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दूध पावडर आयात को लेकर गुमराह कर रही उद्धव सरकार: भाजपा

मुंबई। महाराष्ट्र भाजपा ने आरोप लगाया है कि दूध उत्पादकों को उचित मूल्य न दे पाने के कारण उद्धव सरकार अपनी असफलता को छुपाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से दूध पावडर का आयात करने की गलत ख़बरों को फैला रही है।

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व कृषिमंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने आरोप लगाया है कि दूध पावडर के आयात के संबंध में जानबूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है। दूध उत्पादक इस पर विश्वास न करें। डॉ.बोंडे के मुताबिक संकटग्रस्त दूध उत्पादकों की मांग की ओर राज्य सरकार का ध्यान खींचने के लिए हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य भर में आंदोलन किया। महाआघाड़ी सरकार को समर्थन देनेवाले राजू शेट्टी ने भी 21 अगस्त को दूध की कीमतों को लेकर आंदोलन किया।

शेट्टी ने कहा था की केंद्र सरकार द्वारा दूध पावडर आयात करने से दूध उत्पादकों को भाव बढ कर नहीं मिल रहा है।केंद्र सरकार द्वारा दूध पावडर आयात करने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार 23 जून को केंद्रीय वित्त मंत्रालय के समझौते के अनुसार आयात की जानेवाली वस्तुओं के बारे जानकारी दी गई है। विश्व व्यापार संगठन की इस अनिवार्यता को पूर्व प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी गई थी।

गॅट समझौते के अनुसार भारत सरकार को 2014 -2015 से 2019- 2020 के कार्यकाल में 5 लाख टन मक्का, 10 हजार मैट्रिक टन दूध व मलाई पावडर के रूप में, सूर्यमुखी तेल डेढ लाख मैट्रिक टन, रिफाइंड सिरका, सरसों तेल डेढ लाख टन लेना आवश्यक है। इस संदर्भ में आदेश देने के पश्चात मक्का, दूध का आयात किया गया, ऐसी अफवाह उड़ाई गई। नाफेड व अन्य एक संस्था को 5 लाख मैट्रिक टन मक्का आयात करने की अनुमति दी गई थी। इस अनुमति की समयसीमा फरवरी 2021 तक रहने के बावजूद अभी तक संस्था ने मक्का का आयात नहीं किया है। इन संस्थानों ने केंद्र सरकार के आदेशानुसार भारत में ही किसानों से मक्का की खरीददारी करने की योजना व कार्यवाही की है।

मक्का की खरीददारी की समयसीमा को 31 जुलाई तक बढाया गया है। भाजपा नेता अनिल बोंडे के मुताबिक गॅट समझौते के अनुसार 10 हजार मैट्रिक टन दूध पावडर आयात करना अनिवार्य है। बावजूद इसके किसी भी आयातकर्ता ने इच्छापत्र नहीं दिया है। किसी को भी आयात करने की अनुमति नहीं दी गई है। लिहाजा दूध पावडर आयात करने का दावा पूरी तरह से तथ्यहीन व गलत है। इसीतरह सरसों, सिरका और सूर्यमुखी तेल के आयात के लिए आयातकर्ता संस्था की ओर से मांग नहीं की गई, साथ ही तेल का आयात करने की अनुमति किसी को नहीं दी गई है। (एजेन्सी, हि.स.)

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