इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर आरटीओ ऑफिस ने रचा इतिहास, पहली बार 891 करोड़ की कमाई

  • प्रदेश में नंबर 1… परिवहन मुख्यालय से मिला था 673 करोड़ का टारगेट
  • टारगेट से 218 और पिछले वित्तीय वर्ष से 324 करोड़ की ज्यादा आय

इंदौर (Indore)। इंदौर हर क्षेत्र में सबसे आगे है। हाल ही में इस बात को इंदौर के परिवहन विभाग (transport Department) ने फिर साबित किया है। 31 मार्च को खत्म हुए वित्तीय वर्ष (2022-23) में इंदौर आरटीओ ऑफिस ने पहली बार 891 करोड़ रुपए राजस्व कमाया है, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। खास बात यह भी है कि इंदौर आरटीओ ने पिछले साल के आंकड़ों और मुख्यालय से इस साल के लिए मिले टारगेट को काफी पीछे छोड़ दिया है।

परिवहन मुख्यालय द्वारा हर साल वित्तीय वर्ष के मुताबिक हर जिले को राजस्व वसूली का टारगेट दिया जाता है। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 के लिए इंदौर जिले को 673.19 करोड़ का टारगेट दिया गया था। यह टारगेट पिछले वित्तीय वर्ष में हुई 567.58 करोड़ की वसूली को आधार बनाकर दिया गया था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में इंदौर आरटीओ ने सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 891.84 करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली की है। यह आंकड़ा इंदौर सहित प्रदेश में राजस्व वसूली का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।


इंदौर ने टारगेट से 32 प्रति. ज्यादा कमाए
इंदौर आरटीओ प्रदीप शर्मा ने बताया कि टारगेट से तुलना करें तो इंदौर ने 673.19 करोड़ के टारगेट की अपेक्षा 891.84 करोड़ का राजस्व वसूलते हुए टारगेट से 218.05 करोड़ की ज्यादा कमाई की है। यह टारगेट की अपेक्षा 32.4 प्रतिशत ज्यादा है, वहीं पिछले साल हुई राजस्व वसूली 567.58 करोड़ से तुलना करें तो इंदौर ने इस साल 324.26 करोड़ ज्यादा कमाए हैं। यह पिछले साल की तुलना में 57 प्रतिशत ज्यादा है।

वाहनों की बिक्री बढऩे से बढ़ा राजस्व
विशेषज्ञों की माने तो शहर में पिछले सालों की तुलना में वाहनों की बिक्री में काफी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही इन पर लगाए जाने वाले टैक्स में भी इजाफा हुआ है। सारा सिस्टम ऑनलाइन हो जाने से गड़बड़ी भी खत्म हो गई है। इन्हीं कारणों से राजस्व वसूली में इंदौर सबसे आगे निकला है। कोरोनाकाल के बाद लोग निजी वाहन लेने की ओर ज्यादा बढ़े हैं। दूसरी ओर इस दौरान वाहनों की कीमत में भी इजाफा हुआ है, जिससे टैक्स से काफी आय बढ़ी है।

….लेकिन सुविधाओं में पीछे इंदौर आरटीओ
इंदौर आरटीओ प्रदेश में हमेशा सर्वाधिक राजस्व कमाकर देने वाला कार्यालय रहा है। इसके बाद भी सुविधाओं के मामले में इंदौर अनदेखी का शिकार रहा है। यहां सालों से कई पद खाली हैं। जनसंख्या और वाहनों की संख्या बढऩे के बाद भी यहां स्टाफ की बढ़ोतरी नहीं हुई है। यहां जमीनी कार्रवाई के लिए भी बल की कमी है। अत्याधुनिक सुविधाओं के मामले में भी इंदौर आरटीओ पिछड़ा हुआ है, वहीं ऑफिस में भी जनसुविधा के बेहतर इंतजाम नहीं है। अगर इन बातों पर ध्यान दिया जाए तो कमाई और भी बढ़ सकती है।

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