- रिडेवलपमेंट पॉलिसी सरकारी भवनों के साथ अब निजी, हाउसिंग बोर्ड, प्राधिकरण के लिए भी होगी लागू, जल्द मिलेगी कैबिनेट से भी मंजूरी
इंदौर। अभी तक सरकारी जमीनों पर बनी बिल्डिंगों को रीडेंसीफिकेशन पॉलिसी के तहत पुनर्निर्माण की मंजूरी दी जाती थी, मगर अब इसी तरह की पॉलिसी निजी बिल्डिंगों के साथ-साथ हाउसिंग बोर्ड और प्राधिकरणों के लिए भी लागू की जा रही है। खस्ताहाल, जर्जर और पुरानी बिल्डिंगों को तोडक़र नई आधुनिक बहुमंजिला इमारतें बनाई जा सकेंगी और रहवासियों को मुफ्त में फ्लैट मिल जाएंगे।
शासन ने पहले बीओटी, पीपीपी के अलावा रीडेंसीफिकेशन पॉलिसी सरकारी इमारतों के लिए लागू की थी, जिसमें पुराने स्कूल, हॉस्पिटल, बस स्टैंड या ऐसे अन्य निर्माणों को निजी डेवलपर की सहायता से विकसित किया जा सके। इंदौर में लाल अस्पताल के साथ अन्य सरकारी इमारतों में इस तरह के प्रयोग पूर्व में भी हो चुके हैं। अब नगरीय विकास और आवास मंत्रालय रिडेवलपमेंट पॉलिसी निजी बिल्डिंगों के साथ-साथ हाउसिंग बोर्ड और प्राधिकरण के लिए भी ला रहा है। इसका ड्राफ्ट लगभग तैयार है, जिसे जल्द ही कैबिनेट में रख मंजूर किया जाएगा, जिसके चलते इन बिल्डिंगों में रहने वाले रहवासियों को नई इमारत बनने पर उसमें मुफ्त या निर्धारित कुछ राशि देकर नए फ्लैट मिल सकेंगे। पुरानी बिल्डिंग के स्थान पर जो नई बहुमंजिला इमारत बनेगी, उसमें एफएआर और ग्राउंड कवरेज में इन्सेंटिव दिया जाएगा। मास्टर प्लान और भूमि विकास नियम में जो निर्धारित आवासीय और व्यावसायिक बिल्डिंगों के लिए एफएआर है, उसमें आवासीय में 0.50 और व्यावसायिक में 0.75 ज्यादा एफएआर मिलेगा, तो ग्राउंड कवरेज भी 30 से बढक़र 40 प्रतिशत तक दिया जा सकेगा, लेकिन रहवासी समिति की अनुमति जरूरी रहेगी।
रहवासियों को मुफ्त में मिल सकेंगे नए सुविधायुक्त फ्लैट
सालों पुरानी बिल्डिंगों में रहने वाले रहवासी अभी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। कई पुरानी बिल्डिंगों में तो लिफ्ट, पार्किंग से लेकर अन्य सुविधाएं मौजूद भी नहीं हैं, लेकिन इनकी जगह जो नई आधुनिक बिल्डिंगें बनेंगी, उनमें लिफ्ट, पॉवर बैकअप, पर्याप्त पार्किंग से लेकर कई अन्य सुविधाएं मिलेंगी। रहवासियों को ये फ्लैट मुफ्त में ही मिलेंगे या फिर अगर कुछ प्रीमियम या अतिरिक्त राशि देना पड़ी तो वह भी अधिक नहीं रहेगी। निजी बिल्डर-डेवलपर इन पुरानी बिल्डिंगों को तोडक़र उसकी जगह बहुमंजिला इमारतें निर्मित कर सकेंगे। दिल्ली, मुंबई या अन्य बड़े शहरों में इस तरह की रिडेवलपमेंट पॉलिसी सफल भी साबित हुई है। यह अवश्य है कि पुरानी बिल्डिंग में रहने वाले रहवासियों और उनकी समिति से विधिवत अनुमति लेना पड़ेगी
इंदौर में ही दो दर्जन से ज्यादा ऐसी जर्जर बहुमंजिला इमारतें मौजूद
इंदौर में ही एमजी रोड, जवाहर मार्ग से लेकर पलासिया और अन्य क्षेत्रों में वर्षों पहले बनी मल्टीस्टोरी बिल्डिंगें जर्जर हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, प्राधिकरण से ज्यादा हाउसिंग बोर्ड की भी ऐसी कई बिल्डिंगें खस्ताहाल हो चुकी हैं। एलआईजी क्षेत्र में ही गुरुद्वारे के पास की हाउसिंग बोर्ड की बिल्डिंगें इसी तरह खस्ताहाल हैं। एक बिल्डिंग को तो हाउसिंग बोर्ड तोड़ भी चुका है और अन्य बिल्डिंगों के रहवासियों की आपत्ति के बाद काम बंद कर दिया था, क्योंकि नीचे दुकानें निर्मित थीं, जिन्हें पिछले दिनों तोड़ा भी गया और हाईकोर्ट स्टे के चलते फिलहाल कार्रवाई रूकी है। सुखलिया, लवकुश विहार सहित अन्य पुरानी हाउसिंग बोर्ड की कालोनियों में भी इसी तरह जर्जर बिल्डिंगें हैं, जिनकी जगह नई बिल्डिंगें निर्मित की जा सकती हैं।
हाईराइज कमेटी से मिल जाएगी गगनचुंबी इमारतों की मंजूरी
इंदौर, भोपाल व अन्य बड़े शहरों में अब गगनचुंबी इमारतों का निर्माण होने लगा है। अभी तक इंदौर में 13-14 मंजिला इमारतें ही बनती थीं, लेकिन अब 25-30, 40 और उससे भी अधिक ऊंची इमारतों के निर्माण निकट भविष्य में होंगे। पुरानी बिल्डिंगों को तोडक़र नई गगनचुंबी इमारतों की मंजूरी हाईराइज कमेटी देगी, जिसमें रिडेवलपमेंट पॉलिसी के तहत अतिरिक्त एफएआर और ग्राउंड कवरेज का लाभ भी मिल सकेगा।