कानपुर (Kanpur)। प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर (industrial city kanpur) में गंगा सबसे अधिक प्रदूषित है। औद्योगिकनगरी के डाउनस्ट्रीम जाना गांव के पास गंगा में बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) 4.60 मिलीग्राम प्रति लीटर है। यहीं गंगा (Ganges) में टोटल कोलीफॉर्म 20 हजार और फीकल कोलीफॉर्म 17 हजार पाया गया है। प्रयागराज के संगम क्षेत्र में गंगा का बीओडी अधिकतम 2.90 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला है जिसे संतोषजनक माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (pollution control board) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
बोर्ड ने मंगलवार शाम गंगा, यमुना समेत प्रदेश की सभी नदियों की रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में गंगा से मिलने वाली वरुणा नदी का प्रदूषण खतरनाक (pollution dangerous) स्तर पर बताया गया है। वाराणसी में गंगा में मिलने से पहले वरुणा का बीओडी 12.40 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला है। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार वरुणा का पानी जलीय जीवों के लिए भी काफी खतरनाक हो गया है। गंगा में मिलने से पहले वरुणा का डीओ (डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन) 3.30 मिलीग्राम प्रति लीटर है। यमुना आगरा (Yamuna Agra) से हमीरपुर तक बहुत प्रदूषित है। इटावा में यमुना का बीओडी 16.80 मिलीग्राम प्रति लीटर है। जबकि डीओ 5.80 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया।
काली, हिंडन, गोमती, सई का पानी बहुत प्रदूषित
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बहने वाली काली नदी का पानी बेहद खतरनाक पाया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बुलंदशहर में हिंडन नदी का बीओडी 54 मिलीग्राम प्रति लीटर मिला। नदी में डीओ शून्य मिलने से जलीय जीवों के जिंदा रहने की कोई संभावना नहीं है। मुजफ्फरनगर में नदी का यही हाल है। प्रदूषण के मामले में सबसे अधिक बदनाम हिंडन नदी सहारनपुर से नोएडा तक काली से अधिक प्रदूषित है। सीतापुर से बाराबंकी तक गोमती नदी का भी लगभग यही हाल है। उन्नाव और जौनपुर में सई का प्रदूषण सामान्य से अधिक पाया गया।
नदियों के पानी में प्रदूषण का मानक
प्रदूषण कारक मात्रा
बीओडी तीन मिलीग्राम प्रति लीटर अधिकतम
डीओ पांच मिलीग्राम प्रति लीटर न्यूनतम
बोले अफसर
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके सिंह ने बताया कि नदियों की महीनेभर की गई जांच के बाद मुख्यालय रिपोर्ट जारी करता है। प्रदेश के सभी जिलों में नदियों की रिपोर्ट पर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन प्रयागराज में गंगा-यमुना का जल आचमन और स्नान करने योग्य है। यहां गंगा-यमुना की हर स्तर पर निगरानी से स्थिति में लगातार सुधार दिखाई पड़ रहा है। यहां फीकल कोलीफॉर्म 780 भी नियंत्रण में है।