकारी इंदौर पहुंच गए। वे कहां ठहरे हैं और बैठक कहां होना है, इसकी जानकारी भाजपा के स्थानीय नेताओं तक को नहीं दी गई है।

संघ के सर्वे में प्रदेश में भाजपा सरकार के हालात को लेकर आज जो मंथन होने वाला है, उसमें कई कड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। भाजपा और संघ मिलकर प्रदेश में गुजरात फार्मूला लाने पर विचार कर रहे हैं। इसी बीच संघ पदाधिकारियों की बैठक अहम मानी जा रही है। संघ की दृष्टि से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चार प्रांत हैं। दोनों ही प्रदेशों में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। बैठक में प्रांत प्रचारक और सहप्रांत प्रचारक शामिल हो रहे हंै, जिसमें मालवा प्रांत से बलिराम पटेल, महाकौशल प्रांत से ब्रजकांत चतुर्वेदी, मध्यभारत से स्वप्निल कुलकर्णी और उनके साथ छत्तीसगढ़ के प्रांत प्रचारक भी आए हैं।


विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार बैठक में भाग लेने के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल भी इंदौर पहुंच गए हैं। वहीं पिछले दो दिनों से राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश इंदौर में ही डेरा डाले हुए हैं। कल रात संगठन के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी इंदौर पहुंचे। वहीं क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते बैठक में भाग लेंगे। बैठक में संघ के पांच बड़े पदाधिकारी भी आए हैं। चुनाव की दृष्टि से अहम मानी जा रही इस बैठक में कई कड़े निर्णय संघ के पदाधिकारी ले सकते हैं। चूंकि चुनाव में अभी 7 महीने से अधिक का समय बचा है, इसलिए दोनों प्रदेशों में पार्टी की दृष्टि से क्या किया जा सकता है, जिससे यहां भाजपा की सरकार बने, इसको लेकर भी मंथन होगा। बैठक कहां हो रही है, इसको लेकर स्थानीय भाजपा के पदाधिकारियों को भी जानकारी नहीं है और न ही भाजपा नेताओं को बैठक के बारे में बताया गया है। सूत्रों का कहना है कि इस प्रकार की बैठकों में व्यवस्था के लिहाज से भी जिन कार्यकर्ताओं को जवाबदारी सौंपी जाती हैं, वे बाहर के ही होते हैं, ताकि बैठक की जानकारी बाहर नहीं जा सके।

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