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लोकसभा चुनावः दूसरे चरण के वोटिंग टर्नआउट का फाइनल डेटा जारी, विपक्ष ने उठाए सवाल

नई दिल्ली (New Delhi)। देश (Country) में इन दिनों लोकतंत्र का महापर्व (Great festival of Democracy) चल रहा है. 7 चरणों में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections in 7 phases) की शुरुआत 19 अप्रैल से हुई और 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग हुई. इस मतदान के बाद चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत का आंकड़ा जारी करता है. लेकिन इसी मुद्दे पर अब सियासत गरमाई हुई है। वजह है कि चुनाव आयोग को यह आंकड़ा जारी करने में काफी वक्त लगा. विपक्षी दल इसे लेकर आयोग पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

दरअसल मंगलवार शाम चुनाव आयोग ने यह आंकड़ा जारी किया और विपक्षी दल इसे लेकर ECI पर सवाल खड़े करने लगे. विपक्ष का आरोप है कि आमतौर पर वोटिंग प्रतिशत का यह आंकड़ा 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है. लेकिन इस बार यह काफी देर से जारी हुआ है।


बताते चलें कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है. इस डेटा के आने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और CPM जैसी पार्टियों ने पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को इतनी देरी क्यों हुई।

वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?
CPI(M) नेता सीताराम येचुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल उठाए और पहले दो चरणों के लिए पारदर्शिता की मांग की. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ECI के पहले दो चरणों में मतदान का आंकड़ा शुरुआती आंकड़ों से काफी अधिक है. उन्होंने पूछा, प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक यह आंकड़ा ज्ञात न हो, आंकड़ा निरर्थक है. वे बोले, नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है. 2014 तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी. ईसीआई को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को बाहर रखना चाहिए।

TMC नेता ने कहा- आंकड़ों में फेर
वहीं TMC नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, फेज 2 खत्म होने के चार दिन बाद, चुनाव आयोग ने अंतिम मतदान आंकड़े जारी किए हैं. चुनाव आयोग द्वारा 4 दिन पहले जारी की गई संख्या से 5.75% की बढ़ोतरी (मतदान में उछाल) देखा जा रहा है. क्या यह सामान्य है? मुझे यहां क्या समझ नहीं आ रहा है?

बताते चलें कि आम चुनाव के लिए मतदान सात चरणों में हो रहा है. शुरुआती दो चरणों की वोटिंग 19 और 26 अप्रैल को हो चुकी है, तो वहीं बाकी चरण 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को होंगे. इन सभी वोटों की गिनती 4 जून को होगी।

कांग्रेस ने देरी पर उठाए सवाल
इस आंकड़े के आने से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के लिए चुनाव संबंधी सभी आंकड़ों के बारे में समय पर और पारदर्शी होना जरूरी है और उसे आंकड़े सामने लाने चाहिए और उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में पूछा, ‘पहली बार, पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और दूसरे चरण के चार दिन बाद भी, ईसीआई द्वारा अंतिम मतदान प्रतिशत जारी नहीं किया गया है. पहले, ईसीआई मतदान के तुरंत बाद अंतिम मतदान प्रतिशत जारी करता था. आमतौर पर यह मतदान के 24 घंटों के भीतर जारी होता है. लेकिन ईसीआई की वेबसाइट पर केवल अनुमानित मतदान के आंकड़े उपलब्ध हैं, इस देरी का कारण क्या है।

‘पारदर्शिता होना जरूरी है’
जयराम रमेश ने कहा कि इसके अतिरिक्त, प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र और उस लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या भी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा, वेबसाइट केवल राज्य में मतदाताओं की कुल संख्या और प्रत्येक बूथ में मतदाताओं की संख्या दिखाती है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘भारत के चुनाव आयोग के लिए चुनाव संबंधी सभी आंकड़ों का समय पर और पारदर्शी होना जरूरी है।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने आरोप लगाया, “(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी ने अपना खुद का अंपायर हासिल करने और चुनाव आयोग को नष्ट करने के लिए संसद में कानून बदलवा दिया।” उन्होंने कहा, अब, दो चरणों के बाद, ईसीआई को अंतिम मतदान डेटा का खुलासा करना बाकी है।

इससे इतर कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए पूछा, ‘देरी क्यों? पहले दो चरण अच्छे नहीं रहे, क्या हुए! और चुनाव आयोग, हर चरण के बाद कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं करता?’

कहां कितना मतदान?
बता दें कि इस साल हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के पहले चरण में लक्षद्वीप (84.1 प्रतिशत) में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया है, जबकि बिहार (49.26 प्रतिशत) में 19 अप्रैल को मतदान होने वाले 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया है. दूसरे चरण के मतदान की बात करें तो मणिपुर में सबसे अधिक 84.85 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम 55.19 प्रतिशत मतदान हुआ।

अदालत का रुख करने की तैयारी
गौर करने वाली बात है कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान प्रतिशत में तीन दिनों में करीब छह फीसदी की तेजी ने शेयर बाजार और सोने के सराफा बाजार को भी चकित कर दिया है. निर्वाचन आयोग की 26 अप्रैल यानी मतदान के दूसरे चरण वाली देर शाम जारी रिलीज 60.96 फीसद मतदान होने की तस्दीक करती दिखी. लेकिन अगले चार दिनों में यानी 30 अप्रैल की शाम तक ये आंकड़ा लगभग छह फीसदी बढ़कर 66.71 फीसदी तक पहुंच गया. मतदान आंकड़ों में उछाल से राजनीति में बवाल मच गया है. कुछ लोग चुनाव के बाद इस बाबत चुनाव याचिका और कुछ जनहित याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने की प्लानिंग कर चुके हैं. यानी गर्मी छुट्टी के बाद शायद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गूंजे।

मतदान केंद्रों पर दिखी लंबी कतारें
हालांकि निर्वाचन आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्र ये बताते हैं कि 27 अप्रैल की शाम जब ये आंकड़े आए तब भी सैकड़ों मतदान केंद्रों पर कतारें लगी हुई थीं. मतदान समाप्त होने की समय सीमा के साथ ही मतदान केंद्रों के दरवाजे बंद कर दिए गए. कानून के मुताबिक उस समय तक जो मतदाता मतदान केंद्र में दाखिल हो गए उनको मतदान करने का अवसर मिलता है।

इसके अलावा दूर दराज या दुर्गम पर्वतीय इलाकों या फिर घनघोर जंगलों में स्थित गांवों के बूथों से मतदान पार्टी को ईवीएम सेट के साथ मुख्यालय तक आने में लगभग उतना ही वक्त लगता है जितना जाने में लगा होता है. कहीं एक से दो दिन तो कुछ इलाकों में ढाई तीन दिन बाद भी पोलिंग पार्टी स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचती है. उनके आंकड़े अपडेट होते हैं।

आंकड़ों में इतना उछाल कैसे?
अधिकारियों का एक वर्ग ये तो मानता है कि आंकड़े अपडेट होते हैं लेकिन ग्राफ इतना चढ़ने की बात उनके गले भी नहीं उतरती. इन तमाम उपक्रमों यानी मतदान का तय समय खत्म होने के बावजूद कुछ बूथों पर लंबी कतार, दूर दराज की पोलिंग पार्टियों का मुख्यालय देरी से पहुंचने जैसे कारणों के बाद भी एक से डेढ़ फीसदी ही इजाफा हो सकता है।

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