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‘मन की बात’ के माध्यम से लोगों को स्वस्थ भारत की प्रेरणा

– डॉ. विनोद के. पॉल स्वास्थ्य और विकास आपस में जुड़े हुए हैं- केवल स्वस्थ नागरिक ही किसी राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार इस आदर्श के लिए प्रतिबद्ध है और भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए अथक […]

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बढ़ती आबादी: वरदान भी, मुसीबत भी

– योगेश कुमार गोयल ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ (यूएनएफपीए) की ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट’ के मुताबिक भारत अब चीन को पछाड़ कर दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। यूएनएफपीए की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में भारत की जनसंख्या में करीब डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि हुई है और भारत की […]

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प्रधानमंत्री की हर पहल से भारत हुआ सशक्त

– पंडित अजॉय चक्रवर्ती सबसे पहले मैं विनम्र शब्दों में कहना चाहता हूं कि महान राजनेताओं की एक लंबी लिस्ट है, जो हमारे देश के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुए। लेकिन, ऐसा लगता है कि उनमें से किसी ने भी उस रूप में पद नहीं संभाला, जैसा नरेन्द्र मोदी ने […]

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तारिक फतेह क्यों चुभते थे कठमुल्लों को

– आरके सिन्हा तारिक फतेह को उनके चाहने वाले एक बेखौफ लेखक के रूप में याद रखेंगे। वे सच का साथ देते रहे। वे भारत के परम मित्र थे। उन्हें इस बात का गर्व रहा कि उनके पूर्वज हिंदू राजपूत थे। वे बार-बार कहते और लिखते थे कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के तमाम मुसलमानों […]

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मन की बात, बड़ी सौगात

– अनुराग सिंह ठाकुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सार्वभौमिक रूप से असाधारण प्रतिभा के धनी वक्ता हैं। जनता के साथ तत्काल संवाद स्थापित करने की उनकी शैली अनूठी है। वो जिस लगन के साथ बोलते हैं और जिस निष्ठा के लिए जाने जाते हैं, वह पिछले आठ वर्षों में विश्वास-आधारित संवाद ‘मन की बात’ से और […]

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मेरी नहीं, श्री की इच्छा है ‘हिन्दवी स्वराज्य’

– लोकेन्द्र सिंह पुणे से 82 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रोहिडखोरे की भोर तहसील में सह्याद्रि की सुरम्य वादियों के बीच समुद्र तल से लगभग 4694 फीट ऊंचाई पर घने जंगलों के बीच स्थित श्री रायरेश्वर गढ़ (किला) हिन्दवी स्वराज्य प्रतिज्ञा दिवस का साक्षी है। 26 अप्रैल, 1645 को वीर बालक शिवा ने यहीं […]

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समलैंगिक विवाह और भारतीय मान्यता

– डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी समलैंगिकता का मुद्दा सदियों से भारत में विवादास्पद रहा है। समाज ने पारंपरिक रूप से विषम लैंगिकता को सामाजिक निर्माण के रूप में बरकरार रखा है। समाज ने इसके किसी भी विचलन को अस्वीकार्य माना है। इस संबंध में उभरी सबसे हालिया बहसों में से एक यह है कि क्या […]

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जनसंख्या वृद्धि खुशी के साथ चिंता भी!

– प्रमोद भार्गव भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां दुविधा और विरोधाभास प्रगति के समानान्तर चलते हैं। अतैव जनसंख्या बल जहां शक्ति का प्रतीक है, वहीं उपलब्ध संसाधनों पर बोझ भी है। इसलिए अनेक समस्याएं भी सुरसामुख बन खड़ी होती रहती हैं। हालात तब और कठिन हो जाते हैं, जब संसाधनों के बंटवारे […]

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युगांडा से सूडान संकट तक: बदलती भारतीय विदेश नीति

– आर.के. सिन्हा सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल के बीच चल रहे भीषण गृहयुद्ध के चलते वहां के हालात बद से बदतर हैं। वहां फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने के लिए सारा देश चिंतित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सूडान में फंसे भारतीयों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकासी के लिए विदेश […]

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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

अब अपने ही आंगन में ध्यान दे रहे तुलसी चुनावी साल है और अपने क्षेत्र के लोगों की अनदेखी अच्छे-अच्छों को घर बिठा देती है। इसलिए अब हर नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और मतदाताओं की पूछपरख में लग गया है। तुलसी भी अब अपने आंगन में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जब भी […]