भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मप्र में 35 सीटों पर हो सकता है उपचुनाव!

  • हाथ छोड़ सकते हैं और 10 विधायक

भोपाल। मप्र में 25 नहीं बल्कि 35 सीटों पर उपचुनाव हो सकते हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों का प्रभाव कम करने के लिए पार्टी कांग्रेस के कम से कम 10 और विधायकों को अपने पाले में लाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से यह कांग्रेस के लिए जोर का झटका लगने वाली बात हो जाएगी। बताया जाता है कि भाजपा के रणनीतिकार 35 सीटों पर उपचुनाव के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में पहले 2 विधानसभा सीटों जौरा और आगर में विधायकों के निधन के बाद उपचुनाव होने थे। इसी दौरान 22 कांग्रेसी विधायकों ने त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस कारण 24 सीटों पर उपचुनाव की तैयारी हो गई है। लेकिन इसी बीच बड़ामलहरा के कांग्रेसी विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी भी भाजपा में शामिल हो गए और अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया। इस तरह अभी तक 25 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने अंदर ही अंदर 35 सीटों पर चुनाव की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।

7 विधायक पहले से संपर्क में
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी जिन 10 विधायकों को भाजपा में लाने की तैयारी कर रही है, उनमें से 7 विधायक पहले से ही संपर्क में हैं। ये विधायक मंत्रिमंडल गठन और विभागों के बंटवारे का इंतजार कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि यह भी एक वजह है कि कांग्रेस छोड़कर आए 14 पूर्व विधायकों को मंत्री बनाया गया है और कईयों को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि जिन कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में लाने की कोशिश चल रही है उनमें से अधिकांश मालवा और निमाड़ क्षेत्र के हैं। वहीं कुछ विधायक मध्यभारत के भी संपर्क में हैं। ये वे विधायक हैं जिनका सिंधिया से दूर तक का नाता नहीं है। सूत्र बताते हैं कि संघ के कुछ पदाधिकारियों के साथ ही भाजपा के नेता इस अभियान को पूरा करने में जुटे हुए हैं।

कंषाना पहले ही दे चुके हैं संकेत
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सुमावली से पूर्व विधायक और शिवराज सरकार में मंत्री एंदल सिंह कंषाना पहले ही संकेत दे चुके हैं कि कांग्रेस के 10 और विधायक भाजपा संपर्क में हैं। मंत्री कंषाना ने ये भी कहा है कि कोशिश करने पर विधायकों की संख्या 10 से 15 तक भी हो सकती है।

सिंधिया गुट के प्रभाव से मुक्ति की कोशिश
वहीं संघ के एक सूत्र का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर विभागों के बंटवारे तक में जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों ने भाजपा पर दबाव बनाया है, उससे पार्टी आलाकमान चिंतित है। इसलिए पार्टी के रणनीतिकार इस कोशिश में लगे हुए हैं कि कम से कम 10 कांग्रेसी विधायकों को किसी तरह भाजपा में शामिल किया जाए। विधायकों के साथ समझौते पर चर्चा हो रही है। प्रद्युमन सिंह लोधी का भाजपा में आना भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है। इसी तरह से निर्दलीय विधायक प्रदीप जयसवाल को भी खनिज निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश है की उपचुनाव की घोषणा होने के पहले कम से कम 10 विधायकों को कांग्रेस से तोड़कर उन्हें पद देकर भाजपा की सदस्यता दिला दिला दी जाए। फिर उन्हें भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया जा।

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