• img-fluid

    बंदूक संस्कृति से लहूलुहान होता अमेरिका

  • May 26, 2022

    – मुकुंद

    दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका अपनी बंदूक संस्कृति की वजह से दशकों से लहूलुहान हो रहा है। अब तो व्हाइट हाउस तक इस व्यवस्था से दहल गया है। सारा देश खून के आंसू बहा रहा है। अमेरिका के टेक्सास के यूवाल्डे शहर में एक बार फिर बंदूक की गोलियों ने रॉब एलिमेंट्री स्कूल में पढ़ने वाले 18 बच्चों का जिस्म छलनी कर दिया गया। अमेरिका में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इस देश में बंदूक संस्कृति और नस्लभेद का दानव अब तक हजारों लोगों को निगल चुका है। इस स्कूल को मकतल बना देने वाला 18 वर्षीय बंदूकधारी सेल्वाडोर रामोस सुरक्षा एजेंसियों के हाथों मारा गया। सेल्वाडोर ने 21 लोगों को मौत के घाट उतारा है। जिन बच्चों की मौत हुई है वो दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा के हैं। इसकी एक मात्र वजह बंदूक संस्कृति है। अमेरिका के कई राज्यों में बिना किसी परमिट और ट्रेनिंग के हैंड गन लेकर चलने की इजाजत है। अमेरिका में 2017 में इंसानों से ज्यादा बंदूकों की संख्या हो गई थी। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक अमेरिका में 100 नागरिकों पर 120.5 बंदूकें हैं। हैरानी इस बात की है कि अमेरिका की आबादी 33 करोड़ और आम नागरिकों के पास 39 करोड़ हथियार हैं।

    ‘गन वायलेंस आर्काइव’ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में अब तक 212 सामूहिक गोलीबारी की घटनाएं हुईं। 2021 में 693 और 2022 में 611 जगह गोलीबारी हुई। 2019 में 417 जगहों पर ऐसी ही वारदात हुई। ‘गन वायलेंस आर्काइव’ अमेरिका में स्वतंत्र डेटा संग्रह करने वाला संगठन है। दुनिया को मानवतावाद का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका में स्कूलों में गोलीबारी के आंकड़े बहुत भयावह हैं। 2022 में अब तक 27 स्कूलों में गोलीबारी हो चुकी है। इससे पहले 2021 में 34 और 2020 में 10 स्कूलों में खूनी खेल खेला गया। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 तक गोलीबारी में 45,222 लोगों की जान जा चुकी है।

    चिंताजनक यह है कि पिछले एक दशक में अमेरिका में नस्लवाद की हिंसक घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अश्वेत अमेरिका की कुल आबादी का लगभग 13 प्रतिशत हैं। अमेरिका की जेलों में कैद कुल 33 फीसदी कैदी अश्वेत हैं। गोरे लोगों की आबादी लगभग 76 प्रतिशत है। वर्ष 2020 में अमेरिका में नस्लीय हिंसा की 2,871 घटनाएं हुईं। यह 2019 की तुलना में 49 फीसदी ज्यादा हैं। कहते हैं बंदर के हाथों में माचिस की तीली थमा दी जाए तो वह आग लगाएगा ही। ऐसा ही कुछ इस बंदूक संस्कृति की वजह से हो रहा है। जिस देश में कपड़े की तरह बंदूकों की खरीदारी करने की छूट हो, वहां की धरती खून से लाल होगी ही। वर्ष 1791 में अमेरिका के संविधान में दूसरा संशोधन लागू हुआ था। इसके तहत अमेरिकी नागरिकों को हथियार रखने के अधिकार दिए गए थे। अमेरिका में दशकों तक बंदूक संस्कृति की वजह से लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। अफसोस इन मौतों का बोझ अमेरिकी संसद पर समय के साथ बढ़ता चला गया। संविधान से जुड़ी यह बंदूक संस्कृति अभी और कितने लोगों का खून बहाएगी, यह सोचकर जिस्म थर्राता है। इस ताजा खूनखराबे से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अंदर तक हिल गए हैं। उम्मीद है वह आने वाले दिनों में बंदूक संस्कृति के खिलाफ कोई बड़ा फैसला लेकर देश की नई पीढ़ी को बंदूक मुक्त वातारण उपलब्ध कराएंगे।

    अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में दिए अपने भाषण में यह कहकर अपना कठोर इरादा जता दिया है कि वो अब यह देख-देख कर ‘थक’ चुके हैं। बंदूको पर नियंत्रण लगेगा। और यह भी कि इन स्कूली बच्चों के सम्मान में व्हाइट हाउस और दूसरी अमेरिकी फेडरल इमारतों पर आधा झुके झंडे बाइडन के आगामी कदमों के संकेत देने लगे हैं। बाइडन ने ऐसी घटनाओं पर दुनिया के दूसरे देशों का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि दूसरे देशों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है। घरेलू विवाद हैं। लेकिन वहां ऐसी गोलीबारी नहीं होती। राष्ट्रपति ने देश के नागरिकों का आह्वान किया है कि बंदूक संस्कृति के खिलाफ लामबंद होने का समय आ गया है।

    इस बंदूक संस्कृति की लपटों से समूचा अमेरिका झुलस रहा है। अमेरिका का बच्चा-बच्चा चाहता है कि खूनी खेल खेलने वाली इन बंदूकों की फसल को रौंदने का वक्त आ गया है। अब लोगों को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के फैसले का इंतजार है।

    (लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

    Share:

    नरिंदर बत्रा ने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

    Thu May 26 , 2022
    नई दिल्ली। नरिंदर बत्रा (Narinder Batra) ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) (Indian Olympic Association – IOA)) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा (resign from the presidency) दे दिया है। बत्रा अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) (International Hockey Federation – FIH)) के अध्यक्ष भी हैं। बत्रा ने एक बयान में कहा, ”ऐसे समय में जब विश्व हॉकी एक […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved