भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

प्रदेश में ड्रग्स तस्करी के मामले 13 महीनों में चार गुना बढ़े

  • अफीम-गांजे के तस्कर अब सिंथेटिक ड्रग भी बेचने लगे
  • सीमावर्ती गांवों से तस्करी, इंदौर जैसे शहर निशाने पर। महंगी होने के कारण बड़े शहरों में इनके ग्राहक होते हैं

भोपाल। मप्र नशीले पदार्थों की तस्करी का गढ़ बन रहा है। साल दर साल नशीले पदार्थों की बरामदगी की मात्रा बढ़ती जा रही है।चिंता की बात यह है कि बीते 13 महीने में नशे की जब्त खेप में चार गुना का उछाल आ चुका है। सेंट्रल ब्यूरो आफ नारकोटिक्स (सीबीएन) की मप्र यूनिट ने 2021 से जनवरी 2022 तक 38 हजार किलो से ज्यादा नशीले पदार्थ पकड़े हैं। हैरानी ये कि यह मात्रा 2018 में पकड़े गए नशीले पदार्थों के मुकाबले करीब 12 गुना है। पहली बार सीबीएन द्वारा पकड़े जा रहे नशीले पदार्थों की सूची में अब सिंथेटिक ड्रग्स भी दिखाई देने लगी है। नशे के खिलाफ काम कर रहे इस केंद्रीय विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ड्रग्स तस्करी की खेप भले की छोटे शहरों और गांवों में बरामद हो रही है लेकिन तस्करों इन खेप को बड़े शहरों में खपा रहे हैं। युवा सबसे ज्यादा इनके निशाने पर है।



सेंट्रल ब्यूरो आफ नारकोटिक्स 2019 तक की कार्रवाईयों के दौरान अफीम, डोडा चूरा और गांजे जैसे परंपरागत नशीले पदार्थ पकड़े जाते रहे हैं। 2021 की कार्रवाई में पहली बार इस सूची में एमडी जैसी बेहद महंगी और नशीली सिंथेटिक ड्रग्स भी नजर आई। सीबीएन नवंबर 2021 में 13 किलो 900 ग्राम एमडी ड्रग्स का पावडर पकड़ा जो अब तक की सबसे बड़ी खेप है। सीबीएन के मप्र यूनिट के अधिकारियों के अनुसार सिर्फ इतना ही नहीं बीते छह महीनों में ही 17 हजार 535 किलो अफीम, 17950 किलो डोडा चूरा, 680 किलो गांजा और 650 ग्राम हेरोइन भी बरामद की गई। तस्करी कर रहे 19 लोगों को गिरफ्तार भी किया।

इंदौर-भोपाल जैसे बड़े शहरों पर खतरा
ड्रग्स तस्करी के बढ़ते मामलों के सीबीएन के आंकड़े इंदौर-भोपाल जैसे महानगरीय परिवेश वाले बड़े शहरों को चौंकन्ना होने का ईशारा भी कर रहे हैं। सीबीएन मप्र यूनिट के अधिकारियों के मुताबिक पकड़े जाने वाले ज्यादातर तस्कर और तस्करी के मामले मप्र के सीमवर्ती छोटे कस्बों और गांवों से हैं। हालांकि उनके ग्राहक बड़े शहरों से है। सीबीएन के अधिकारी कहते हैं दरअसल अब तक सिर्फ अफीम और गांजे जैसे पदार्थों की तस्करी कर रहे तस्कर ही अब सिंथेटिक ड्रग्स का कारोबार भी करने लगे हैं। दरअसल सिंथेटिक ड्रग न केवल ज्यादा नशीली मानी जाती है बल्कि तस्करों को कम दामों पर मिलकर बाजार में महंगी बिकती है। ऐसे में तस्कर ज्यादा काली कमाई के लालच में सिंथेटिक ड्रग की भी आपूर्ति कर रहे हैं। सीबीएन के अधिकारियों के मुताबिक महंगी होने के कारण बड़े शहरों में इनके ग्राहक होते हैं। पब और रेव पार्टी का कल्चर बढऩे के साथ इंदौर-पुणे जैसे शहरों में भी सिंथेटिक ड्रग्स के रैकेट सक्रिय हो गए हैं।

इंदौर में पकड़ी जा चुकी है फैक्ट्री
बिल्कुल नई महंगी और सिंथेटिक ड्रग जो पहले विदेशों में प्रचलित थी वो इंदौर के आसपास भी बनने लगी है। 2018 में इंदौर में पहली बार फेंटानील जैसी नई ड्रग की फैक्ट्री इंदौर में पकड़ी गई थी। पोलो ग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र में एक बंद दवा फैक्ट्री से डीआरआइ ने सितंबर 2018 में नौ किलो से ज्यादा फेंटानील पकड़ी थी। इससे पहले इतनी ज्यादा मात्रा में यह नशीली दवा कभी बरामद नहीं हुआ। ड्रग्स बनाने के मामले में दो स्थानीय लोगों के साथ एक मैक्सिकन नागरिक भी पकड़ा गया था। डीआरआइ के वकील चंदन ऐरन के अनुसार मामले में केस चल रहा है और तीनों आरोपित अब भी जेल में ही हैं।

हजारों किलो नष्ट की
बीते कुछ महीनों में सीबीएन ने 100 किलो से ज्यादा अफीम के साथ हेरोइन, एसेटिक अनड्राइड जैसी दवाओं की पकड़ी गई खेप को नष्ट भी किया है। नशीले पदार्थों के मामलों का पकड़ा जाना और बरामदगी साबित कर रहा है कि इसे रोकने के लिए हम ज्यादा सतर्क हैं और लगातार कोशिश कर रहे हैं।
डा. संजय कुमार, डिप्टी कमिश्नर, सीबीएन

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