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देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ था देवास का सपूत, पत्नी को पति की शहादत पर है गर्व

 

देवास। ‘देश की सेवा करूंगा और मरते दम तक करता रहूंगा. ये मेरे देश की मिट्टी है, इसी में ही मिल जाऊंगा…’ शहीद संदीप यादव (Martyr Sandeep Yadav) के ये शब्द आज भी देवास (Dewas) के कुलाला गांव में गूंज रहे हैं. गांव आज भी अपने कलेजे के टुकड़े को भूला नहीं है. शहीद का परिवार और पूरा गांव मानता है कि संदीप आज भी जिंदा है और हमारे दिलों में समाया हुआ है.

गौरतलब है कि, साल 2019 में अमरनाथ यात्रा (Pilgrimage to Amarnaath) चल रही थी. 12 जून को संदीप कश्मीर (Kashmir) के अनंतनाग (Anantnag) में अलसुबह तैनात था. इतने में वहां आतंकी हमला हुआ और संदीप यादव सहित 5 जवान शहीद हो गए. इन जवानों के शव को अगले दिन पैतृक गांव लाया गया. संदीप का शव भी तिरंगे में लिपटा हुआ देवास (Dewas) से करीबन 30 किलोमीटर दूर ग्राम कुलाला लाया गया.

पूरे गांव में फैल गया था सन्नाटा

किसान कांति लाल यादव के छोटे बेटे शहीद संदीप यादव के शहीद होने की खबर पहुंचते ही पूरे गांव में सन्नाटा छा गया था. पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई. संदीप के मित्र बताते हैं कि संदीप काफी मिलनसार युवक था. गांव में जब भी आता था खुशी की लहर दौड़ जाती थी. सब से मिलता जुलता था. देश सेवा का जज्बा लिए वह कहता था कि देश की सेवा करूंगा और मरते दम तक करता रहूंगा. ये मेरे देश की मिट्टी है इसी में ही मिल जाऊंगा.

मुझे बेटे पर गर्व – कांतिलाल

शहीद संदीप यादव के परिवार में आज उनके माता-पिता, बड़े भाई, पत्नी ज्योति व बेटा रोहित हैं. शहीद के पिता कांतिलाल यादव नम आंखों से बताते हैं कि उनका बेटा संदीप पढ़ाई के समय से ही आर्मी में जाने का जज्बा लिए हुए था. इसके लिए जोरदार तैयार कर रहा था. कड़ी मेहनत के बाद 2010 में संदीप का आर्मी में सिलेक्शन हुआ. छत्तीसगढ़ में 3 साल की ट्रैनिंग के बाद उसे कई जगह पोस्टिंग मिली. बाद में उसे अनंतनाग में तैनात किया गया. शहीद के पिता ने कहा- गर्व है कि मेरे बच्चे ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. आर्मी में जाने वाले नौजवानों को मेरा संदेश है कि अपने देश के लिए जी-जान से लगें रहें.

शहीद की पत्नी होने पर गर्व है

शहीद की पत्नी ज्योति के लिए तो संदीप कहीं गए ही नहीं. उन्होंने कहा कि संदीप की पत्नी होने का उन्हें गर्व है. उन्हें गर्व है कि उनके पति देश की सेवा करते हुए शहीद हुए. संदीप के बड़े भाई किसानी करते हैं. जबकि उनके बेटे रोहित को सरकारी नौकरी मिल गई. रोहित को सुरक्षा बल में तैनात किया गया.

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